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संघर्ष की भेंट चढ़ेगी संतकबीर नगर संसदीय सीट 

बिल्लियों की लड़ाई में बंदर के हाथ रोटी का टुकड़ा लगने की नौबत आ चुकी है। भाजपा के एक विधायक महोदय हाई कमान के हिटलरी रवैये से इतना अधिक रूष्ट हैं कि वे अब लोकसभा चुनाव में अपने क्षेत्र में कमल को खिलते देखना नहीं चाहते और वे भाजपा विरोधी किसी अन्य दल से हाथ मिलाने की जुगत में हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष ने नाराज विधायक महोदय को मनाने की गरज से लखनऊ तलब किया है और कहा जा रहा है कि वे काफी हद तक संतुष्ट भी नजर आ रहे हैं लेकिन विधायक महोदय के करीबी लोगों की मानें तो विधायक महोदय प्रदेश अध्यक्ष के लाॅलीपाॅप से संतुष्ट नहीं हैं और इस बार वे खुलकर बगावत के मूड में आ चुके हैं। अवसर का लाभ उठाने के लिए सपा-बसपा के साथ ही कुछ कांग्रेसी नेता भी भाजपा के नाराज विधायक के सम्पर्क में हैं। बताया जा रहा है कि बहुत जल्द भाजपा के विधायक महोदय कमल छोड़ किसी अन्य दल की शरण में जा सकते हैं। भाजपा विरोधी दलों ने नाराज विधायक को तमाम प्रलोभन दिए हैं। अब बस इंतजार है उस दिन का जिस दिन भाजपा विधायक खुलकर बगावत के मूड में नजर आयेंगे और इसकी संभावना प्रबल बनी हुई है।
मामला संतकबीर नगर में आयोजित भाजपा की उस मीटिंग से सम्बन्धित है जहां भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी और मेंहदावल से भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच जमकर जूतम-पैजार हुई। विधायक राकेश सिंह की नाराजगी इस बात से है कि जब उनके समर्थकों ने विरोध दर्ज करने की कोशिश की तो स्थानीय प्रशासन के आदेश पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। विधायक समर्थकों का भी यही कहना है कि यदि उनकी सरकार के रहते हुए भी पुलिस इस तरह का अमानवीय वर्ताव कर रही है तो भाजपा में बने रहना अब मुश्किल है। बताते चलें कि भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी और विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच वाद-विवाद इतना बढ़ा कि भरी मीटिंग में शरद त्रिपाठी ने राकेश सिंह बघेल की जूतों से पिटाई कर दी।
इस घटना के बाद से विधायक राकेश सिंह बघेल के समर्थक सांसद के विरोध में नारेबाजी पर उतर आए लेकिन जब स्थानीय पुलिस ने समर्थकों के विरोध को लाठीचार्ज से दबाने की कोशिश की तो विधायक महोदय आपे से बाहर हो गए। बताया जा रहा है कि प्रदर्शन के दौरान सांसद शरद त्रिपाठी मुर्दाबाद से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी जमकर भड़ास निकाली गयी। लाठीचार्ज के बाद विधायक महोदय अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ विरोध स्वरूप धरने पर बैठ गए और उनका यह धरना रात भर चला। इस बीच स्थानीय प्रशासन के कई बडे़ अधिकारी से लेकर भाजपा के नेताओं ने भी भाजपा विधायक राकेश सिंह को मनाने की कोशिश की लेकिन राकेश सिंह ने किसी की बात सुनने से इंकार कर दिया और वे यही कहते रहे कि उनकी मुलाकात जब तक पीएम नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अथवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नहीं हो जाती तब तक वे किसी सूरत में धरना समाप्त नहीं करेंगे।
हालांकि प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र पाण्डेय के आग्रह पर वे राजधानी लखनऊ पहुंच गए हैं लेकिन बताया जा रहा है कि वे सिर्फ आश्वासन से मानने वाले नहीं। उनकी शर्त है कि भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इतना ही नहीं भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी को टिकट न दिए जाने की मांग भी जोर पकड़ चुकी है। विधायक राकेश सिंह का कहना है कि यदि इस बार भी शरद त्रिपाठी को टिकट दिया गया तो निश्चित तौर पर उनकी हार तय है।
फिलहाल कहा तो यही जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात के उपरांत भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल मान गए हैं लेकिन उनकी मण्डली का दावा है कि इस घटना ने उनके विधायक को इतना अधिक उद्धेलित कर दिया है कि वे अब किसी सूरत में मानने वाले नहीं, तब तक सांसद शरण त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती।
भाजपा विधायक और सांसद के बीच जूतम-पैजार के बाद से संतकबीरनगर की सीट भाजपा की झोली से निकलती नजर आ रही है। हालांकि कहा जा रहा है कि शरद त्रिपाठी को इस बार संतकबीर नगर से टिकट न देकर किसी अन्य स्थान से टिकट दिए जाने की बात चल रही है लेकिन विधायक और उनके साथी इतने से मानते नजर नहीं आ रहे। विधायक और उनके साथियों ने तय कर लिया है कि यदि भूलवश भाजपा ने शरद त्रिपाठी को इस बार भी संतकबीर नगर से टिकट दिया तो उनकी जमानत तो जब्त होगी ही साथ ही भाजपा के खिलाफ खुलकर बगावत भी होगी।
जाहिर है कि भाजपा विधायक और सांसद की लड़ाई के चलते संतकबीर नगर की सीट इस बार भाजपा के हाथ आने वाली नहीं। भाजपा हाई कमान भी यह बात अब जान चुका है। भाजपा अब इस कोशिश में है कि भाजपा विधायक की बगावत को किसी प्रकार से रोका जाए, वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा विधायक ने पार्टी विरोधी दलों से वार्ता कर ली है।
कहना गलत नहीं होगा कि इस बार बिल्ली के भाग्य से छींका फूटता नजर आ रहा है। पहले बहराइच सांसद सावित्री बाई फूले और अब भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल।
कहना गलत नहीं होगा कि निश्चित तौर पर इस घटना के बाद से भाजपा की छवि पर अन्तर पड़ने वाला है और उसका मिशन 74 सीटें अभी से अधर में नजर आने लगी हैं।

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