भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीते दिन 1 मार्च को ब्रिटिश के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली के साथ एक बैठक की। जो इन दिनों भारत दौरे पर हैं, वे यहां जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आए हैं। जिसमें बीबीसी टैक्स मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
जिसके जवाब में जयशंकर ने जेम्स क्लेवरली से कहा कि भारत में काम करने वाली हर संस्था को यहां के कानूनों का पूरी तरह से पालन करना होगा। पिछले दिनों ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के भारत और मुंबई में स्थित दफ्तरों में तीन दिन तक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का सर्वे चला। इस दौरान दफ्तर के कई अधिकारियों के मोबाईल फोन भी जब्त कर लिए गए। बीबीसी ने भी आईटी के इस सर्वे में पूरा सहयोग किया और यह भी कहा है कि आगे भी ऐसे ही सपोर्ट करते रहेंगे।
बीबीसी पर हुआ आईटी सर्वे
पिछले दिनों बीबीसी आईटी सर्वे और अपनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर काफी चर्चा में रहा। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले बीबीसी के मुंबई और दिल्ली के दफ्तरों में आयकर विभाग ने सर्वे किया जो 16 फ़रवरी की रात को समाप्त हुआ । आयकर विभाग का ये सर्वे दिल्ली के दफ्तर में 60 घंटे तो वहीं मुंबई स्थित बीबीसी दफ्तर में 55 घंटों तक चला। सर्वे के दौरान आईटी अधिकारियों ने बीबीसी के कार्यालय से कई दस्तावेज, पेन ड्राइव और हार्ड ड्राइव आदि भी जब्त किए हैं।
डॉक्यूमेंट्री से जोड़ा गया था सर्वे
बीबीसी के दफ्तरों में किये गए सर्वे को हालही में विवादित रही बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ से से जोड़ा गया। जिसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को प्रसारित किया गया और दूसरा 24 जनवरी को। डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड में नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक जीवन को दिखाया गया है। किस प्रकार वे राजनीति में आगे बढ़ते हुए गुजरात के मुक्यमंत्री के पद पर पहुंचे और गुजरात दंगों में उनका क्या रोल था । बीबीसी द्वारा बनाई गई यह पूरी डॉक्यूमेंट्री एक अप्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित है जिसे बीबीसी ने ब्रिटिश फ़ॉरेन ऑफ़िस से प्राप्त किया है। ब्रिटिश विदेश विभाग की रिपोर्ट का दावा किया गया है कि मोदी साल 2002 में गुजरात में हिंसा का माहौल बनाने के लिए ‘प्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार’ थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया जा चुका है। जिसके आधार पर केंद्र सरकार वीडियो प्रसारित किये जाने वाले सभी प्लेटफॉर्मों से वीडियो को हटा देने की घोषणा की है। केंद्र का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री में तथ्यों को गलत तरीके से और तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है।