समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान को अदालत ने भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाई है।आजम खान के अलावा न्यायालय ने 2अन्य लोगों कोभी सजा सुनाई है।न्यायालय ने 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।हालांकि,आजम खान को जमानत मिल गई है।जिसके बाद उन्होंने कहा की ‘मैं इंसाफ का कायल हो गया ” लेकिन यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या आजम खान के अलावा देश में हेट स्पीच देने वाले अन्य नेताओं को भी सजा मिलेगी।उच्चतम न्यायालय भी इस पर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है। कुछ दिन पहले ही जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा था कि’यह 21वीं सदी है।हम धर्म के नाम पर कहाँ आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए,लेकिन आज घृणा का माहौल है। सामाजिक ताना बाना बिखरा जा रहा है।हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। आज उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं।’
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स रिपोर्ट ने पहले ही खुलासा किया है कि,साल 2018 में देश के 58 विधायक और सांसदों पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए है। इनमें भाजपा नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक,लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात स्वीकारी है। इनमें से 10 लोकसभा सांसद भाजपा से सम्बन्ध रखते है।जबकि एक-एक सांसद एआईयूडीएफ,भारत राष्ट्र समिति , पाट्टाली मक्कल कच्ची पार्टी (तमिलनाडु ) ,एआईएमआईएम और शिवसेना से हैं। साल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भाजपा के 27, एआईएमआईएम और भारत राष्ट्र समिति के 6-6, तेलुगु देशम पार्टी और शिवसेना के 3-3, टीएमसी , कांग्रेस और जदयू के 2-2, एआईयूडीएफ , बसपा , डीएमके , पीएमकेऔर सपा के 1-1 सांसदों और विधायकों पर हेट स्पीच से जुड़े मामले दर्ज हैं।
किन-किन नेताओं ने दिए है भड़काऊ भाषण
इसी साल अक्टूबर महीने में दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने भाषण दिया था। इस दौरान उन्होंने एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया था। दिल्ली की स्थानीय जनता से दुकानों, रेहड़ी से सामान ना लेने और पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की थी।इस महीने की शुरुआत में ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता संगीत सोम ने विवादित बयान दिया था। संगीत सोम ने कहा था कि जिस तरह एक वर्ग की आबादी बढ़ती जा रही है, जिस तरह से आतंक फैलता जा रहा है, ऐसे में राजपूत समाज को फिर से शस्त्र उठाने पड़ेंगे। बता दे कि,गीत सोम साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के अभियुक्त भी हैं।
इस साल के जून महीने में तेलंगाना के भाजपा विधायक राजा सिंह ने भी ‘पैगंबर मोहम्मद’ पर एक विवादित बयान दिया था।उनके बयान के खिलाफ हैदराबाद में धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला भी दर्ज किया गया था। भाजपा विधायक राजा सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय ने राजा सिंह की गिरफ्तारी की मांग की थी। जिसके बाद में भाजपा विधायक राजा सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
इसी साल मई महीने में भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था। इनके साथ ही दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख रहे नवीन जिंदल ने भी मुसलिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी की थी। इसके बाद मुसलिम समुदाय ने जोरदार प्रदर्शन किए थे, और भाजपा को नुपूर और नवीन को पार्टी से बाहर निकालना पड़ा था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी। मई के महीने में ही तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बंडी संजय कुमार ने मुसलमानों के खिलाफ नफरती बयानबाजी करते हुए कहा था कि जब पूरी तरह राम राज्य आ जाएगा तो उर्दू भाषा को बैन कर दिया जाएगा। उन्होंने देश में हुए बम धमाकों के लिए मदरसों को जिम्मेदार ठहराया था।
इसी तरह से साल 2020 में भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने ‘औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ’ एक रैली आयोजित की थी। इसमें समान नागरिक संहिता का समर्थन किया गया था,लेकिन, इस रैली में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाए गए थे। इस मामले में बवाल मचने के बाद आयोजकों ने खुद को इससे अलग कर लिया था। साल 2020 के फरवरी महीने में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता कपिल मिश्रा का वीडियो सामने आया था। जिसमे कपिल मिश्रा ने पुलिस से कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जाने के बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे।इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता एक चुनावी रैली में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जनसभा में देश के गद्दारों को, ‘गोली….मा…सा…को…’ वाला नारा लगा था। इसकी जमकर आलोचना हुई थी,लेकिन कानून से अभी तक कोई सजा नहीं मिली है।
गौरतलब है कि इन सब के अलावा भी देश कई अन्य नेताओं ने भी विवादित भाषण दिए है। जिसपर राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है कि, जिस तरफ से न्यायालय ने आजम खान को विवादित भाषण के लिए सजा दी है। ठीक उसी तरह से अन्य नेताओं को भी सजा मिलनी चाहिए।