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असम-मेघालय में फिर बढ़ा सीमा विवाद

पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। बीते दिन इसी बढ़ती हिंसा को देखते हुए मेघालय सरकार ने अपने राज्य के 7 जिलों में मोबाईल इंटरनेट बंद कर दिए थे। इसके बाद भी अब तक हिंसा के इन मामलों पर रोक नहीं लगाई जा सकी है।

 

गौरतलब है कि असम-मेघालय की सीमा पर अवैध रूप से लकड़ी ले जा रहे लकड़ी के ट्रकों को रोकने के कारण यह हिंसा भड़क उठी। जिसमें एक वन रक्षक सहित छह लोगों की मौत हो गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनहोंने लकड़ी ले जा रही ट्रक को मेघालय सीमा पर असम वन विभाग की टीम ने सुबह करीब तीन बजे रोका। जैसे ही ट्रक ने भागने की कोशिश की, वन रक्षकों ने उस पर फायरिंग कर दी और उसका टायर पंचर कर दिया। जिसमें 2 लोगों को तो पकड़ लिया गया लेकिन और लोग भागने में कामयाब रहे। वन विभाग ने इस बात की जानकारी जिरिकेंडिंग पुलिस थाने में दर्ज कराई। जब पुलिस वहां पहुंची तो वहां मेघालय के करीब 300 लोग कटार व अन्य कई प्रकार के हथियार लिए खड़े थे। जो गिरफ्तार किये गए दोनों लोगों को रिहा की मांग कर रहे थे। पुलिस द्वारा उनकी यह मांग स्वीकार न करने पर भीड़ ने उन्हें चारो तरफ से घेर लिया। मामले को शांत करने और बचाव के लिए पुलिस को गोलियां चलनी पड़ी जिसके कारण वहां उपस्थित 6 लोगों की गोली लगने के कारण मौत हो गई। गौरतलब है कि इन दोनों राज्य के बीच सीमा विवाद ने पहली बार हिंसात्मक रूप नहीं लिया है। साल 1972 में असम से काट कर अलग राज्य मेघालय का गठन होने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा है ओर आय दिन ये विवाद के हिंसात्मक रूप धारण कर चूका है। इन दोनों राज्यों के बीच कुल 12 जगहों को लेकर विवाद है।

 

पिछले 50 सालों से जारी है ये सीमा विवाद 

 

वर्ष 1972 में मेघालय को असम से अलग करके एक नया राज्य बनाया गया , जिसकी सीम करीब 884.9 किलोमीटर लम्बी है। लेकिन मेघालय के गठन के बाद से ही इन दोनों राज्यों के बीच सीमाओं को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। क्योंकि मेघालय असम के कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है। वह इलाके शुरू से ही असम के कब्जे में है। दोनों राज्यों ने एक नीति अपना रखी है, जिसके तहत कोई भी राज्य दूसरे राज्य को बताए बिना विवादित इलाकों में विकास योजनाएं शुरू नहीं कर सकता। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी। उक्त अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे, उस पर मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था।  सीमा पर दोनों पक्षों के बीच अक्सर झड़पें होती रही हैं। साल 2021 के जुलाई माह में असम के कछार जिले में असम और मेघालय पुलिस के कर्मियों के बीच सशस्त्र संघर्ष हुआ था। असम पुलिस के छह कर्मी मिजोरम के पुलिसकर्मियों के साथ हुए संघर्ष में मारे गए थे, जिसके बाद केंद्र सरकार को भी मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था। नतीजतन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के विस्थापन के साथ ही जान-माल का भी नुकसान हुआ है। इस मुद्दे पर अतीत में कई समितियों का गठन किया गया और दोनों राज्यों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई  लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। सीमा विवाद की जांच और उसे सुलझाने के लिए 1985 में वाईवी चंद्रचूड़ समिति का गठन किया गया था।  लेकिन उसकी रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है।  इस साल मेघालय के गठन को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं।

 

6 सीमा विवादित क्षेत्रों के बीच समझौता

 

असम मेघालय के बीच सीमा विवाद को रोकने के लिए दोनों राज्यों के अलावा केंद्र सरकार ने भी कई प्रयास किये हैं। कुछ समय पहले ही इन विवादों को खत्म करने के प्रयास में असम और मेघालय सरकार ने मिलकर सीमा विवाद निपटान समितियों का गठन किया। समिति ने 12 में से छह विवादित स्थलों पर विचार किया , जिनमें ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बकलापारा, खानापारा-पिलिंगकाटा और रातचेरा शामिल हैं। इसके बाद समिति द्वारा इन सभी क्षेत्रों में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। लेकिन हिंसा को पूर्ण रूप से खत्म करने में दोनों राज्यों कि सरकार अभी भी असमर्थ हैं।

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