राजनीति में अपना सिक्का ज़माने के लिए हर नेता एड़ी चोटी का जोर लगा देता है। अपनी दागदार छवि के साथ भी वह जनता का लोकप्रिय नेता भी बना रहता है। ये तो हम भारतीय राजनीति में साफ तौर पर देख ही चुके हैं। देश के पीएम से लेकर मंत्री तक सभी का अगर आपराधिक रिकॉर्ड देखा जाए तो हर कोई किसी ने किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त मिल ही जाएगा। कुछ ऐसी ही छवि है राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की।
दरअसल, झारखंड उच्च न्यायालय ने आखिरकार राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जमानत दे दी है, जिन्हें चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया गया था। उन्हें सशर्त जमानत दी गई है। लिहाजा, अब लालू के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। फिलहाल लालू का दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा है। इससे पहले लालू को चारा घोटाले के तीन और मामलों में जमानत दी गई थी। इसलिए दुमका मामले में जमानत मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव अब जेल से रिहा हो सकते हैं। मगर इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि लालू की जमानत से राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है।
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बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल
लालू यादव को जमानत क्या मिली कि बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा हो गई। कयास लगने लगे कि क्या ‘आजाद लालू’ बिहार की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। अटकलें यू हीं नहीं लगाई जा रही हैं इसके पीछे भी एक कारण है और वो है लालू यादव की जमानत के दौरान घटने वाली दो राजनीतिक घटनाए। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) ने ख़ुशी जताई तो वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ समाजवादी शिवानंद तिवारी के फेसबुक अकाउंट से एक फोटो शेयर की गई। लालू को जमानत मिलने के दौरान आरजेडी के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ समाजवादी शिवानंद तिवारी के फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट की गई एक तस्वीर और जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) की ओर से लालू के जमानत पर आए बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में बड़ा उलटफेर होने के संकेतों को हवा मिल गई है।
लालू की जमानत पर जताई गई खुशी
आरजेडी चीफ को जमानत मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने अपनी खुशी जाहिर की है। हम प्रवक्ता दानिश रिजवान की ओर से एक वीडियो संदेश जारी किया गया। इस वीडियो में कहा गया कि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) लालू प्रसाद यादव की जमानत का स्वागत करती है। लालू यादव के स्वास्थ्य को लेकर हमारे नेता जीतन राम मांझी हमेशा परेशान रहे हैं। उनके द्वारा हमेशा से यही कहा गया कि शीघ्र अति शीघ्र लालू यादव हमारे बीच आएं। आज उनको जमानत मिलने पर खुशी का माहौल है। हमें आशा है कि जमानत मिलने के बाद वह अपना समुचित इलाज कराएंगे और ठीक होकर हमारे बीच आएंगे।’
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लालू को जमानत मिलने पर नीतीश रहे मौन
यहां गौर करने वाली बात ये है कि हम नेता दानिश रिजवान के दिए गए बयान में कहीं भी लालू प्रसाद यादव के भ्रष्टाचार या जेल में रहने को लेकर एक शब्द नहीं नहीं बोला गया है। केवल लालू को जमानत मिलने पर खुशी जाहिर की गई है और बेहद सधे अंदाज़ में स्वास्थ्य को लेकर मांझी की ओर से विचार रखे गए। वहीं सीएम नीतीश ने इसे कोर्ट और लालू यादव के बीच का मामला कहकर बात खत्म कर दी। उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से एतराज जताया। लालू यादव को मिली जमानत पर अदालत के प्रति सम्मान दर्शाने के साथ-साथ आरजेडी चीफ के जेल जाने के कारण पर एनडीए के दूसरे घटक दल बीजेपी ने बड़े व्यंग्यात्मक तरीके से तंज कस दिया। बीजेपी और जेडीयू ने कहा है कि लालू यादव किसी भी स्वतंत्रता संग्राम में जेल नहीं गए अपितु चारा घोटाले में जेल गए।
