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Country Uttarakhand

भू बैकुंठ धाम श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू

संजय कुंवर 

भू बैकुंठ धाम श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया ‘‘पंच पूजाएं’’ शुरू हो चुके हैं। कपाट बंद करने से पूर्व बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं की वैदिक परंपरा है, जो 15 नवंबर से बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ‘‘रावल“ ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और मंदिर धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल के साथ वेदपाठी गणों के सानिध्य में प्रारंभ हो चुकी है। पंच पूजाओं और अन्य धार्मिक क्रियाकलापों के निमित श्री बद्रीनाथ मंदिर को गेंदों के पुष्पों से भव्यता के साथ सुसज्जित किया गया है। भगवान श्री गणेश जी ने परिक्रमा पथ से सीधा भगवान श्री बद्री विशाल जी के गर्भ गृह प्रवेश कर लिया है। सुबह के अभिषेक पूजा और भोग के लिए श्री हरि नारायण भगवान संग बद्रीश पंचायत के सानिध्य में रखा गया है। सायं तक भगवान श्री गणेश जी बद्री विशाल के साथ ही पूजे जाएंगे और ठीक सायं 7 बजे श्री गणेश जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

श्री बद्रीश पंच पूजाओं के क्रम में 15 नवंबर को गणेश पूजा और 16 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए गए हैं। 17 नवंबर को खडक पुस्तक पूजा होगी और इसी दिन से मंदिर में वेद ऋचाओं की गूंज बंद हो जाएगी। 18 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के बाद उन्हें गर्भगृह में भगवान नारायण के साथ विराजमान होने का निमंत्रण दिया जाएगा। 19 नवंबर को कपाट बंद होने से पूर्व देवताओं के खजांची कुबेरजी एवं भगवान के बालसखा उद्धवजी को गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा। 20 नवंबर को उद्धवजी व कुबेरजी की डोली और आदि शंकराचार्य की गद्दी यात्रा बदरीनाथ पांडुकेश्वर पहुंचेगी। यहां उद्धवजी एवं कुबेरजी को योग-ध्यान मंदिर में विराजमान किया जाएगा, जबकि शंकराचार्य की गद्दी 21 नवंबर को रावल की अगुआई में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में विराजमान होगी।

 

चार धाम के कपाट बंद होने की तिथियां

‘श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर अन्नकूट/ गोवर्द्धन पूजा के अवसर पर दिन 12 बजकर 15 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद किए गए। उत्सव डोली मुखवा के लिए करेगी प्रस्थान।श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर सायं 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। श्री केदारनाथ धाम भैयादूज 16 नवंबर को कपाट प्रातः 8.30 बजे बंद किए गए।

  • यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के अवसर पर 16 नवंबर को दिन में 12.15 बजे बंद किए गए।
    द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 19 नवंबर को प्रातः 7 बजे बंद होंगे।
    तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 4 नवंबर 11.30 बजे बंद हुए।
    मद्महेश्वर मेला 22 नवंबर।

गंगोत्री धाम के दर्शन को पहुंचे तेईस हजार श्रद्धालु

चार धामों एक प्रमुख मां गंगा का श्री गंगोत्री धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बन्द हो गए हैं। 16 नवंबर श्री केदारनाथ धाम एवं यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हुए। 19 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होंगे। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 12 बजकर 15 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं तीर्थपुरोहित मौजूद रहे।

अन्नकूट-गोवर्द्धन पूजा के पर्व पर विधिवित पूजा अर्चना कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए। इस यात्रा वर्ष साढ़े तेईस हजार श्रद्धालुओं ने मां गंगा के दर्शन किए।कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन प्रवास मुखबा के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, दीपक सेमवाल, राजेश सेमवाल, हरीश सेमवाल सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। कपाट बंद होने तथा उत्सव डोली के प्रस्थान के दौरान सोशियल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया।

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि 16 नवंबर भैयादूज के अवसर पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट प्रातः 8.30 बजे एवं श्री यमुनोत्री धाम के कपाट दिन 12 बजकर 15 मिनट पर बंद हुए, जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बृहस्पतिवार 19 नवंबर शाम 3 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट भी 19 नवंबर को प्रातः 7 बजे बंद होंगे, जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 4 नवंबर को बंद हुए। चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट 17 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस बार श्री मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली 22 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंच रही है। इसी दिन परंपरा के अनुसार श्री मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होता है।

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