कैद में केजरीवाल
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को राजनीतिक दल में तब्दील करने वाले अरविंद केजरीवाल कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में आ चुके हैं। जिस कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के खिलाफ आप प्रमुख ने आंदोलन कर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी उन सभी का समर्थन मौजूदा समय में उन्हें मिल रहा है। ‘आप’ समर्थक समेत विपक्षी दल उनको प्रवर्त्तन निदेशालय द्वारा हिरासत में लेना लोकतंत्र पर आघात मान रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा केजरीवाल की गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार पर प्रहार बता रही है
एक वक्त मोदी मैजिक का तोड़ माने जाने वाले अरविंद केजरीवाल को ईडी ने कथित शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। ईडी द्वारा गिरफ्तारी की तलवार मुख्य्मंत्री पर लंबे समय से लटक रही थी। 21 मार्च को जब दिल्ली हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री को राहत नहीं मिली तो मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी निश्चित हो गई थी। उसके बाद इसी दिन देर रात दसवां समन भेज ईडी ने उनके घर की तलाशी ली और करीब दो घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को हिरासत में ले लिया। इसके अगले दिन 22 मार्च को ईडी ने राउज एवन्यू की एक अदालत में मुख्यमंत्री को पेश किया। जहां ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल ‘शराब घोटाला मामले में मुख्य ‘षड्यंत्रकर्ता’ हैं और इसीलिए उन्हें दस दिनों की रिमांड दी जाए। लेकिन ईडी की इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेजा। इसके उपरांत गिरफ्तारी से राहत पाने के लिए आम आदमी पार्टी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। 27 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया। इस बीच 28 मार्च को राउज एवन्यू कोर्ट में ईडी ने केजरीवाल को दोबारा पेश किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद केजरीवाल को फिर से 4 दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया है।
किसी भी समन पर ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए केजरीवाल दसवें समन बाद गिरफ्तारी ने आम चुनाव से पहले देश की राजनीति को गर्माने का काम कर दिखाया है। गौरतलब है कि आप प्रमुख केजरीवाल को कथित आबकारी घोटाले में पहला समन 2 नवम्बर 2023 को भेजा गया था। इस समन पर वे पेश नहीं हुए ,ऐसा करने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा था कि यह नोटिस गैर-कानूनी और राजनीति से प्रेरित है। दूसरा समन 21 नवंबर भेजा गया इसे लेकर केजरीवाल द्वारा कहा गया कि व्यक्तिगत पेशी के लिए उनके खिलाफ ये समन जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि नोटिस कानून के अनुरूप नहीं है और उसे वापस लिया जाना चाहिए। इसी साल 3 जनवरी को भेजे गए समन उन्होंने कहा कि ईडी के समन में यह स्पष्ट नहीं है कि उसने मुझे व्यक्तिगत तौर पर या दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर या फिर आम आदमी के संयोजक के तौर पर बुलाया है। 18 जनवरी 2024 को भेजे गए चौथे समन में कहा गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकने के लिए ये पूरी एक राजनीतिक साजिश रची गई है। 2 फरवरी को भेजे गए पांचवें समन को भी पहले की तरह केजरीवाल ने गैरकानूनी बताया। छठा समन जो कि 19 फरवरी को भेजा गया उसे लेकर आप प्रमुख द्वारा कहा गया कि ईडी के समन की वैधता का मामला अब कोर्ट में है। यह पूरा मामला कोर्ट में पहुंच गया है और ईडी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसके बाद जब ईडी ने 26 फरवरी को सातवां समन भेजा तो केजरीवाल ने यह कह कर नकार दिया कि क्या ईडी या केंद्र सरकार को कोर्ट पर भरोसा नहीं है? उन्हें कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए और उसके आदेश का इंतजार करना चाहिए। चार मार्च को ईडी ने आठवां समन भेजा इस समन पर भी केजरीवाल पेश नहीं हुए। इसके बाद 21 मार्च को ईडी द्वारा समन भेजा गया। इस समन में उन्हें 21 मार्च 2024 को पेश होना था,लेकिन वे इसमें भी पेश नहीं हुए।
दिल्ली शराब घोटाले की कहानी
