बिजली का बिल ,फ़ोन बिल , ओटीटी प्लेट फॉर्म बिल या और किसी अन्य डिजिटल सब्सक्रिप्शन के लिए ऑटोमेटिक पेमेंट का ऑप्शन सेट किया हुआ था तो अप्रैल से आपकी ये परेशानी बढ़ सकती थी। क्योंकि रिजर्व बैंक की Additional Factor Authentication के लिए नई गाइडलाइंस को लागू करने की डेडलाइन 31 मार्च 2021 आज खत्म हो रही थी ।लेकिन अब ग्राहकों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरबीआई ने एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन के लिए नई गाइडलाइंस की समय सीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है
31 मार्च 2021 से समाप्त होने वाला था ऑटोमेटिक पेमेंट सिस्टम , ग्राहकों को होने वाला था फायदा
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने चेतावनी दी थी। कि लाखों कस्टमर्स जिन्होंने पेमेंट करने की ऑटोमेड सुविधा ले रखी हैं वे 1 अप्रैल के बाद बंद हो सकती थी ऐसा इसलिए क्योंकि कई बैंकों ने e-mandates के लिए RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग, मॉडिफिकेशन और विद्ड्रॉल को एक्टीवेट करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं. , जबकि आरबीआई के मुताबिक UPI से पेमेंट में कोई दिक्कत नहीं होगी| . लेकिन नेटफ्लिक्स, वोडाफोन आईडिया, टाटा पावर, ऐमज़ॉन जैसी कंपनियां जिसको गूगल पेमेंट के माध्यम या अन्य माध्यम से पेमेंट होती हैं वे सब प्रभावित हो सकती हैं.
क्या हैं नए नियम
RBI के नए नियम के अनुसार बैंकों को ऑटोमैटिक पेमेंट की तारीख से 5 दिन पहले ग्राहक को एक नोटिफिकेशन भेजना होगा,जब तक ग्राहक उस पेमेंट की मंजूरी नहीं देता तब तक पेमेंट नहीं होगा | अगर पेमेंट 5000 रुपये से ज्यादा है तो बैंकों को कस्टमर को एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) भी भेजना होगा. RBI ने कस्टमर्स की सुरक्षा को देखते हुए ये कदम उठाया है.
बैंको ने जताई असमर्थता
RBI ने बैंकों को दो सर्कुलर जारी किए थे – ‘नॉन-बैंक प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट इशूअर्स’, और ‘ऑथोराइज्ड कार्ड पेमेंट नेटवर्क्स फॉर प्रोसेसिंग ऑफ़ ई-मैनडेट्स’.इन दोनों नियमो का 31 मार्च 2021 तक इन निर्देशों का पालन किया जाना है. जिसको लेकर बैंको ने असमर्थता जताई हैं रिपोर्ट के मुताबिक़ SBI, HDFC, ICICI बैंक सहित अमेरिकन एक्सप्रेस और मास्टरकार्ड जैसे ऑपरेटर्स ने मानक निर्देशों की प्रक्रिया को पूरा करने में असमर्थ है.बैंको और वेंडर्स ने यूजर्स को अन्य वैकल्पिक पेमेंट्स के तरीके सुझाए हैं. IAMAI ने कहा है कि अधिकतर शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के पास अपग्रेड करने की क्षमता नहीं है. जिसकी वजह से इस इकोसिस्टम के भागीदार जैसे कार्ड नेटवर्क वगैरह इस सर्कुलर का पालन करने में खुद को सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.जिसका नतीजा ये होगा कि 1 अप्रैल से डेबिट या क्रेडिट कार्ड से होने वाला ऑटोमैटिक मासिक रेकरिंग पेमेंट बंद हो सकता है.
इसके पहले रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों, पेमेंट गेटवे और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा था कि वो कार्ड डिटेल्स को परमानेंट स्टोर नहीं करें,जिससे साइबर क्राइम की घटना बढ़ रही हैं RBI ने ये कदम Juspay और नियो बैंकिंग स्टार्टअप Chqbook में डाटा लीक की घटनाओं के बाद उठाया है.