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अयोध्या : साकेत महाविद्यालय के छात्रों पर देशद्रोह के सभी मुकदमें, फर्जी साबित 

अपने छात्र हक़ की लड़ाई के लिए छात्र यदि सड़क पर उतरते हैं या अपने महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में संवैधानिक तरीके से परिसर में विरोध प्रदर्शन करते हैं तो क्या यह इस बात का संकेत है कि वे देशद्रोही हैं!

एक ताज़ा मामला अयोध्या स्थित कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय का है जहां लगभग पिछले दो वर्षों से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं और समय-समय पर कई छात्र संगठन मिलकर  परिसर में शान्ति पूर्ण प्रदर्शन कर छात्र संघ चुनाव को शीघ्र कराने की मांग करते रहे हैं।

 

साकेत महाविद्यालय का पूरा मामला क्या है ?

 

इस मामले की शुरुआत होती है 15 दिसम्बर 2020, दिन मंगलवार को कामता प्रसाद सुन्दर लाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या में कैंपस के कुछ छात्र, करीब दो वर्षों से लंबित छात्र संघ चुनाव को जल्द कराने की मांग कर रहे थे। दोपहर 2 बजे यह तय हुआ कि सभी छात्र महाविद्यालय के वर्तमान प्रधानाचार्य डॉ एन.डी. पांडेय से बातचीत कर आगे की योजना तैयार करेंगे।

जहां यह तय हुआ कि धरना प्रदर्शन आगे भी तब तक जारी रहेगा जब तक छात्र संघ चुनाव की तारीख तय नहीं हो जाती। हुआ भी यही, 16,17,18,19 और 20 दिसम्बर 2020 तक छात्रों ने अपनी मांग को जारी रखते हुए आमरण अनशन किया। लेकिन इस बीच दो घटनाएं ऐसी घटी जिसके चलते महाविद्यालय के छः छात्रों पर देशद्रोह तक के फर्जी मिकदमें दर्ज हो गए।

 

वायरल वीडियो का सच

 

दरअसल प्रधानाचार्य , स्थानीय पुलिस और छात्रों के बीच मान-मनौव्वल के बीच एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें 16 दिसम्बर की दोपहर में कुछ छात्र चीफ प्रॉक्टर  के कार्यालय के समक्ष अपनी उपर्युक्त मांग को लेकर धरना देते हुए नारेबाजी कर रहे हैं। जिसमें से एक छात्र शेष नारायण पांडेय, जो कि बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं, उन्होंने नारा लगाना शुरू किया कि,”प्रधानाचार्य से लेके रहेंगे आज़ादी, चीफ़ प्रॉक्टर से लेकर रहेंगे आज़ादी…….आदि।”

 

(viral video: source: Internet)

अब इस वीडियो और नारेबाजी में छात्र हित विरोधियों को या यूं कहें कि इन छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वालों को कौन सी हरकत देशद्रोह की लगी, यह तो वही बता सकते हैं। इस वीडियो पर महाविद्यालय प्रशासन द्वारा की गयी कार्यवाही को देखकर ऐसा लगता है कि आज़ादी शब्द सुनते ही, धारा 124-A का जबरन दुरूपयोग करना आजकल ट्रेंड में है।

इस पूरे मामले में छः छात्रों के खिलाफ तीन बड़ी गम्भीर धाराएं  लगाई गई जिनमें धारा 124-A,147,507 शामिल हैं। उन छः छात्रों के नाम जिनपर यह गम्भीर आरोप लगे हैं,सुमित तिवारी,शेष नारायण पांडेय, इमरान हाशमी, सात्विक पांडेय,मोहित यादव और मनोज मिश्रा हैं।

इन सभी के खिलाफ महाविद्यालय प्रशासन की ओर से एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। आपको बता दें कि का.सु. साकेत महाविद्यालय , रामजन्मभूमि परिसर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर ही स्थित है।

ऐसे में इस पूरे क्षेत्र को सुरक्षा की दृष्टि से काफ़ी संवेदनशील माना जाता है एवं पुलिसकर्मियों का आवा-गमन एवं पेट्रोलिंग नियमित रूप से यहां होता रहता है।

इस मामले पर छात्रों ने क्या कहा ?

 

महाविद्यालय की पुरातन छात्र मिनाक्षी उपाध्याय की मानें तो 15 दिसम्बर से 20 दिसम्बर 2020 के बीच इन छात्र संगठनों के प्रदर्शन के दौरान प्रधानाचार्य डॉ एन.डी. पांडेय ने छात्रों की बात मानकर डॉ रामनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रविशंकर सिंह को फोन भी किया था लेकिन उन दोनों के बीच छात्र चुनाव के संबंध में कोई सटीक संवाद नहीं हो पाया था।

(File Photo : Meenakshi Upadhyay)

मीनाक्षी उपाध्याय जो कि पूर्व उपाध्यक्ष प्रत्याशी भी रह चुकीं हैं ,वे पूरे प्रदर्शन के दौरान काफी सक्रियता से इस पूरे मामले पर नजर बनाये हुए थीं उनका स्पष्ट कहना है कि, ‘सभी छात्रों पर जबरन मुकदमा दर्ज किया गया है।  मामला किसी दिन का है और मुकदमें में बयानबाजी किसी दिन की लिखवाई गयी है यानी की लगभग सभी मुकदमें बैक डेट में दर्ज कराये गए हैं। इतना ही नहीं जिन धाराओं पर मुकदमा दर्ज किया गया है वह सब झूठे आरोप हैं। मैं प्रत्यक्ष दर्शी हूँ कि वहां किसी भी छात्र संगठन के किसी भी छात्र ने असंवैधानिक कार्य नहीं किया।’