ईडी ने अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाला मामले में कानून धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत हिरासत में लिया है। इस एक्ट के तहत आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल होता है। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के उदेश्य से इस कानून को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था। कथित शराब घोटाला मामला यह है कि 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार द्वारा राज्य में नई शराब नीति लागू की गई। इसके लिए दिल्ली में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को निजी हाथों में दे दिया गया। इस नीति के लागू होने के बाद 100 फीसदी दुकानें प्राइवेट हो गईं। इसे लेकर दिल्ली सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि राज्य सरकार को इससे 3 हजार 500 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपये चुकाने पड़ते थे और नई शराब नीति लागू होने के बाद ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसके बाद सीधे तौर पर जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने के आरोप केजरीवाल पर लगे हैं। वहीं कहा जा रहा है कि बड़े शराब कारोबारियों को इसमें फायदा हुआ है। दिल्ली सरकार ने बड़े शराब कारोबारियों के साथ मिलकर उन्हें फायदा पहुंचाया। शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें भी आईं। इस पूरे मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सीबीआई जांच की भी सिफारिश की थी। इस प्रकार दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि जब कई सारे सवाल इस नीति पर उठने लगे तो इसे रद्द कर दिया गया।
चौतरफा आरोपों के घेरे में आप
दिल्ली सरकार न केवल कथित शराब घोटाले के आरोपों से घिरी हुई है, बल्कि वो जासूसी कांड, जल बोर्ड घोटाला, स्कूल रूम घोटाला, मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण घोटाला, श्रम विभाग गैर निर्माण श्रमिक पंजीकरण घपला, मोहल्ला क्लीनिकों में इलाज और जांच में फर्जीवाड़े के आरोपों से भी घिरी हुई है। साल 2015 में सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने अपने सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए फीड बैक यूनिट बनाई थी। आरोप है कि इसके माट्टयम से राजनीतिक जासूसी कराई गई थी। इस मामले की जांच कर सीबीआई ने कहा था कि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा एफबीयू ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र की थी। एफबीयू की स्थापना 2015 में की गई थी। इस यूनिट के गोपनीय सेवा व्यय के लिए एक करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। सीबीआई दिल्ली सरकार की फीड बैक यूनिट मामले की जांच कर रही है।
गिरफ्तारी पर उठते सवाल
लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को विपक्ष समेत आप समर्थक इसे लोकतंत्र का हनन मान रहे हैं। ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद जब राउज एवन्यू कोर्ट में केजरीवाल को पेश किया गया तब उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी के एक्शन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि- ईडी कहती है कि उनके पास मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत थे, तो फिर आपने गिरफ्तारी के लिए आचार संहिता लागू होने तक इंतजार क्यों किया? क्या आप इसका इंतजार कर रहे थे? चुनाव में भाग लेना एक राजनेता का अधिकार है? वहीं केजरीवाल के दूसरे वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को जिस तरह से गिरफ्तार किया गया है, उससे ईडी की जल्दबाजी पता चल रही है, जबकि ईडी के पास केजरीवाल को लेकर कोई सबूत नहीं है। इन सवालों का जवाब देते हुए ईडी ने कहा कि केजरीवाल अकेले जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि उनके सहयोगी भी जिम्मेदार हैं। आम आदमी पार्टी एक कंपनी की तरह है और यह उसके संयोजक हैं। वहीं केजरीवाल के पक्ष में दलील दे रहे सिंघवी ने कहा कि जांच में शामिल अब तक 50 फीसदी लोगों ने केजरीवाल का नाम नहीं लिया है, वहीं 82 फीसदी लोगों ने केजरीवाल के साथ किसी डीलिंग का जिक्र नहीं किया है।
केजरीवाल के वकीलों ने ईडी के रिमांड प्रार्थना पत्र को खारिज करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वकीलों ने तर्क था कि जब ईडी कहती है कि उन्हें पूछताछ के लिए रिमांड चाहिए। इसका मतलब है कि ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं और वह पहले ही यह मान चुकी है कि केजरीवाल अपराध में दोषी हैं। वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की ओर से कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि घोटाला और धोखाधड़ी हुई है। आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव हेतु फंड जुटाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव किया था, हमारे पास यह दिखाने के लिए ठोस सबूत हैं कि दिल्ली की आबकारी नीति को केवल गोवा चुनावों के लिए धन जुटाने के लिए किया गया है। इसके अलावा ईडी ने कहा कि इस मामले को छुपाने के लिए भारी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिस