पाबिबेन रबारी यह वह नाम है जो कई वर्षो से गुजरात के कच्छ इलाके में हर महिला की जबान पर है। कल रबारी अचानक उस समय सुर्खियों में आ गई जब कौन बनेगा करोड़पति ( केबीसी ) में उसने 25 लाख रुपए जीते। अमिताभ बच्चन ने इस महिला की समाजसेवा को सलाम किया। आखिर रबारी की कहानी है ही ऐसी की हर कोई उनके साहस , जज्बे और समाजसेवा को सैल्यूट करे बिना नहीं रह सकेगा।
पाबिबेन रबारी एक ऐसी महिला है जो कभी एक रूपये में पानी भरने का काम किया करती थी। लेकिन आज वह ढाई लाख महिलाओं को रोजगार देकर लेडी आइकॉन बन चुकी है। उसके बनाए हुए डिजाइनर कपडे और बैग आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में धूम मचा रहे है। आज उन्होंने अपने हुनर के बल पर 20 लाख रुपए सालाना के टर्नओवर का बिज़नेस खड़ा कर दिया है। पाबिबेन रबारी को इस काम के लिए कई जगह सम्मानित किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
गुजरात के कच्छ जिले के छोटे से गांव भदरोई की रहने वाली है पाबिबेन रबारी। जिन्हे1998 में अपनी माँ के सहयोग से एक पारंपरिक कला संस्था के साथ काम करने का मौका मिला। जहां उन्होंने इस कला को ”हरी-जरी” नाम दिया और धीरे-धीरे पाबिबेन रबारी ने ‘हरी-जरी’ नाम की कढ़ाई करने में महारत हासिल की। पाबिबेन ने काफी लंबे समय इस संस्था के साथ काम किया, जहां उन्हें 300 रूपये तनख्वाह मिलती थी। याद रहे कि इससे पहले पाबिबेन रबारी लोगो के घरो में पानी भरने का काम किया करती थी। इस एवज में उसको प्रत्येक घर से एक रुपया मिलता था।
पाबिबेन जैसे अपने कला को लेकर आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उनकी शादी हो गई। इस दौरान उनकी शादी में कुछ विदेशी लोग भी आए, जिन्हें हाथ से बनाए खास तरह के बैग भेंट में दिये गये। विदेशी लोगों को पाबिबेन का ये भेट बेहद ही पसंद आया। विदेशी लोगों ने पाबिबेन के इस बैग को ‘पाबिबैग’ का नाम दे दिया। विदेशियों की इस तारीफ के बाद पाबिबेन के ससुराल वालों ने भी उनका साथ दिया।
इसके बाद गांव की महिलाओं के साथ मिलकर पाबिबेन ने अपनी फर्म बनाई जिसका नाम “पाबिबेन डॉट कॉम” रखा। उनके इस फर्म को पहला आर्डर 70 हज़ार का मिला। जबकि आज कपनी का सालाना टर्नओवर 20 लाख रूपये तक पहुंच चुका है। उनकी मेहनत और काम को देखते हुए सरकार ने उन्हें 2016 में ग्रामीण एंटेपेन्योर बन कर औरों को मदद करने के लिए ‘जानकी देवी बजाज’ पुरस्कार से नवाजा है।