गत सप्ताह से कांग्रेस पार्टी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा शुरू कर चुकी है तो वहीं दो राज्यों में सत्ता काबिज कर चुकी आम आदमी पार्टी ने भी ‘मेक इंडिया नंबर-1’ अभियान शुरू कर दिया है। इनकी यह यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ऐसे में एक ओर जहां विपक्ष को एकजुट करने में जुटे नीतीश कुमार ने देश की राजधानी में तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात की तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में जुट गए हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ मुर्छित पड़ी कांग्रेस को संजीवनी के समान हो सकती है।
दरअसल, कभी सबसे ताकतवर पार्टी और सबसे ज्यादा सत्ता पर काबिज रह चुकी कांग्रेस इस वक्त भारी अंतर्कलह और बिखराव से जूझ रही है। पार्टी न तो स्थाई अध्यक्ष पद पर किसी नाम पर फैसला ले पा रही है और न ही पार्टी के पुराने वफादार नेताओं को जाने से रोक पा रही है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव भी नजदीक है। इस आपाधापी और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत कर दी है। पांच महीनों तक की इस यात्रा में कांग्रेस नेता 12 राज्यों का भ्रमण करते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा करेंगे। कांग्रेस की इस यात्रा का मकसद सिर्फ भाजपा को चुनौती देना नहीं खुद का अस्तित्व बचाना भी है। ऐसे में कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इस यात्रा से क्या कांग्रेस जोड़ो मकसद पूरा हो पाएगा? पार्टी के असंतुष्ट खेमे की नाराजगी दूर हो पाएगी? इसके अलावा विपक्षी दलों में खुद को साबित करने की चुनौती भी है।
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी में श्रीपेरुंबदूर इलाके से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की है। यह स्थान पार्टी के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी स्थान पर देश के पूर्व पीएम और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की हत्या हुई थी। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस यात्रा को दूसरा स्वतंत्रता संग्राम करार दिया है। पार्टी चीफ सोनिया गांधी ने भी इस यात्रा को ऐतिहासिक बताया और उम्मीद जताई कि 3 हजार 500 किलोमीटर की पैदल यात्रा पार्टी को फिर से जीवंत करने में मदद करेगी। कांग्रेस की यह यात्रा करीब 150 दिन तक चलेगी और 12 राज्यों का भ्रमण करते हुए कश्मीर पर समाप्त होगी। इस दौरान राहुल गांधी समेत कांग्रेसी नेता पैदल ही इस यात्रा को पूरा करेंगे।
दूसरी ओर 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी दलों में सबसे बड़ी समस्या नेता का चुनाव करना है। नीतीश कुमार दिल्ली आकर विपक्षी नेताओं को एकजुट करके अपनी दावेदारी लगातार पेश कर रहे हैं। उधर अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और तेलंगाना सीएम केसीआर भी इस मामले में खुद को पीछे मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में क्या राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा से विपक्षी खेमे में खुद को बड़ा साबित कर पाएंगे? यह उनके और कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
पार्टी अध्यक्ष पर फोकस
राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर खुद को किनारा कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेताओं के तमाम मान-मनौव्वल के बावजूद वे अपनी ‘ना’ पर अडिग हैं। राहुल गांधी ने अपना फोकस फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा पर किया है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी कांग्रेस के बिखराव और कुनबे को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा
चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के बाद राहुल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत करेंगे। पदयात्री कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबर, मैसूर, बेलारी, रायचूर, विकाराबाद, नांदेड़, जलगांव, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अंबाला, जम्मू जाएंगे और यात्रा का अंत कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में होगा।प्रधानमंत्री पद के एक और दावेदार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसी हफ्ते से हरियाणा के हिसार से अपने ‘मेक इंडिया नंबर-1’ अभियान की शुरुआत कर दी है। कांग्रेस और ‘आप’ भले ही अपने इन अभियानों को गैर सियासी बता रही हों लेकिन कहीं न कहीं ये दोनों ही पार्टियां अपने अभियानों को खुद को ज्यादा बड़ा बताने की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि ‘आप’ राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की जगह लेने की तैयारी कर रही है। वहीं, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच यात्रा अहम साबित हो सकती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा से 7 सितंबर से अखिल भारतीय अभियान की शुरुआत की। इसके जरिए ‘आप’ पार्टी संगठन विस्तार और 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। खास बात है कि आम चुनाव से पहले देश के कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। केजरीवाल ‘मेक इंडिया नंबर 1’ के जरिए राज्यों में रैलियां, युवाओं के साथ बैठकें और तिरंगा यात्राएं करेंगे। इसकी शुरुआत हरियाणा से हो गई है।