असम में एनआरसी डाटा को लेकर एक नई खबर आ रही है। असम के सभी जिलाधिकारियों को चिट्ठी भेजी गई है। चिट्ठी में बताया गया है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन सूची में गलत तरीकों से नाम ‘शामिल करने और बाहर करने’ के कारण इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के को-ऑर्डिनेटर हितेश देव शर्मा हैं। उन्होंने ही असम के सभी डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स को 19 फरवरी को पत्र लिखा है। उन्हें एनआरसी में संदेहास्पद नामों के शामिल होने की बात कही है। पत्र में कहा गया है कि संदिग्ध मतदाताओं के नाम एनआरसी में गलत तरीके से जोड़ लिए गए हैं। फाइनल एनआरसी की सूची में अयोग्य लोगों का नाम शामिल किया गया है।
Assam NRC Coordinator has written a letter to Registrars of Citizen Registration of all districts, over 'names of ineligible persons found in final NRC'. Letter states, "You are requested to share details of such persons who are ineligible for inclusion in NRC but were included". pic.twitter.com/C0PIccAwa8
— ANI (@ANI) February 21, 2020
पत्र के मुताबिक, सभी डिप्टी कमिश्नर को उन अयोग्य लोगों की जानकारी मुहैया कराने को कहा गया है, जिनके नाम एनआरसी में शामिल कर लिए गए हैं। और इसकी जानकारियां देने के लिए सिर्फ एक दिन का समय दिया गया था। इस पत्र क जवाब में डिप्टी कमिश्नरों ने क्या जवाब दिया है, अभी इसकी जानकारी नहीं है।
हितेश देव शर्मा ने कहा है कि यह उनकी जानकारी में आया है कि 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद, अयोग्य व्यक्तियों के कुछ नाम पाए गए हैं। जिसमें विशेष रूप से संदिग्ध मतदाताओं, घोषित विदेशियों और उन व्यक्तियों के नाम शामिल कर लिए गए हैं। ये मामले फॉरन ट्रिब्यूनल में लंबित हैं। चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों की एक सूची पहले ही डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स को साझा की जा चुकी है।
आपको बता दें कि 12 फरवरी को असम एनआरसी का पूरा डेटा ऑफलाइन यानी साइट से हटा दिया गया था। क्योंकि डेटा स्टोर करने वाली कंपनी विप्रो को उसकी फीस का भुगतान नहीं किया गया था। जानकारी के मुताबिक, एनआरसी का वह सारा डेटा जिसे देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का नाम इसमें है या नहीं।
पिछले साल 31 अगस्त को फाइनल एनआरसी लिस्ट प्रकाशित की गई थी। उसके बावजूद अभी तक उनमें से किसी भी व्यक्ति को उनकी अर्जी खारिज होने की स्लिप नहीं मिली है, जिनके नाम एनआरसी में नहीं आ पाए हैं। बता दें कि ये स्लिप मिलने के बाद ही कोई भी व्यक्ति इस मामले को चुनौती दे सकता है।
गौरतलब है कि एनआरसी के लिए अर्जी फॉर्म हासिल करने की प्रक्रिया मई 2015 के अंत में शुरू हुई थी। इसकी प्रक्रिया 31 अगस्त, 2019 को समाप्त हो गई। इसमें कुल 3 करोड़ 30 लाख 27 हजार 661 लोगों की तरफ से 68 लाख 37 हजार 660 अर्जियां आईं। इनकी जांच वगैरा के बाद कुल 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों के नाम फाइनल एनआरसी में शामिल होने के योग्य पाए गए थे। जबकि 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम एनआरसी में शामिल ही नहीं किए गए।
हालांकि बीजेपी असम के फाइनल एनआरसी के लिस्ट का विरोध कर रही है। क्योंकि उनके मुताबिक 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हुए हैं। उनमें से करीब 12 लाख हिंदू हैं। उनका कहना है कि फाइनल एनआरसी सही नहीं है। असम सरकार ने इसकी दोबारा पुष्टिकरण की मांग की है। असम पब्लिक वर्क्स ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पूरे एनआरसी की प्रक्रिया दोबारा कराने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस एनआरसी में 80 लाख विदेशी शामिल कर लिए गए हैं।जिनमें जिहादी भी हैं।