भाजपा नेता तजिंदर बग्गा की अरेस्टिंग के मामले में पंजाब पुलिस की खूब फजीहत हो रही है। इस मामले में पंजाब पुलिस की गलती सामने आ रही हैं। सबसे बड़ा सवाल पंजाब पुलिस के उस तरीके पर उठ रहा है जिसमे उन्होंने मोहाली कोर्ट से बग्गा का अरेस्ट वारंट नहीं लिया। पुलिस ने इस मामले में जल्दी जल्दी सिर्फ 5 सम्मन को ही अरेस्टिंग का आधार बना लिया। पंजाब पुलिस के अधिकारी भी मानते हैं कि इस मामले में कोर्ट का अरेस्ट वारंट लेना चाहिए था जो नहीं लिया गया।
पंजाब पुलिस की इसी गलती की वजह से दिल्ली पुलिस उस पर भारी पड़ गई। दिल्ली पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर दिल्ली कोर्ट से बग्गा का सर्च वारंट भी ले लिया। इसके कारण ही हरियाणा पुलिस के आगे भी पंजाब पुलिस कमजोर पड़ गई थी। इस तरह पंजाब पुलिस का आरोपी बग्गा दिल्ली और हरियाणा पुलिस के लिए अपहरण केस का पीड़ित बन गया। जिसके आधार पर ही बग्गा को हरियाणा पुलिस से कुरुक्षेत्र में रुकवाया गया। दिल्ली पुलिस का तर्क है कि बग्गा की गिरफ्तारी से पहले उन्हें पंजाब पुलिस ने इसकी सूचना नहीं दी। इस मामले में पंजाब पुलिस लीगल कस्टडी का दावा तो कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ कानूनी तौर पर दिल्ली और हरियाणा पुलिस की कार्रवाई को गलत नहीं कहा जा सकता।
बताया जाता है कि इस केस में पंजाब पुलिस ने तय प्रक्रिया भी फॉलो नहीं की। किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद लोकल थाने में जीडी ( जनरल डायरी ) में दर्ज करवाना होता है। इसके बाद स्वीकृति मिलने के बाद लोकल पुलिस को लेकर गिरफ्तारी की जाती है । गिरफ्तार कर उसी थाने में लाया जाता है। वहां पूरी जानकारी देकर लोकल कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर अपने राज्य में लाया जाता है । लेकिन इस प्रकरण में पंजाब पुलिस सीधे ही बग्गा को उठाकर पंजाब की तरफ रवाना हो गई।