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अयोध्या विवाद : मूर्ति रखने से मस्जिद का अस्तित्व खत्म नहीं 

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सबसे पुराना विवाद है। इस मुद्दे को कई बार सुलझाने की कोशिश की गई लेकिन कोई हल न निकलने के बाद अब इस मुद्दे की सुनवाई छह अगस्त से रोजाना सुप्रीम कोर्ट में  हो रही है। सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई 6 अगस्त से चल रही है।

अयोध्या मामले में 20वें दिन की सुनवाई जारी  है। फिलहाल मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें रख रहे हैं। इससे पहले 16 दिन तक हिंदू पक्ष की दलीलें सुनी गई थीं।कल बुधवार को अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से ऐडवोकेट राजीव धवन ने 19वें दिन अपनी दलीलें पेश कीं। संवैधानिक बेंच के सामने उन्होंने मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी पर हुए हमले का मुद्दा भी उठाया। इस पर, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम मामले को देखेंगे। वहीं, संवैधानिक बेंच के सामने मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि पहले बाहरी आंगन के राम चबूतरे पर पूजा होती थी लेकिन 1949 में मूर्ति को बाहरी आंगन से हटाकर अंदर के आंगन पर बीच वाले गुंबद के नीचे रख दिया गया। हालांंकि मुस्लिम पक्षकार ने निर्मोही अखाड़ा के मैनेजमेंट के अधिकार का विरोध नहीं किया लेकिन कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आखिर किस हिस्से में ये अधिकार चाहते हैं। निर्मोही अखाड़े ने पहले बाहरी आंगन के राम चबूतरे पर पूजा का अधिकार मांगा था लेकिन उनका मालिकाना हक कभी नहीं था,पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन को लेकर है।

 इस दौरान राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े पर हमला बोला और कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने बाहरी कोर्टयार्ड नहीं बल्कि अंदर के कोर्टयार्ड का दावा किया है। निर्मोही अखाड़ा सिर्फ सरकार के खिलाफ था। ऐसे में अब आप किस तरह दावा कर सकते हैं?आगे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आप अखाड़ा को पूजा के अधिकार की बात स्वीकारते हैं, तो इसका मतलब ये है कि आप ये मान रहे हैं कि वहां पर मूर्तियां थीं. ऐसे में ये हिस्सा सामने नहीं आता है जिसपर आप मस्जिद का दावा करते हैं।इस पर धवन ने कहा कि पूजा के अधिकार तो सहजता के आधार पर दिया गया। निर्मोही अखाड़ा को सिर्फ पूजा का अधिकार दिया गया, ऐसे में जमीन उसकी नहीं होती है।

हाईकोर्ट के फैसले के हवाले से राजीव धवन ने कहा कि बीच वाले गुम्बद के नीचे जबरन रामलला की मूर्ति रखकर विवाद खड़ा किया गया है । सुप्रीम कोर्ट में इस मसले की सुनवाई 6 अगस्त से रोजाना चल रही है अभी तक निर्मोही अखाड़ा, रामलला, हिंदू महासभा के वकील अपनी दलीलें रख चुके हैं।

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