केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद के परेड ग्राउंड में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ समारोह में शामिल हो हैदराबाद के नागरिकों को शुभकामनाएं दी । जबकि हैदराबाद राज्य सरकार इसे ‘राज्य एकता दिवस’ के रूप में मनाया । आजादी के बाद पहली बार 17 सितम्बर के दिन हैदराबाद मुक्ति दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई है ।
आज ही के दिन साल 1948 में हैदराबाद का विलय भारत में हुआ था। अमित शाह के पहले हैदराबाद के भारत में विलय के समय देश के पहले गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल ने यहां झंडा फहराया था। शाह ने अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री धन्यवाद दे कहा कि उन्होंने इस दिन को ‘हैदराबाद मुक्ति दिन’ के रूप में समर्पित किया है। अब लोग इसे हर साल मनाएंगे। लेकिन अभी भी कुछ लोग डर के साये में रह रहे हैं। मैं उन सभी से विनती करता हूं कि वह आएं और ज्यादा से ज्यादा इसे सेलिब्रेट करें।’
हैदराबाद का विलय भारत में कैसे हुआ
आज़ादी के बाद जब भारत का दो विभाजन हुआ तब हुआ तब भारत कई छोटी छोटी रियासतों में बंटा हुआ था जिन्हे भारत मेंजोड़ना आवश्यक था। जिसके लिए गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने उन रियासतों के निजाम को ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाकर भारत में शामिल होने पर सहमति हाशिल की। लेकिन कुछ रियासतों के निजाम भारत में शामिल होने पर सहमत नहीं थे। जिनमें से हैदराबाद भी एक था। निज़ाम स्वतंत्रता के बाद हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली का शासन था। हैदराबाद की आबादी 85 फीसदी से अधिक हिन्दू थी लेकिन सेना, पुलिस और प्रशासन में मुसलमानों का दबदबा था। इसलिए वो अपने आपको एक स्वतंत्र रियासत घोषित करना चाहते थे। लेकिन बाद में हैदराबाद के शासक ने नवंबर 1947 में भारत के साथ एक वर्ष के लिए एक ठहराव समझौता किया, जब भारत सरकार के साथ बातचीत भी चल रही थी. लेकिन इसी दौरान तेलंगाना के किसान, जो निजाम के निरंकुश शासन से परेशान थे, उन लोगों ने निजाम के खिलाफ आवाज उठाई। जिसके बाद कई विरोध प्रदर्शन और लड़ाइयां हुई जिससे हारकर वहां निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और इस प्रकार हैदराबाद का विलय भारत में किया गया।