“रक्षा बंधन पर प्रत्येक बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है और भाई सदैव बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है। हमारे भाई तो जी जान से अपना प्रण निभा रहे हैं तो फिर हम बहनों का भी धर्म है कि हम उस कलाई को सुरक्षित करें जो सदैव हमारी रक्षा के लिए तत्पर तैयार रहती है।”
यह कहना है आरूषी निशंक का। आरूषी केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की पुत्री है। आरूषी वैसे तो नृत्यांगना और कोरियोग्राफर है। लेकिन आजकल वह सिलाई मशीन पर दो-दो हाथ आजमा रही है। सिलाई मशीन पर आरूषी और उनके सहयोगियों ने अब तक 10 हजार खादी के मास्क खुद निर्मित किए हैं।
इन सभी मास्क को उन्होंने देश के सैनिक भाईयों को समर्पित किया हैं। इस तरह एक बहन जहां भाई की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का संकल्प लेती है ठीक उसी तरह आरुषी ने भी सैनिक भाईयों को नि:शुल्क मास्क वितरित करके उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया है।
आरुषि और उनकी संस्था ‘स्पर्श गंगा’ की ओर से 10 हजार खादी के मास्क बनाकर देश के सैनिकों को समर्पित किए गए है। इससे पहले आरूषी निशंक ने 10 अप्रैल को भी हजारों मास्क निशुल्क वितरण किए थे। दिल्ली से लेकर रुड़की और हरिद्वार एवं देहरादून तक उन्होंने लोगों में मास्क वितरण कर काफी लोकप्रियता बटोरी है।
फिलहाल आरुषी ने अब 10 हजार मास्क सेना को सौंप दिए हैं । आरुषि निशंक ने दिल्ली के आर्म्ड फोर्सेस क्लीनिक में जाकर भारतीय सेना को ये सभी मास्क सौपे। याद रहे कि आरुषि और उनकी संस्था के बनाए खादी मास्क का उपयोग धोकर एक से अधिक बार किया जा सकता है।
इस अवसर पर आरुषि निशंक ने कहा कि हम लॉकडाउन का पालन करते हुए घर पर रहकर कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे हैं । जबकि हमारे सैनिक सीमा पर दुश्मन और खतरनाक वायरस दोनों से एक साथ निपट रहे हैं।
गौर करने लायक बात यह है कि उनके पिता डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कुछ दिन पहले एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी कि उनकी बेटी आरुषि लॉकडाउन के दौरान किस तरह वक्त गुजार रही हैं।
केन्द्रीय मंत्री निशंक ने कहा था कि मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई कि मेरी बेटी आरुषि घर पर स्वयं खादी के मास्क बनाकर अपने स्टाफ के कर्मचारियों को वितरित कर रही है और उनको कोरोना वायरस से बचने के लिए सजग भी कर रही है। सैनिकों को मास्क देने से पहले आरुषि निशंक ने खादी के मास्क बनाकर अपने स्टाफ के सभी लोगों को भी दिए थे।
याद रहे कि आरुषि निशंक प्रख्यात भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना, पर्यावरणविद्, फिल्म निर्माता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आरुषि ने गंगा नदी के धरती पर आने की कहानी पर आधारित ‘गंगा अवतरण’ एवं सूफियाना शास्त्रीय कथक नृत्य ‘सजदा’ जैसी रचनाओं की कोरियोग्राफी भी की है।
आरुषि को उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार भी मिला है। उन्होंने साल 2018 में अपनी पहली क्षेत्रीय फिल्म ‘मेजर निराला’ का निर्माण किया था, जो उनके पिता के लिखे उपन्यास पर आधारित है। फिलहाल वह गंगा स्पर्श नामक संस्था की संयोजक भी है।