एलोपैथी पर अपने बयान से विवादों में घिरे बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव अन्य चिकित्सा पद्धतियों का दुरुपयोग कैसे कर सकते हैं? कोर्ट जानना चाहता है कि वे कैसे गारंटी दे सकते हैं कि वे सभी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं? एलोपैथी के खिलाफ बाबा रामदेव के विज्ञापन के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ बाबा रामदेव की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने केंद्र सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद और रामदेव की कंपनी को नोटिस जारी किया है।
टीकाकरण के खिलाफ चलाया अभियान- आईएमए
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बाबा रामदेव को क्या हो गया है? योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनका सम्मान करते हैं, वह इस तरह से इलाज के अन्य तरीकों पर सवाल नहीं उठा सकते। उन्हें दूसरों की आलोचना करने से बचना चाहिए। आईएमए ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी लगाई फटकार
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि वे एलोपैथी के खिलाफ बयान देकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। रामदेव ने कहा कि वैक्सीन मिलने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कोरोना पॉजिटिव थे। यह चिकित्सा विज्ञान की विफलता है। उस पर कोर्ट ने कहा कि आपका यह बयान दूसरे देशों से हमारे रिश्ते खराब कर सकता है।