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आप ने जीता पंजाब का दिल 

पंजाब में बदलाव के संकेत चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में ही दिखने लगे थे। इन चुनावों में आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली जीत को अरविंद केजरीवाल के फ्री के मॉडल की जीत बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि आप ने पंजाब के चुनाव में मुफ्त बिजली, पढ़ाई और चिकित्सा के साथ-साथ महिलाओं के खाते में नकद पैसे भेजने के जो वादे किए वो लोगों को पसंद आए हैं। 

पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी को भारी जनादेश मिला है। आप के आगे सभी दलों का सूपड़ा साफ हो गया है। हर दिग्गज का किला ढह चुका है। शिरोमणि अकाली दल, भाजपा व कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर, प्रकाश सिंह बादल समेत कई नेताओं के किले ढह चुके हैं। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से खड़ी हुई आम आदमी पार्टी पंजाब में सरकार बनाने जा रही है। आप ने पंजाब विधानसभा के चुनाव मेंदो तिहाई सीटें जीत इतिहास रच दिया है। वहीं वहां अबतक सरकार चलाने वाली कांग्रेस मात्र कुछ सीटों में सिमट कर रह गई। सीटें जीत पाई। खास बात यह है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पंजाब की राजनीति में सक्रिय हुई आम आदमी पार्टी की यह दिल्ली के अलावा किसी और राज्य में पहली सरकार होगी।

आम आदमी पार्टी ने पंजाब नें अपने सांसद भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया था। उन्होंने कहा है कि वो राजभवन की जगह शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खट्टरकलां में शपथ लेंगे।  इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पंजाब के किसी भी सरकारी दफ्तर में मुख्यमंत्री की फोटो नहीं होगी बल्कि शहीद भगत सिंह और डॉक्टर भीम राव आंबेडकर की फोटो लगाई गी।

दरअसल, पंजाब में बदलाव के संकेत चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में ही दिखने लगे थे। इन चुनावों में आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली जीत को अरविंद केजरीवाल के फ्री के मॉडल की जीत बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि आप ने पंजाब के चुनाव में मुफ्त बिजली, पढ़ाई और चिकित्सा के साथ-साथ महिलाओं के खाते में नगद पैसे भेजने के जो वादे किए वो लोगों को पसंद आए हैं।

पंजाब में आप के वादे 

आम आदमी पार्टी पंजाब की राजनीति में 2014 में दाखिल हुई थी। इस तरह यह उसका पंजाब में तीसरा चुनाव था।  आप ने 2017 के चुनाव में पंजाब में 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वह विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। हालांकि तब जोर-शोर से यह आरोप तब सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा गठबंधन ने लगाया था कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल एक तथाकथित आतंकी के घर पर रुके थे। विपक्ष ने इसे मु्द्दा बना लिया था।  इसका नुकसान आप को उठाना पड़ा, वहीं इस साल के चुनाव में कवि और आप के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने भी उसी तरह की बात की जरूर  लेकिन लगता है कि लोगों ने उसे इस बार गंभीरता से नहीं लिया।

इन वजहों से हारी कांग्रेस

पंजाब  कांग्रेस अपनी आपसी कलह से हार गई है। विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले ही मुख्यमंत्री बदलना उसके लिए आत्मघाती साबित हुआ है। लोगों ने उसे नकार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कई तरह के आरोप थे। लेकिन उनकी जगह लेने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को काम करने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। इसके अलावा पंजााब कांग्रेस की खटपट भी उसकी हार का कारण है।

गौरतलब है कि साल 2017 के चुनाव के बाद बनी कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने थे। उनकी कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिध्दू से कभी नहीं बनी। पार्टी आलाकमान भी  सिध्दू  के साथ रहा। उनकी मांग पर कैप्टन को हटाया गया।  इसके बाद कैप्टन ने कांग्रेस ही छोड़ दी।  कांग्रेस की हार का एक कारण कैप्टन का जाना भी माना जा सकता है। कैप्टन की जगह लेने वाले चरणजीत सिंह चन्नी से भी नवजोत सिंह सिध्दू का रिश्ता खटास भरा ही रहा। हालात यह थे कि  सिध्दू की वजह से चन्नी सरकार को अपने कई फैसले तक बदलने पड़े। इससे चन्नी पर एक कमजोर मुख्यमंत्री की छवि चस्पा हो गई। वहीं अवैध रेत खनन और नशे का कारोबार का न रुकना भी कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बना।

दिग्गजों की विदाई 

कैप्टन अमरिंदर सिंह:  आम आदमी पार्टी से अकाली दल के पूर्व मेयर और पूर्व अकाली मंत्री सुरजीत सिंह कोहली के बेटे अजीतपाल सिंह कोहली ने पंजाब के दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को करारी शिकस्त दी है। पटियाला कैप्टन अमरिंदर सिंह का गढ़ है। पहली बार उन्हें अपने गढ़ में हार का सामना करना पड़ा है । कांग्रेस से अलग होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अलग दल बनाया था। वह इस चुनाव में भाजपा और सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त)  के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। मगर कोई जादू नहीं चल सका। 2014 लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में भी कैप्टन  ने भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली को हराया था।

सुखबीर बादल :शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को जलालाबाद सीट से हार का सामना करना पड़ा है । सुखबीर को आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जगदीप कंबोज ने हराया है। 2017 में सुखबीर बादल इससे पहले जलालाबाद से विधानसभा चुनाव जीता था।

चरणजीत सिंह चन्नी: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपनी दोनों सीटें नहीं बचा सके। भदौड़ सीट पर आप उम्मीदवार लाभ सिंह ने और श्री चमकौर साहिब सीट पर आप प्रत्याशी डॉ. चरणजीत सिंह ने जीत दर्ज की। मुख्यमंत्री चन्नी इकलौते ऐसे प्रत्याशी थे जो दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े। भदौड़ में कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 57 हजार है। श्री चमकौर साहिब से सीएम चरणजीत सिंह चन्नी इससे पहले तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं।

सिध्दू को भी शिकस्त: दिग्गज कांग्रेस नेता व पंजाब प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह  को इस बार कड़ी हार का सामना करना पड़ा। सिध्दू ने कांग्रेस की टिकट पर अमृतसर पूर्व से चुनाव लड़ा और यहां से मौजूदा विधायक थे। मगर अपनी ही क्षेत्र से दूरी बनाना उन्हें भारी पड़ गया।

 लंबी से पहली बार चुनाव हारे प्रकाश सिंह बादल: लंबी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल को हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुडिया ने उन्हें हराया है। प्रकाश सिंह बादल ने 94 साल की उम्र में विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह देश के सबसे उम्रदराज प्रत्याशी हैं। आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुडिया के पिता स्वर्गीय जगदेव सिंह खुडिया सांसद (अकाली दल) रहे हैं। 1989 में अकाली दल के बाद गुरमीत सिंह खुडिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वह काग्रेस के जिला प्रधान भी रहे हैं। उसके बाद अब उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थामा और लंबी विधानसभा सीट से प्रकाश सिंह बादल को हरा इतिहास रच दिया है ।

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