गौरतलब है कि राज्यपाल ने पिछले महीने बिहार विधान परिषद के लिए 12 सदस्यों का नॉमिनेट किया था, जिसमें से 6 सदस्य बीजेपी के हैं और 6 ही जेडीयू के हैं। इस बात से सीएम नीतीश के प्रति एनडीए के घटक दल हम के प्रमुख जीतन मांझी ने नाराजगी जताई थी। मांझी की ओर से उस दौरान कहा गया था कि नीतीश कुमार ने उनके साथ उचित नहीं किया। उनकी आपत्ति ये थी कि कम से कम हम का एक नेता तो नॉमिनेट होना ही चाहिए था। इसके अलावा पूर्ण शराबबंदी के निर्णय पर भी जीतन मांझी सवाल खड़े कर चुके हैं।
मांझी करते रहे हैं लालू की तारीफ
यहां यह भी याद रखा जाना चाहिए कि जब जीतन मांझी ने एनडीए छोड़ दिया और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में लौट आए, तो उन्होंने कहा था कि वह लालू प्रसाद यादव के साथ अच्छे संबंधों के कारण इस गठबंधन में शामिल हुए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव किसी की नहीं सुनते हैं। वहीं, लालू यादव ऐसे नेता रहे हैं जो सभी को साथ लेकर चलते हैं। अपनी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखने के लिए मांझी, जब वे एनडीए में आए उन्होंने भाजपा से बात करने के बजाय जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार से प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन के लिए बात की।
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने 15 अप्रैल को यानी लालू यादव की जमानत से ठीक दो दिन पहले अपने फेसबुक पेज पर एक तस्वीर पोस्ट की है। इस तस्वीर में वरिष्ठ समाजसेवी शिवानंद तिवारी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कांग्रेस नेता रामजतन सिन्हा, पूर्व मंत्री मिथिलेश सिंह और पिछले साल ही जेडीयू से आरजेडी में आए श्याम रजक नजर आ रहे हैं। आरजेडी में आने के बाद भी श्याम रजक को फुलवारी शरीफ से विधानसभा का टिकट मिल नहीं पाया है। जबकि वे नीतीश और लालू दोनों की सरकारों में मंत्री पद पर रह चुके हैं।
पीएम मोदी पर कॉमेंट करने के बाद JDU से अलग हुए थे शिवानंद
शिवानंद तिवारी हमेशा राज्य की राजनीति करते रहे हैं। वह लालू यादव और नीतीश दोनों के अच्छे दोस्त हैं। 2013 में शिवानंद तिवारी को जदयू में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के कारण हाशिए पर रखा गया था, जिसके बाद से वह राजद में रहे हैं। शिवानंद तिवारी, जो अपने बेबाक बयान देने के लिए प्रसिद्ध हैं। वह चाहे किसी भी पार्टी में रहे हो लेकिन बयान बहादुर वह हमेशा से रहे हैं।
जेडीयू चाहता है कुनबा बढ़ाना
वैसे तो यह तस्वीर चैती छठ का प्रसाद ग्रहण करने के समय औपचारिक भेंट की है, परन्तु पहले भी राजनीति में इशारों इशारों में ही बड़े- बड़े फैसले होते रहे हैं। तो वहीं इस तस्वीर पर सवाल उठना भी आम बात है। अब यहां गौर करने वाली बात तो यह है कि 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू 43 सीटें प्राप्त कर तीसरे नंबर की पार्टी थी। जबकि 74 सीट जीतने वाली बीजेपी की केंद्रीय टीम के दखल के बाद भी नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। नीतीश कुमार सीएम बनने के बाद से ही निरंतर अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटे हैं।
इसी कड़ी में वह कई निर्दलीय और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के एकमात्र विधायक को भी अपने साथ ले आए हैं। इसके अतिरिक्त जेडीयू के नेता यदा- कदा बयान देते रहे हैं कि कांग्रेस के 19 विधायकों में से बहुत से विधायक जेडीयू में आने को लालायित हैं। इसके अतिरिक्त उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार अपने साथ में ले आए हैं।
होने लगा राजनीति में गुणा-भाग
शिवानंद तिवारी की पोस्ट की गई तस्वीर और दानिश रिजवान का बयान आने के बाद अब बिहार की गलियों में कई तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है। सब अपने अपने हिसाब से आंकलन करने में जुट गए हैं। राजनीति का गुणा भाग लगने लगा है लेकिन अब देखना ये है कि रांची हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद लालू यादव को एम्स के डॉक्टर कब पटना लौटने का परामर्श देंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि पटना लौटने के बाद बिहार की राजनीति में क्या सब सामान्य रहेगा है या फिर कोई बड़ा उलटफेर होगा।