आशा पारेख ने अपने फ़िल्मी करियर के दौरान कई बेहतरीन फिल्मे की हैं। अपने समय में बॉलीवुड को एक नए आयाम तक पहुँचाया हैं। सिनेमा जगत में अपने श्रेष्ठ योगदान के चलते आशा पारेख को “दादा साहेब फाल्के “अवॉर्ड से सम्मानित करने के लिए चुना गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस अवार्ड को आशा पारीख को दिए जाने की जानकारी दी है।
गौरतलब है कि सिनेमा की सेवाओं के लिए उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से नवाजा जा चुका है। ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार हर साल दिया जाता है। ये पुरस्कार प्रतिवर्ष दादा साहब फाल्के के नाम पर इसलिए दिया जाता है क्योकि दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा के पिता के रूप में जाना जाता है। बीते वर्ष ये पुरष्कार सुपर स्टार रजनीकांत को दिया गया था और इस बार आशा पारेख को दिया जायेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाएगा सम्मानित
दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार 30 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक दादा साहेब फाल्के कमेटी के सदस्यों में मशहूर गायिका आशा भोंसले, अभिनेत्री हेमा मालिनी, अभिनेत्री पूनम ढिल्लो और गायक उदित नारायण झा शामिल हैं। इन सभी ने मिलकर कमेटी की बैठक की और इस साल इस पुरस्कार के लिए आशा पारेख को चुना है ।
आशा पारेख फ़िल्मी करियर
आशा पारेख ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकर के तौर पर की थी जब वे मात्र 10 साल की थी । उन्हें फिल्म निर्माता बिमल रॉय द्वारा फिल्म ‘मां ‘1952 में कास्ट किया गया था। इनका फिल्मी करियर 1960 और 1970 के दशक के बीच चरम पर था। बतौर लीड एक्ट्रेस उनकी पहली फिल्म थी ‘दिल देके देखो ‘ जो कि 1959 में बनी थी। मशहूर फिल्म निर्देशक नासिर हुसैन द्वारा आशा पारेख को लेकर कई फिल्में बनाईं गई है जैसे ‘जब प्यार किसी से होता है (1961)’, ‘फिर वही दिल लाया हूं (1963)’, ‘बहारों के सपने (1967)’, ‘तीसरी मंजिल (1966)’, ‘प्यार का मौसम (1969)’ ‘कारवां’ (1971) जैसी फिल्मों ने बॉलीवुड में सफलता हासिल की है। उनकी हिट फिल्मों में ‘दो बदन’ (1966), ‘चिराग’ (1969), ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978)’ और ‘कटी पतंग’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं। ‘कटी पतंग’ फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया था। सम्मानित किये जा रहे इस पुरस्कार से पहले आशा पारेख को 2001 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से और 2006 में अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यही नहीं वे 1998 से 2001 तक सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्य