पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को प्रचंड जीत हासिल हुई , लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद नंदीग्राम से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से हार गई। बावजूद इसके ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री हैं। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच विधानसभा चुनाव के चलते जो टकराव शुरू हुआ था वह खत्म होने के बजाए अब भी बढ़ता ही जा रहा है। अब जब 30 सितंबर को राज्य के तीन विधानसभा सीटों में उपचुनाव होने हैं और सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसके लिए चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। ऐसे में एक बार फिर राज्य में राजनीतिक हिंसा होने लगी है।
प्रदेश के नॉर्थ 24 परगना सीट से बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के घर पर तीन क्रूड बम फेंके जाने का मामला सामने आया है। घर में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी के बाद भी यह घटना हुई है। कल सात सितंबर की रात को हुई इस घटना को लेकर राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने भी चिंता जाहिर की है। घर पर जिस वक्त बम फेंके गए उस समय सांसद और प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह मौजूद नहीं थे। हालांकि उनके परिवार के सदस्य उस वक्त घर पर ही थे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की है और घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल रही है ताकि बम फेंकने वालों का पता लगाया जा सके।
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अब तक बम फेंकने वाले लोगों या फिर घटना को अंजाम देने का मकसद पता नहीं चल सका है। इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए गवर्नर जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हिंसा थमने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। सांसद अर्जुन सिंह के घर बाहर बम धमाके हुए हैं, जो कानून और व्यवस्था के लिहाज से चिंता की बात है। उम्मीद करता हूं कि बंगाल पुलिस की ओर से इस मामले में तत्काल एक्शन लिया जाएगा। उनकी सुरक्षा के मामले को पहले ही सीएम ममता बनर्जी के समक्ष उठाया जा चुका है।’ इस घटना के बाद बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में सीबीआई इन दिनों चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच कर रही है। हत्या, रेप और हिंसा के कई मामलों में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की है। इससे पहले मानवाधिकार आयोग की एक टीम ने प्रदेश में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर हाई कोर्ट को रिपोर्ट दी थी। उस रिपोर्ट के आधार पर ही जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया था। हालांकि प्रदेश की ममता सरकार इस जांच के विरोध में है और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल की है।