पश्चिम बंगाल में अप्रैल – मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले के आसार बन रहे हैं। भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इस बार ममता बनर्जी के गढ़ को ध्वस्त कर अपना झंडा फहराये। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश इकाई के नेताओं को पश्चिम बंगाल की सत्ता में अपनी संभावना दिख रही है। ऐसे में पार्टी कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती।लेकिन इस सब के बीच जैसे -जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं , राजनीतिक हिंसा बढ़ती ही जा रही है।हालात यह हैं, कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेता फिरोज कमल गाजी (बाबू मास्टर) की कार पर हमला हुआ है। उत्तर 24 परगना में जिला पार्टी कार्यालय में एक बैठक में भाग लेने के बाद कोलकाता लौटते वक्त बंसती हाइवे पर अज्ञात व्यक्तियों ने हमला कर दिया जिसमें वो बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं। हमलावरों ने उनकी कार को भी नुकसान पहुंचाया है।
घटना के बाद भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि बाबू मास्टर के काफिले पर टीएमसी के गुंडो ने हमला किया और उनके काफिले पर बम भी फेंके गए और गोलियां चलाई गईं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा टीएमसी का पर्याय बन गई है। लेकिन ममता बनर्जी जो कि बंगाल की गृह मंत्री भी हैं, हर बार की तरह इस बार भी घटना पर चुप्पी बनाए रखेंगी।
बता दें कि बीजेपी नेता पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था। जबकि उससे पहले बंगाल में बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की गाड़ी पर पत्थरों से हमले किए गए थे। उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए गए थे।
पश्चिम बंगाल में इससे पहले भी कई बार सियासी रंजिश में हमले हो चुके हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या भी की गई। बीते दो वर्षों में ही बड़ी घटनाओं पर नजर डालें तो आठ हमले हुए हैं और इनमें छह नेताओं और कार्यकर्ताओं की जान चली गई है। हमले के बाद तब दक्षिण 24 परगना में एक सभा को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा था कि मैं इसलिए सुरक्षित हूं क्योंकि मेरे पास बुलेट प्रूफ गाड़ी थी। वरना आज कोई ऐसी गाड़ी नहीं थी जिस पर हमला न हुआ हो।
जेपी नड्डा ने आगे कहा था कि इस गुंडाराज को खत्म करके प्रजातंत्र को यहां आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा था कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं और उनके गुंडों ने प्रजातंत्र का गला घोंटने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ये अराजकता ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है, ममता जी की सरकार यहां से जाने वाली है, और बंगाल में कमल खिलने वाला है।