शुक्रवार, 13 सितंबर का दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई.के. पलानी स्वामी की सरकार के लिए भारी साबित हुआ। 12 सितंबर के दिन चैन्नई में एक 23 बरस की कम्प्यूटर इंजीनियर शुभाश्री रवि की अकाल मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु का कारण बना सत्तारूढ़ एआईडीएमके पार्टी के एक नेता सी जयगोपाल द्वारा अपने बेटे के विवाह के अवसर पर लगाया गया अवैध होर्डिंग। इस होर्डिंग के गिरने से स्कटर पर जा रही शुभाश्री की मौत हो गई। सी जयगोपाल के बेटे की शादी में राज्य के उपमुख्यमंत्री समेत बड़े-बड़े दिग्गज शामिल हुए हैं। तमिलनाडु उच्च न्यायालय ने इस मामले में कड़े तेवर अख्तियार कर लिए हैं। न्यायालय की डिविजन बैंच के न्यायमूर्ति एन शेषालय एवं न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण ने शुक्रवार, 13 सितंबर को राज्य सरकार पर कठोर टिप्पणी करते हुए कह डाला ‘इस देश में जीवन के प्रति कोई सम्मान नहीं है जिसके लिए नौकरशाही की संवेदनहीनता जिम्मेदार है। हमारा तमिलनाडु सरकार पर विश्वास खत्म हो गया है।’
Justice M. SatyanarayanaJustice N seshasayee
‘‘There is zero respect for lives in this country to do sheer bureaucratic apathy. We have lost faith in this government”
– Justice N seshasayee & Justice M. Satyanarayana
दरअसल 2017 में मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश के जरिए राज्य में किसी भी राजनीतिक पार्टी या राजनेता के होर्डिंग्स सड़क किनारे लगाने पर रोक लगा दी थी। दिसंबर, 2018 में एक जनहित याचिका सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी जमीन पर होर्डिंग्स लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। शुभाश्री की मृत्यु से नाराज हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इन आदेशों की अवहेलना करने पर जमकर लताड़ा। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में शुभाश्री के परिवार को पांच लाख का मुआवजा देने के भी आदेश कल तमिलनाडु सरकार को दिए हैं।
इस दुर्घटना के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों और राज्य सरकार के खिलाफ आमजन का गुस्सा उबल पड़ा है। डीएमके नेता एम.के. स्तालिन ने कह डाला है कि वे अपने दल के किसी भी ऐसे कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे जिसमें होर्डिंग्स या बैनर आदि अवैध रूप से लगाए जायेंगे। सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने भी अपने समर्थकों और पार्टी नेताओं को कहीं चेतावनी जारी कर चेताया है कि किसी भी अवस्था में होर्डिंग और बैनर न लगाएं।