[gtranslate]
Country

गुस्से में दीदी, पीके की शामत है आई

केंद्रीय गृह मंत्री का दो दिवसीय बंगाल दौरा प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खासा विचलित करने वाला रहा है। 19 दिसंबर के दिन शाह की उपस्थिति में तृणमूल कांग्रेस के दर्जन भर नेता जिनमें  शामिल हैं। एक संसद सदस्य, दस विधायक और ढ़ेर सारे पंचायत सदस्यों ने दीदी को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया। इन नेताओं में ममता के अत्यंत करीबी रहे सुवेंदु अधिकारी, सांसद सुनील मंडल पूर्व सांसद दशरथ तिरके, पूर्व मंत्री श्यामप्रद का जाना तृणमूल के लिए बड़ा आघात हैं। इसके बाद वीरभूमि जिले में प्रेस से वात्र्ता के दौरान
अमित शाह ने बंगाल को विकास के हर पैमाने में ‘जीरो’ कह ममता बनर्जी को बौखलाने का, उकसाने का काम कर डाला। गृह मंत्री के आरोपों से तिलमिलाई ममता ने उनके कथन को ‘झूठ का पिटारा’ रहते हुए भाजपा को ‘चीटिंग बाज’ पार्टी कह डाला। दीदी का क्रोध इतने भर शांत नहीं हुआ। उन्होंने विपक्ष की धुरी बन उभर रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार से फोन पर लंबी बातचीत कर केंद्र सरकार द्वारा उनकी सरकार के कामराज में जबरन टांग अड़ाने, बंगाल के सरकारी अफसरों की जबरन केंद्र में तैनाती करने और राज्य में अराजकता फैलाने का मुद्दा उठा शरद पवार से मदद की गुहार लगा डाली।
इस फोन काॅल के बाद ममता बनर्जी ने पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की भी जमकर क्लास ली। पार्टी सूत्रों की माने तो देर से ही सही अब ममता बनर्जी पीके पर नकेल कसने का मन बना चुकी हैं। दरअसल तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले अधिकांश नेताओं को पीके की कार्यशैली पर घोर आपत्ति रही है। उनके द्वारा तृणमूल अध्यक्ष से बार-बार अनुरोध करने के बाद भी जब पीके के कामराज का तरीका नहीं बदला और ममता बनर्जी का पीके को पूरा सपोर्ट मिलता रहा, इन नेताओं ने नाराज हो भाजपा ज्वाइन कर डाली।

अब पीके के पर नकेल का समय

ममता बनर्जी के करीबी तृणमूल नेताओं का मानना है कि पीके जानबूझ कर उन्हें इग्नौर करते है और केवल ममता बनर्जी या उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी संग बातचीत करते हैं। पीके पर यह आरोप इससे पहले जद(यू) के बड़े नेताओं ने भी लगाया था। नीतीश कुमार के करीबी राज्यसभा सांसद आसीपी सिंह, शिवानंद तिवारी आदि की कभी भी पीके संग मधुर संबंध नहीं रहे। यह वह समय था जब पीके की ‘राजनीतिक समझ’ से प्रभावित हो नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी जद(यू) का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना डाला था। हालांकि कुछ समय बाद ही उनका पीके से मोहभंग हो गया और वे जद(यू) से निकाल दिए गए। अब कुछ ऐसा ही पीके संग ममता बनर्जी के रिश्तों का होने जा रहा है। तृणमूल नेताओं की माने तो ममता बनर्जी को अब समझ में आने लगा है कि ‘कारपोरेट स्टाइल’ में राजनीति करने वाले पीके की सलाह पर अमल करना पार्टी और ममता को कितना भारी पड़ा है। इन नेताओं का दावा है कि उनकी दीदी अब टीम प्रशांत किशोर का इस्तेमाल केवल बूथ स्तर तक वोटर का दिमाग समझने के लिए सर्वेक्षण कराने के लिए करने जा रही हैं। खबर है कि ममता ने पीके के खासे करीबी हो चले अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी संग इस मुद्दे पर लंबी वार्ता कर उन्हें हिदायत दे डाली है कि पीके की सलाह का अंधा अनुसरण करना वे तत्काल बंद कर दें। खबर यह भी है कि ममता बनर्जी की पीके के से नाराजगी का एक बड़ा कारण उनके द्वारा शुरू किए गए सभी प्रोग्रामों का फेल हो जाना है।

‘दीदी के बोलो’ और ‘कट मनी वापस करो’ से हुआ नुकसान

पीके ने ममता बनर्जी का रणनीतिकार बनने बाद दीदी का जनता संग संवाद शुरू करने का एक प्रोग्राम ‘दीदी के बोलो’ शुरू किया। शुरुआती चरण में यह प्रोग्राम हिट रहा लेकिन जल्द ही इसकी हवा निकल गई। इसी प्रकार पीके की सलाह पर अपनी पार्टी में बडं़े स्तर पर पनप चुके भ्रष्टाचार की बात सार्वजनिक रूप से कह डाली।
ममता ने सरकारी योजनाओं में तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा कमीशन लेने पर फटकार लगाते हुए ‘कट मनी वापस करो’ की बात कह डाली थी। इससे फायदे के बजाए तृणमूल कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पार्टी कार्यकर्ताओं की तो मानो शामत आ गई। जनता ने ऐसे नेताओं से कर मनी वापस मांगनी शुरू कर पार्टी में भारी असंतोष पैदा कर डाला। इतना ही नहीं पीके की सलाह पर ममता ने तृणमूल में बड़ा परिवर्तन कर डाला। उन्होंने पार्टी की 7 सदस्य शीर्ष कमेटी से कई बड़े नेता हटा दिए गए।
इन नेताओं की नाराजगी का बड़ा असर अमित शाह के हाशिए दौरे में उभर कर सामने लाया। बड़ी तादात में ममता को छोड़ ऐसे नेता भाजपा में शामिल हो गए।

अब रूठों को मनाने में जुटी ममता

अमित शाह के दौरे ने तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं को भारी राहत दी है जिसका संपर्क अपनी नेता संग पूरी तरह टूट गया था। खबर है कि अब ममता ने पार्टी की कमान पूरी तरह अपने हाथों में लेकर ऐसे भी पुराने साथियों से वन टू वन संवाद शुरू कर दिया है। ममता इस समय पूरे ऐग्रेसिव मोड में आ चुकी हैं। पार्टी नेताओं संग बातचीत के साथ-साथ वे राज्य का सघन दौरा भी शुरू करने जा रही हैं ताकि असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को पार्टी छोड़ने से रोका जा सके।

You may also like

MERA DDDD DDD DD