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बची सिंह रावत बचदा , एक सौम्य नेता का असमय चला जाना 

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने मौजूदा समय में देशभर में कहर बरपाया हुआ है। इस महामारी से संक्रमित होकर अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है। जान गंवा चुके लोगों में आम जन से लेरकर अभिनेता और नेता भी शामिल हैं। कोरोना की इस दूसरी लहर की चपेट में उत्तराखण्ड   भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत बचदा का  असमय चला जाना जनता को भारी आहत कर रहा है। बचदा एक व्यवहार कुशल और सौम्य नेता थे। आम आदमी से सीधी बात कर लेना उनका स्वभाव था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत ने कल रविवार 18 अप्रैल को अंतिम सांस ली। उन्हें फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण हल्द्वानी से एयर एम्बुलेंस  द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। एम्स के स्टाफ ऑफिसर डॉ. मधुर उनियाल के मुताबिक कल रविवार रात उनकी हालत अचानक और बिगड़ गई। रात करीब 8:45 बजे उनका निधन हो गया। शनिवार 17 अप्रैल को जब उन्हें लाया गया था तो उनकी कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव थी। लेकिन एम्स में उनकी दोबारा कोरोना की जांच की गई, जिसमें वे संक्रमित पाए गए थे। उनके निधन की खबर सुनते ही प्रदेश भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई।

बची सिंह रावत के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी शोक जताया। वहीं, नैनीताल और उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने बचदा के निधन पर गहरा दुख जताते हुए इसे राज्य के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि बची सिंह ने कई दशकों तक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके अलावा कई बड़े नेताओं ने भी उनके असमय चले जाने पर शोक व्यक्त किया है।

रानीखेत निवासी पूर्व सांसद बची सिंह रावत चार बार लोकसभा सांसद और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री रहे हैं। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। बचदा का जन्म एक अगस्त 1949  को अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील क्षेत्र के अंतर्गत पाली गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अल्मोड़ा में प्राप्त की। जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय में उन्होंने परास्नातक किया। राजनीति से जुड़ने के बाद वर्ष 1992 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1993 में दूसरी बार भी विधायक का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1992 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार में उन्हें  उप राजस्व मंत्री का पद मिला। 1996 में भाजपा से पहली बार लोकसभा टिकट मिलने के बाद वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1998 में दूसरी बार भी लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की।  तीसरी बार भी वह चुनाव में जीतकर सांसद बने रहे। इसके बाद वर्ष 2004 में  उन्होंने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को शिकस्त देकर लगातार चौथी बार अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीता। केंद्र में  पहले उन्हें रक्षा राज्य मंत्री और उसके बाद विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री का पद मिला।लगातार तीन बार अल्मोड़ा से सांसद रहे बची सिंह रावत के निधन से उनके गृह क्षेत्र में भी शोक की लहर है।

 भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बची सिंह रावत की विनम्रता, सादगी और वायदा पूरा करने के गुणों  के चलते लोग  उनके कायल रहे। सांसद अजय भट्ट कहते हैं कि बचदा बड़े भाई की तरह थे। उनसे चार दशक से अधिक समय से संबंध रहा। उनसे वकालत और राजनीति दोनों क्षेत्रों में सीखने का अवसर मिला। रानीखेत में साथ-साथ वकालत की।

अजय भट्ट के अनुसार एक ग्रामोत्थान समिति भी बनाई थी, इसमें बचदा अध्यक्ष और सचिव होते थे। यह गैर राजनीतिक संगठन था। हम दोनों कई आंदोलनों में साथ शामिल हुए। 2007 में जब बचदा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने थे, तो उन्हें महामंत्री की जिम्मेदारी मिली थी। सांसद के अनुसार बचदा मृदुभाषी, विनम्र और वादा पूरा करने वाले व्यक्ति थे। उनके राजनीतिक अनुभव से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। आज वह हम सबको छोड़ कर चले गए इस बेहद दु:खद क्षण में वह उनके परिवार के प्रति गहरी शोक संवेदना प्रकट करते हैं। कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि वह बचदा के साथ लंबे समय से जुड़े रहे। 1991 में साथ-साथ विधायक बने। बचदा संकीर्णता से दूर रहे। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी बचदा के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने कहा कि बचदा इतने लोकप्रिय थे कि लगातार चुनाव जीतते रहे।

बचदा मूलत: अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के रहने वाले थे। 2007 से करायल जौलासाल में घर बनाकर रह रहे थे। एक  दौर था जब कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत के खिलाफ भाजपा को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो उन्हें टक्कर देने के साथ काम से पहचान बनाये। तब रानीखेत के विधायक व उत्तर प्रदेश में राजस्व उप मंत्री रहे बची सिंह रावत को भाजपा ने अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से उतार दिया। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के चप्पे -चप्पे से वाकिफ और  हर व्यक्ति के लिए सर्व सुलभ बचदा ने बतौर सांसद दूरस्थ क्षेत्रों तक विकास की किरण पहुंचाई। उन्होंने गांव -गांव दौरे कर ऐसी लोकप्रियता हासिल की कि दूसरे प्रत्याशी चाहकर भी नहीं कर सके।

केंद्रीय राज्य मंत्री रहे बचदा ने अपने कार्यकाल में अनेक स्थानों पर केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना की। इसके अलावा 2004 में आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज को नैनीताल केंद्रीय दर्जा दिलाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी, तत्कालीन एचआरडी मंन्त्री मुरली मनोहर जोशी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केंद्रीय राज्य मंत्री के साथ बतौर सांसद बचदा ने हर साल अपनी सांसद निधि के साथ ही अपने प्रयासों से किये कामों के अलावा संसद में उठाये गए सवालों व उनके जवाब की किताब प्रकाशित करने की  परंपरा शुरू की। उस किताब को अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के गांव व शहरों में बांटा जाता था। बचदा ने अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए लोकसभा में निजी विधेयक भी पेश किया था। साथ ही अलग राज्य निर्माण का मामला अनेक बार संसद की पटल पर  उठाया।

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