उधर, केंद्र सरकार भी कमर कसती नज़र आ रही है। इस फैसले के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय शस्त्र पुलिस बल के करीब चार हजार जवानों को उत्तर प्रदेश भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार ,पुलिस बल 18 नवंबर तक राज्य में तैनात रहेगा।
जिसमें मंत्रालय द्वारा तुरंत प्रभाव से पैरामिलिट्री फोर्स की पंद्रह कंपनियों को भेजने की मंजूरी दी गई है। मंत्रालय के आदेश के अनुसार, पैरा मिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों के अलावा बीएसएफ, आरएएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की तीन-तीन कंपनियां भेजने को भी मंजूरी दी गई है
साथ ही पूरे राज्य में धारा-144 लागू है। सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए अलग-अलग जिलों में मंदिरों और मस्जिदों से धार्मिक संगठन और कमेटियां अमन-शांति की अपील भी कर रही हैं। मेरठ में भी रविवार को करीब छह मस्जिदों से शांति बनाए रखने का ऐलान किया गया।
अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले शिया वक्फ बोर्ड ने सभी वक्फ संपत्तियों पर होने वाले आयोजनों पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने वक्फ बोर्ड की इमामबाड़ा मस्जिद, दरगाह, कार्यालय, कब्रिस्तान, मजार जैसी जगहों पर अयोध्या मसले को लेकर किसी तरह का भाषण या धरना-प्रदर्शन नहीं करने का आदेश जारी किया है। यदि कोई आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। आदेश की प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजी गई है।
अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने सोशल मीडिया मैसेज और पोस्टर पर भी रोक लगा दी है। कोई भी अयोध्या विवाद, राम मंदिर या बाबरी मस्जिद से जुड़ा मैसेज न तो सोशल मीडिया पर शेयर कर पाएगा और न ही कोई पोस्टर लगाया जाएगा। डीएम का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए 28 दिसंबर तक यह रोक लगाई है। प्रशासन ने गड़बड़ी न हो इसके लिए कई तरह के प्रशासनिक फैसले लिए हैं। 28 दिसंबर तक अयोध्या में सभी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम, राजनैतिक धार्मिक-सामाजिक रैलियां, वॉल पेंटिंग जलसे और जुलूस पर रोक रहेगी।