दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि,
मजहब बीच में न आए कभी,
तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो ,
वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आए कभी।
दिल्ली के न्यू मुस्तफाबाद में उक्त शायरी दो मजहब के लोगों पर सटीक बैठती है। यह दोनों मजहब 5 दिन पहले आपस में एक-दूसरे के खिलाफ हो गए। एक-दूसरे को अपना दुश्मन मान बैठे। लेकिन वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी इंसान हैं जिनमें अभी भी इंसानियत बाकी है। जो मजहब नहीं सिर्फ इंसान और इंसानियत देखते हैं। एक इंसान को दूसरा इंसान जब बचाता है तो इससे बड़ा इमान शायद कोई नहीं है।
पांच दिन पूर्व जब दिल्ली के एक इलाके में वहसियत के आगे इंसानियत हार रही थी और ज़ुल्म-ओ-सितम का कहर बरप रहा था तो ऐसे में कुछ लोग सामने आते हैं। वे नहीं देखते कि दूसरे वाला किस जाति और धर्म का है। उनमें तो उन्हे सिर्फ एक इंसान दिखाई दे रहा था। इंसान का इंसान से भाईचारे का यह उदाहरण ऐसे समय सामने आया है जब दिल्ली दंगे में जल रही थी और लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे थे। ऐसे में राम को बचाने रहीम पहुंचे। आज न्यू मुस्तफाबाद के इस सौहार्द की मिसाल को पढ़कर वह लोग शर्मा जाएंगे जो हिन्दू मुस्लिम के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे है।
24 और 25 फरवरी को जब दिल्ली का नार्थ ईस्ट इलाका दंगे की चपेट में था तब राम सेवक शर्मा नामक व्यक्ति लोगों के संरक्षण में था। वह भी उन लोगों के संरक्षण में जिनका वहां बाहुल्य था। वहा राम सेवक का अकेला घर था। राम सेवक शर्मा का घर न्यू मुस्तफाबाद के नेहरू विहार में गली नंबर 15 में स्थित है। वहां के लोगों का कहना है कि हम हिंदू-मुस्लिम भाईचारे में यकीन करते हैं। हम पिछले 35 साल से यहां रह रहे हैं। लेकिन आज तक कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई। हम अपने पड़ोस में कभी खुद को अकेला महसूस नहीं करते हैं।
राम सेवक शर्मा के अनुसार, नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा के समय मुस्लिम पड़ोसी हमारे पास आए थे और आश्वासन दिया था कि आपको तनिक भी चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। आप चैन की नींद सोइए। हम आपकी और आपके घर की पूरी हिफाजत करेंगे। याद रहे कि 24 और 25 फरवरी को नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा भड़की थी। हिंसक भीड़ ने लोगों के घरों और दुकानों में आग लगा दी थी। इस दौरान गोलीबारी, पथराव और आगजनी की गई थी, जिसमें दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और आईबी कर्मी अंकित शर्मा समेत 42 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा काफी संख्या में लोग घायल हो गए थे। फिलहाल दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस ने 123 एफआईआर दर्ज की है, जबकि 630 लोगों को हिरासत में लिया है। जबकि दिल्ली पुलिस ने हिंसा की जांच के लिए एसआईटी की दो टीमों का गठन किया है।