देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस मौजूदा समय में बुरे दौर से गुजर रही है। कभी एकछत्र राज करने वाली पार्टी आज कई राज्यों में अपने वजूद के संकट से जूझ रही है। एक के बाद एक लगातार चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के तमाम नेता शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं का समूह जिसे G23 के नाम से भी जाना जाता है वो सक्रिय है। इस बीच अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा जम्मू-कश्मीर में जनसभाओं की तेज रफ्तार ने अटकलों को हवा दी है कि जल्द ही अपना खुद का संगठन बनाने की तैयारियों में जुटे हैं।
पुंछ में एक जनसभा में उन्होंने कहा कि वह 2024 के चुनावों में कांग्रेस को 300 सीटें जीतता नहीं देख रहे हैं। संसद में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के अपने कड़े विरोध के बाद, आजाद ने कहा कि उनकी एकमात्र मांग राज्य की बहाली और विधानसभा चुनाव कराने की है।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद के करीब 20 करीबियों ने पिछले दो हफ्तों में अपनी पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया । अपने त्यागपत्रों में नेताओं ने गुलाम अहमद मीर को राज्य इकाई के प्रमुख के पद से हटाने सहित कांग्रेस में व्यापक बदलाव के बारे में सवाल उठाया है।
जम्मू और कश्मीर कांग्रेस के उपाध्यक्ष जीएन मोंगा ने कहा, “हमने पार्टी आलाकमान को बताया है कि पार्टी के भीतर कुछ समस्याएं हैं। हम उन समस्याओं को दूर करना चाहते हैं। जहां तक आजाद साहब का सवाल है, वह हमारे नेता हैं और इतने सालों से यहां हैं।” मोंगा ने पत्र में कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख को हटाने के लिए भी कहा है।
आजाद की जनसभाओं में भारी भीड़ ने कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षकों को चौंका दिया और कांग्रेस को झकझोर कर रख दिया है। सूत्रों का कहना है कि आजाद अगर अपनी पार्टी बनाते हैं तो जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर कांग्रेस नेताओं के उनके साथ जाने की संभावना है। उनके एक करीबी सूत्र ने कहा, “अन्य पार्टियों के कई नेता हैं जिन्होंने आजाद से संपर्क किया है। वे कहते हैं कि अगर आजाद अपनी पार्टी बनाते हैं तो वे इसमें शामिल होंगै।”
चिंतित कांग्रेस ने कहा है कि वे आजाद का सम्मान करते हैं लेकिन इस्तीफे से नाखुश हैं। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कहा, “पूरी पार्टी उनका सम्मान करती है। हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन अनुशासन का पालन करना होगा। लेकिन कुछ लोग हैं जो आजाद के करीबी माने जाते हैं, उनके बयान स्पष्ट रूप से अनुशासन का उल्लंघन हैं।