की गई है, इसके बावजूद ईडी ने शानदार जांच की है। ईडी के अनुसार जांच की कई परतें हैं, इस मामले में तह तक जाने के लिए केजरीवाल की रिमांड जरूरी है। केजरीवाल की रिमांड पाने के लिए ईडी ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि सरकारी गवाह के बयान को खारिज नहीं किया जा सकता। ईडी ने कहा हमने इस मामले में जो नया बयान दर्ज किया है, वह गोवा से एक आप उम्मीदवार का है, जो मार्च 2024 में दर्ज किया गया है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में खुलासा किया कि विजय नायर के निर्देश पर उसने 31 करोड़ रुपए दिए थे। केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनाव के लिए फंडिंग चाहते थे। ईडी ने कहा गोवा चुनाव में 45 करोड़ रुपए का इस्तेमाल हुआ है। अपराध की आय में न केवल 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली गई है, बल्कि रिश्वत देने वालों द्वारा कमाया गया मुनाफा भी शामिल है। यह 600 करोड़ रुपये से अधिक था। अरविंद केजरीवाल के वकील अनुसार चुनाव के लिए नॉन लेवल फील्ड बनाया जा रहा है। सभी बड़े नेता जेल में हैं, चुनाव नजदीक हैं, इससे संविधान की मूल संरचना प्रभावित होती है और इसका सीधा असर लोकतंत्र पर पड़ता है। सिंघवी ने कहा कि लोकतंत्र में समान अवसर होने चाहिए, केजरीवाल को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है। ईडी का अब नया तरीका है,पहले गिरफ्तार करो, फिर उनको सरकारी गवाह बनाकर मनमुताबिक बयान हासिल करो। इसके लिए उन्हें जमानत भी मिल जाती है।
लोकतंत्र पर प्रहार बनाम भ्रष्टाचार पर प्रहार
अरविंद केजरीवाल के समर्थन में और उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने एक स्वर में तीखी आलोचना की है। लगभग सभी विपक्षी नताओं और पार्टियों ने उनके साथ एकजुटता दिखाई है। एकजुटता दिखाने का एक कारण यह भी हो सकता है कि विपक्ष के मौजूदा इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी एक घटक दल है और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली समेत कई राज्यों में कांग्रेस के साथ उसकी सीट साझेदारी भी हो चुकी है।
केजरीवाल को मिला इंडिया गठबंधन का साथ
विपक्षी गठबंधन ने ईडी द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को एजेंसियों का दुरुपयोग बताया है। उन्होंने कहा विरोधियों की आवाज दबाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसका पहला उदाहरण कांग्रेस के साथ देखने को मिला। उनका खाता फ्रीज कर उनके प्रचार पर पानी फेरा गया। पहले झारखण्ड के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया, अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। हम इसका विरोट्टा करते हैं। यह लोकतंत्र पर आया हुआ संकट है। ऐसा इमरजेंसी के समय भी नही हुआ था, आपातकाल के समय जिस तरह से लोगों ने ताकत दिखाई थी, ठीक वैसे ही शक्ति आगामी चुनाव में दिखानी होगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘‘डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है। मीडिया समेत सभी संस्थाओं पर कब्जा, पार्टियों को तोड़ना, कंपनियों से हफ्ता वसूली, मुख्य विपक्षी दल का अकाउंट फ्रीज करना भी असुरी शक्ति के लिए कम था, तो अब चुने हुए मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी भी आम बात हो गई है। इंडिया गठबंधन इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि चुनाव के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस तरह टारगेट करना एकदम गलत और असंवैधानिक है। राजनीति का स्तर इस तरह से गिराना न प्रधानमंत्री जी को शोभा देता है, न उनकी सरकार को। अपने आलोचकों से चुनावी रणभूमि में उतरकर लड़िये, उनका डटकर मुकाबला करिए, उनकी नीतियों और कार्यशैली पर बेशक हमला करिए – यही लोकतंत्र होता है। इसके अलावा टीएमसी प्रमुख ममता बैनर्जी ने भी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा ‘जो खुद हैं शिकस्त के खौफ में कैद’ ,‘वो’ क्या करेंगे किसी और को कैद। भाजपा जानती है कि वो फिर दोबारा सत्ता में नहीं आने वाली, इसी डर से वो चुनाव के समय, विपक्ष के नेताओं को किसी भी तरह से जनता से दूर करना चाहती है, गिरफ्तारी तो बस बहाना है, ये गिरफ्तारी एक नयी जन-क्रांति को जन्म देगी। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस केस की दो साल से जांच चल रही है। लेकिन सीबीआई या ईडी अब तक एक रुपये की भी रिकवरी नहीं कर पाई हैं। इस केस में पांच सौ से ज्यादा अफसर लगे हुए हैं। हजार से ज्यादा छापे मारे गए हैं। लेकिन उसके बावजूद आज तक एक रुपया नहीं मिला तो आज लोकसभा का चुनाव ऐलान होने के बाद अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी एक राजनीतिक साजिश है।