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पहली बार दिल्ली से बाहर आयोजित हुआ सेना दिवस

हर बार की तरह इस बार भी 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया गया है। लेकिन पहली बार सेना दिवस की परेड राष्ट्रीय राजधानी के बाहर बेंगलुरु में आयोजित की गई । इस अवसर पर जनरल मनोज पांडे बेंगलुरु के गोविंदस्वामी परेड में शामिल हुए। इस दौरान जनरल पांडे ने कहा कि पहली बार आर्मी डे परेड और इससे जुड़े अन्य कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किए गए हैं। जिससे सेना को लोगों से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर दिया है। मुझे विश्वास है कि इससे हमारे संबंध और भी मजबूत होंगे। सेना प्रमुख के मुताबिक पिछले साल सेना ने सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का दृढ़ता पूर्वक सामना कर मजबूती से सुरक्षा सुनिश्चित की। इसके अलावा सेना ने क्षमता विकास, बल पुनर्गठन और प्रशिक्षण में सुधार के लिए कदम उठाए। जिससे भविष्य के युद्धों के लिए अपनी तैयारियों को और मजबूत किया गया है । सेना प्रमुख नेअपने संबोधन में कहा कि हर स्थिति से सेना निपटने के लिए तैयार है। उनके अनुसार आज भी आतंकी साजिश जारी है लेकिन भारतीय जवान चप्पे -चप्पे पर निगरानी कर रहे हैं। इसी श्रृंखला में पूर्वोत्तर की सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। इसके अलावा उत्तरी सीमावर्ती इलाकों में स्थिति सामान्य रही है। जवानों को सभी प्रकार के हथियार, उपकरण और सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में दी जा रही है।इसी दिशा में सरकार ने पिछले दिनों अग्निपथ योजना को लाकर एक ऐतिहासिक और प्रगतिशील कदम उठाया है। पुरुष अग्निवीर के पहले बैच की ट्रैनिंग शुरू हो चुकी है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भी सेना दिवस के इस अवसर पर शुभकामनाएं दी गई। उन्होंने कहा सैनिकों ने आपदाओं के समय रक्षक के रूप में काम करने के अलावा हमेशा शौर्य की सीमाओं को आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने भी भारतीय सेना दिवस के मौके पर सेना की तारीफ कर कहा कि सैनिकों ने हमेशा देश को सुरक्षित रखा है। संकट के समय सेवा के लिए व्यापक रूप से उनकी प्रशंसा की जाती है। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि सेना दिवस पर मैं सभी सैन्यकर्मियों, भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देता हूं। प्रत्येक भारतीय को हमारी सेना पर गर्व है।

क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस

 

भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिवस फील्ड मार्शल के एम करियप्पा के 15 जनवरी 1949 को अपने ब्रिटिश पूर्ववर्ती के स्थान पर भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ का पदभार संभालने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले दो ही अधिकारी रहे हैं। पहले के एम करियप्पा और दूसरे मार्शल सैम मानेकशॉ है। उनका जन्म 28 जनवरी, 1900 को कर्नाटक में हुआ था. पहले विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान उन्हें सैन्य प्रशिक्षण मिला था। वर्ष 1942 में लेफ़्टिनेंट कर्नल का पद पाने वाले करियप्पा पहले भारतीय अफसर बने। 1944 में उन्हें ब्रिगेडियर बनाया गया और बन्नू फ़्रंटियर ब्रिगेड के कमांडर के तौर पर तैनात किया गया। इसके बाद उन्हें वर्ष 1986 में 15 जनवरी को फ़ील्ड मार्शल बनाने की घोषणा की गई उस दौरान उनकी उम्र 86 साल के करीब थी।

 

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