शेष नारायण पांडेय जो कि बीए थर्ड ईयर के छात्र हैं और जिनपर इस मामले में मुकदमा दर्ज है उन्होंने ‘दि संडे पोस्ट’ से बातचीत के दौरान बताया कि,’हमें इस बात का बेहद दुःख है कि छात्र हित में आवाज़ उठाने के लिए हम पर गंभीर आरोप लगाए लगये हैं। हमारे नारेबाजी को जबरन देश विरोधी साबित करने की कोशिश की गयी। हालाँकि पुलिस प्रशासन ने हम पर से देशद्रोह का मुकदमा कल देर शाम यानी की 28 दिसम्बर को वापस ले लिया है।क्योंकि उन्हें हमारे खिलाफ किसी तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला।’

(File Photo : Shesh Narayan Pandey)

बिना किसी सबूत के हम पर इतना गंभीर आरोप क्यों लगाया गया? : शेष नारायण

शेष नारायण  ने आगे कहा कि,’अब मैं महाविद्यालय के प्रशासन से पूछना चाहता हूँ कि बिना किसी सबूत के हम पर इतना गंभीर आरोप क्यों लगाया गया? क्या इससे पूरे देश में महाविद्यालय के छात्रों की छवि धूमिल नहीं हुई ? मैं यह बताना चाहता हूँ कि भले ही अन्य मुकदमें हम पर अभी भी चल रहे हैं जैसे धारा 7,धारा 147,507आदि लेकिन हम इससे डरने वाले नहीं। क्योंकि हमें एक साजिश के तहत झूठे आरोप लगाकर फंसाया गया है। और मैं महाविद्यालय प्रशसन के खिलाफ चुप नहीं बैठूंगा , हम छात्र उनपर मानहानि का केस जरूर दर्ज करवायेंगें।’

शेष नारायण ने यह भी बताया कि हमने अयोध्या  के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को भी इस बाबत फोन किया था और उनसे आग्रह किया गया था कि रात-दिन चल रहे इस अनशन के दौरान महाविद्यालय प्रशासन की ओर से हमें ठंड से बचने के लिए कोई सुविधा या अलाव नहीं मुहैया कराया गया है , अतः आप अलाव या जलाने के लिए सूखी लकड़ी उपलब्ध करा दें। शेष नारायण का कहना है कि हमें मेयर साहब की ओर से भी आश्वाशन दिया गया था कि इस बाबत हमारी मदद की जाएगी।

‘हमारे साथ धोखा हुआ है। किसी भी छात्र ने परिसर में किसी तरह का भी उपद्रव नहीं मचाया। न ही हमने महाविद्यालय के किसी चल-अचल सम्पत्ति को किसी प्रकार नुकसान पहुँचाया।’ : मोहित यादव

 

File Photo : Mohit Yadav

(File Photo : Mohit Yadav)

मुकदमें में नामजद एक और छात्र मोहित यादव जो कि एमए के छात्र हैं उनका इस पूरे मामले में कहना है कि,’हमें प्रधानाचार्य से इस मामले के समाधान के लिए बार-बार नई तारीख मिल रही थी।  हमें कहा गया था कि 28 दिसम्बर को छात्र संघ चुनाव की तारीख बता दी जाएगी।जिसके उपरांत हम सभी छात्र 28 तारीख का इंतज़ार कर रहे थे।  लेकिन उससे पहले हमें अचानक शायद 24 दिसम्बर को यह पता चलता है कि मुझे मिलकर कुल छः छात्रों पर देशद्रोह के साथ अन्य धाराओं पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।’

वे (छात्र) आज़ादी के नारे लगा रहे थे : प्रधानाचार्य डॉ एन. डी. पांडेय

वहीं दूसरे पक्ष का माने तो महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ एन. डी. पांडेय ने एक मीडिया संस्थान को इस मामले के बारे में बताते हुए अपने बयान में कहा है कि,’वे (छात्र) आज़ादी ’के नारे लगा रहे थे, वे देश को जलाकर विद्रोह और हिंसा से आज़ादी लेना चाहते थे। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने कर्तव्य का उल्लेख करते हुए,मैंने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की है।’

डॉ एनडी पांडे ने कहा कि “16 दिसंबर को कॉलेज परिसर के अंदर ‘ले के रहेंगे आज़ादी’ जैसे अभद्र और देश विरोधी नारे लगाए गए थे। रामजन्मभूमि स्थल पर कॉलेज की निकटता को देखते हुए, उन्होंने कहा कि वे इस तरह के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की अनुमति नहीं दे सकते ,यही नारे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगाए गए थे।’

इस पूरे मामले पर अयोध्या पुलिस की ओर से डीएसपी आर के राय का बयान सामने आया है,जारी वीडियो में कहा गया है कि साक्ष्य न उपलब्ध होने के कारण सभी छात्रों पर से देशद्रोह की धारा हटा ली गयी है। लेकिन अन्य धाराओं पर जांच अभी जारी है। भारी दबाव के बाद फिलहाल महाविद्यालय की प्रशासन ने छात्र संघ चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। जानकारी के अनुसार आगामी 10 फरवरी 2020 को छात्र संघ के चुनाव होने हैं।

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