हमारे देश में सविंधान के अंतर्गत सभी को ‘राइट टू लाइफ का अधिकार’ है। लेकिन आये दिन भीड़ के द्वारा हिंसा की खबरों में किसी न किसी को मौत की नींद सुला दिया जाता है। दिनों -दिन मॉब लिंचिंग की घटनाये सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी नज़र आने लगी है। अब हाल ही में इससे निपटने के लिए ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा ‘एंटी लिंचिंग बिल’ विधानसभा में पेश होना है।सम्भावना है कि यह बिल 30 अगस्त को सदन में पेश किया जा सकता है। इस पर वाम विधायक सुजन चक्रवर्ती द्वारा कहा गया कि “यह अच्छी पहल है। मुझे सिर्फ बिल की एक कॉपी मिली है। इसके प्रावधानों को देखने के बाद अपने विचार साझा करूँगा।” तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री द्वारा मंगलवार (27 अगस्त) को कहा गया है कि इस विधयेक का उद्देश्य कमज़ोर लोगो के संवैधानिक अधिकारों के रक्षा और भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं को रोकना है। इसमें अपराध में शामिल लोगो के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रस्ताव किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मौत के मामले में घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को कठोर आजीवन कारावास और पांच लाख रूपए तक का जुर्माना होगा। मंत्री ने कहा कि विधेयक के अनुसार राज्य के पुलिस महानिदेशक एक समन्वयक नियुक्त करेंगे जो नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेगा।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में मॉब लिंचिंग (भीड़ हिंसा) का एक और मामला सामने आया था । जिसमे बताया गया था कि हिंसक भीड़ ने बच्चों का अपहरण करने के शक में एक व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई कर दी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इस मामले में सात लोगों की गिरफ्तारी की गई थी । इसी तरह बाल-अपहरण के संदेह पर अलीपुरद्वार में मजहर-डाबरी चाय एस्टेट में भीड़ द्वारा एक युवक को बुरी तरह से पीटा गया। बाद में कुछ स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और एक प्राथमिक स्कूल की इमारत के अंदर बंद कर दिया। जिले के लिचुटाला इलाके में रात में एक और बच्चे के अपहरण की अफवाह फैलाई गई। और 24 जुलाई को अलीपुरद्वार जिले के मदारी हाट में एक वैन में बर्तन बेचने वाले छह युवक भी हिंसक भीड़ का शिकार हो गए थे। तो वहीं, इससे पहले 22 जुलाई को जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति को बाल अपहरणकर्ता होने के संदेह में मार दिया गया था। इस घटना के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
