[gtranslate]
Country

रामपुर में आजम खान को बड़ा झटका, मीडिया प्रभारी फसाहत अली भाजपा में शामिल

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और रामपुर के पूर्व विधायक मोहम्मद आजम खान इन दिनों उपचुनाव में अपने गढ़ बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें झटका देते हुए उनके खासमखास रहे फसाहत अली खान उर्फ शानू को आपने पाले में कर लिया है।

 

दरअसल, फसाहत अली खान भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना के कार्यालय पहुंचकर अपने कई दर्जन समर्थकों के साथ आज भाजपा में शामिल हो गए। फसाहत अली खान की गिनती आजम खान के बेहद करीबी लोगों में होती रही है। फसाहत के खिलाफ भी दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं और दो बार प्रशासन उन्हें गुंडा एक्ट लगाकर रामपुर जिले से बाहर भी कर चुका है।विधानसभा चुनाव के बाद जब आजम खान जेल में थे तो फसाहत ने बयान जारी करते हुए अखिलेश से नाराजगी जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि अब अखिलेश जी को उनके कपड़ों से गंध आती है।

आजम खान को कुछ दिन पहले ही यानी 27 अक्टूबर को भड़काऊ भाषण के एक पुराने मामले में 3 साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी।जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने रामपुर सदर विधानसभा सीट पर फिर से उप चुनाव करने का ऐलान किया था,इस सीट पर 5 दिसंबर को मतदान होना है। निर्वाचन आयोग ने तो रामपुर में आजम खान के मतदान करने का अधिकार भी छीन लिया है,क्योंकि उपचुनाव के भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का हवाला देते हुए आजम का मताधिकार छीनने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था।

रामपुर में आजम खान के सियासी सफर

आजम खान ने 1980 में पहली बार जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर विधायक का चुनाव जीता और अगले कई दशकों तक रामपुर की सियासत में घुल गए। वह रामपुर से 10 बार विधायक रहे हैं। 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तब आजम खान भी इसके संस्थापक सदस्य थे। आजम खान समाजवादी पार्टी के संगठन में भी कई पदों पर रहे। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के खराब प्रदर्शन और दूसरे महासचिव अमर सिंह के बीच विवाद की वजह से आजम खान ने 17 मई 2009 को महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। आजम खान जहां रामपुर से पार्टी की उम्मीदवार जया प्रदा का विरोध करते रहे हैं वहीं अमर सिंह जया प्रदा का समर्थन करते रहे थे। अमर और आजम के बीच बात इतनी बढ़ गई थी कि पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह को बीच आना पड़ा था। मुलायम सिंह ने आजम खान और अमर सिंह को खरी खोटी सुनाई थी। मुलायम सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि आजम पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं। 2006 में आजम खान ने रामपुर में मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी स्थापित की थी लेकिन आरोप है कि उन्होंने इस यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए आम लोगों की जमीनों पर कब्जे किए, यूनिवर्सिटी करीब 78 हेक्टेयर भूमि में बनी है जिसमें से 38 हेक्टेयर के करीब जमीन या तो सरकारी है या शत्रु संपत्ति है या दलितों से छीनी गई है।

गौरतलब है कि,उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी आजम खा वह नाम था जिसके इर्द-गिर्द पूरी सियासत घूमती नजर आती थी। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहां की राजनीति आजम का नाम लिए बिना पूरी नहीं होती थी। समाजवादी सरकार में तो उन्हें ‘सुपर सीएम’ कहा जाता था,लेकिन जब से उत्तर प्रदेश की सत्ता में योगी आदित्यनाथ काबिज हुए तब से आजम खान की उल्टी गिनती शुरू हो गई। फिलहाल ‘हेट स्पीच’ के एक मामले में तीन साल की सजा होने के बाद सियासी करियर लगभग खत्म हो गई। है,वो अगले 9 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकते है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आजम खान इन सबके बावजूद अपने गढ़ बचाने की कोशिश कर रहे है,लेकिन कितना कामयाव हो पाते है यह तो आने वाले उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे।

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD