आरोग्य सेतु ऐप. कोरोना के मरीजों और उनसे संपर्क में आने वालों की जानकारी देने वाला ऐप है.प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल के समय अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया था. इस ऐप को सभी के लिए जरूरी बताया गया था. यात्रा करने से लेकर मॉल में घुसने से पहले इस ऐप को फोन में चेक किया जाता था. इस ऐप को लेकर काफी विवाद भी हुए थे | वर्तमान में इसके 100 मिलियन यानी 10 करोड़ से अधिक इसके यूज़र्स हैं. इसके यूजर्स के डेटा को लेकर कई बार सवाल भी उठे हैं. हर बार सरकार ने आश्वासन भी दिया है. की यह ऐप पूरी तरह सुरक्षित हैं लेकिन अब खबर आई है कि जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने खुद ही आरोग्य सेतु ऐप के यूज़र्स का डेटा पुलिस को सौंप दिया.
. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सौरव दास नाम के एक्टिविस्ट पत्रकार ने ये RTI लगाई थी.क्या आरोग्य सेतु ऐप का डाटा पुलिस के साथ शेयर किया गया है.? जिसमें प्रशासन की और से उस RTI के जवाब में उन्हें बताया गया कि आरोग्य सेतु ऐप का डेटा कुलगाम कोरोना पॉजिटिव पेशेंट्स की जानकारी, उनकी रिकवरी की जानकारी, और कोरोना से होने वाली मौतों की जानकारी. ये सब पुलिस को दी गई थी.|
सौरव ने बताया कि मैंने दिसंबर में RTI लगाई थी. NIC यानी नेशनल इन्फोरमेटिक्स सेंटर से पूछा था कि यूजर्स के डेटा को सेफ रखने के लिए क्या किया जा रहा है? उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया. RTI को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हेल्थ सेक्रेटरीज़ के पास भेज दिया.
Our fears have come true, at least on record.
I can now confirm that at least one State Government has shared people’s Aarogya Setu data with a law enforcement agency. Jammu & Kashmir’s Kulgam district has done so with the Kulgam Police.
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— Saurav Das (@OfficialSauravD) March 30, 2021
सौरव का दावा है कि आरोग्य सेतु ऐप पर लॉगिन करने वाले लाखों करोड़ों भारतीयों का सेंसेटिव डेटा कौन-कौन एक्सेस कर सकता है, इसकी कोई लिस्ट NIC के पास नहीं है. NIC ने ही इस ऐप को बनाया है और वही इसे मेनटेन करती है. ऐप के डेटा का इस्तेमाल केवल हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा किया जाना था. चिंता की बात ये है कि हम नहीं जानते कि अन्य राज्यों में किस-किस सरकारी विभाग के साथ इस डेटा को शेयर किया गया है.
आईटी मिनिस्ट्री ने 11 मई 2020 को आरोग्य सेतु को लेकर एक प्रोटोकॉल जारी किया था. ये बाध्यकारी नहीं था. इसमें बताया गया था कि ऐप द्वारा जमा किए गए यूजर डेटा को कैसे स्टोर और शेयर किया जाता है. इसमें कहा गया था कि सभी सरकारी एजेंसियों की एक लिस्ट बनाई जाए, जिनके साथ इसका डेटा शेयर किया जा रहा है. ये डेटा केवल महामारी से निपटने के लिए ही शेयर किया जाना चाहिए.
इससे पहले भी सौरव ने एक RTI डालकर पूछा था कि आरोग्य सेतु के ‘कर्ता-धर्ता’ कौन हैं. जो जवाब मिला, उससे सौरव संतुष्ट नहीं हुए. इसके बाद उन्होंने अदालत में याचिका डाली कि संबंधित प्राधिकरण यानी NIC, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) आरोग्य सेतु ऐप और इसके निर्माण से संबंधित प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं दे पाए हैं. सरकार ने विवाद ख़त्म करने के लिए औपचारिक स्पष्टीकरण दिया. कहा कि आरोग्य सेतु ऐप के संबंध में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. इसे भारत सरकार द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में लॉन्च किया गया है.
आरोग्य सेतु ऐप को लगभग 21 दिनों मैं बनाया गया था.| ये एक ‘मेड इन इंडिया’ ऐप है, जिसे उद्योग, शिक्षा और सरकारी क्षेत्रों के दिग्गज लोगों के मिलकर बनाया था. देश के कानून एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मई 2020 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि किसी का नाम इस ऐप में नहीं आता है. सारा डेटा एनक्रिप्टेड होता है. डेटा लिमिटेड समय के लिए होता है. जनरल डेटा 30 दिन में और किसी मरीज का डेटा 60 दिन में खुद समाप्त हो जाता है.