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एंटीइनकम्बेंसी ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें 

देश में इन दिनों राजनीतिक सियासत चरम पर है। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा जहां करीब सालभर से नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के निशाने पर है वहीं बढ़ती महंगाई को लेकर जनता को राहत देने में फ़िलहाल असमर्थ दिखाई दे रही है। ऐसे में कुछ ही महीनों के भीतर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हाल ही में हुए 14 राज्यों में तीन लोकसभा  और 29 विधानसभा  सीटों के उपचुनावों के नतीजों ने भाजपा की  मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

 


हिमाचल प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की आहट

 

हालांकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आगामी विधानसभा चुनावों में भगवा फहराने के लिए जोर आजमाइस में जुटा है। विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन करने का इन चुनावों में भाजपा को कितना नुक्सान  होगा यह तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा। दरअसल ,हिमाचल की तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव मे हार के बाद से प्रदेश में भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। यही नहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यहां तक कह दिया कि राज्य में दिग्गज नेता भी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाए हैं। उनके इस बयान को सत्ता छिनने की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में लगातार सत्ता परिवर्तन की परंपरा का जिक्र करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा है कि यह बात सही है कि वर्ष  1985 के बाद से हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदलती रही है। यहां तक कि जिन्हें बड़े नेता माना जाता था, वे भी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं लौट पाए हैं ।

जयराम ठाकुर ने कहा कि हम अपनी ओर से अच्छा प्रयास करेंगे। हम भाजपा को एक बार फिर से राज्य की सत्ता में वापस लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। सरकार और संगठन के स्तर पर पूरा प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही जयराम ठाकुर ने कहा कि चुनाव में अभी एक साल का समय है।  तब तक सरकार की ओर से उन चीजों पर फोकस किया जाएगा, जिन्हें लेकर चिंता जताई गई है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे उम्मीदों के विपरीत रहे हैं। इस बारे में कुछ ही दिनों में यानी 24 से 26 नवंबर तक राज्य कार्यकारिणी की बैठक में विचार किया जाएगा।

 

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इस बैठक में हम  जो भी कमियां रह गई हैं उनमें निश्चित तौर पर सुधार करते हुए आगे बढ़ेंगे। हालांकि चुनाव के नतीजों के बाद सरकार में किसी भी तरह के फेरबदल को उन्होंने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में पार्टी लीडरशिप की ओर से कोई चर्चा नहीं की गई है। संगठन की ओर से भी ऐसी कोई बात नहीं कही गई है। अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों को लेकर भी जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं, पार्टी के चलते हूं। पार्टी जब भी कोई आदेश करेगी, उसे स्वीकार किया जाएगा।

 


बसवराज बोम्मई सरकार में बड़े बदलाव की संभावना

 

वहीं भाजपा आलाकमान द्वारा कुछ महीने पहले कर्नाटक में किए गए नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब राज्य के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार में बड़े बदलाव होने की संभावना है। कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के आलोचक, बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने कहा है कि पार्टी गुजरात शासन की तर्ज पर राज्य में एक नेतृत्व परिवर्तन पर विचार कर रही है। जब विजय रूपाणी की जगह पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया और मंत्रियों का एक नया समूह लाया गया। पाटिल ने कहा कि “गुजरात में जैसा किया गया था, वैसा ही यहां भी किया जाएगा।उन्होंने दावा किया कि मंत्रिमंडल में शामिल वरिष्ठ नेताओं को 2023 के चुनावों से पहले पार्टी के काम के लिए तैयार किया जाएगा और सरकार में नए नेता उनकी जगह लेंगे। अगर नए नेताओं को प्रभार दिया जाता है तो हम अगले चुनाव में 224 सीटों में से 130 सीटें जीत सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि विपक्ष के आरोपों के बाद से कर्नाटक सरकार में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं।दरअसल , दो भाजपा नेता बिटकॉइन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल हैं और एक के अंतरराष्ट्रीय हैकर, श्रीकृष्ण रमेश उर्फ ​​​​श्रीकी के साथ संबंध हैं, जिन्हें पिछले साल राज्य पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि कांग्रेस ने सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के साथ श्रीकृष्ण के संबंधों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, लेकिन भाजपा विधायक यतनाल ने किसी भी भाजपा नेता की संलिप्तता से इनकार किया। कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक प्रियांक खड़गे ने कहा कि अगर बिटकॉइन घोटाले की गहराई से जांच की जाए तो कर्नाटक में भाजपा को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है।

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