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व्यर्थ ना जाए अमित जेठवा की शहादत

सूचना के अधिकार कर भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वालों की हत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है। एक नहीं कई ऐसे उदाहरण हैं जहां आरटीआई कार्यकर्ता को जान से मार डाला गया। ऐसे मामलों में ज्यादातर अपराधी प्रभावशाली तबके के रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में अंततः हत्यारों को उनके किए की सजा मिल ही गई है।

आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के मामले में अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा 11 जुलाई को बीजेपी की पूर्व सांसद दीनू सोलंकी सहित कुल सात लोगो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही दीनू बोघा और उसके भतीजे शिवा सोलंकी पर 15 .15 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले अहमदाबाद की सीबीआई अदालत द्वारा दीनू सोलंकी और 6 अन्य को दोषी करार दिया गया था। बता दे की अपराध शाखा द्वारा सोलंकी को क्लीनचिट दिए जाने के बाद गुजरात हाई कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई को सौप दी गई थी।

वर्ष 2009 से 2014 तक गुजरात के जूनागढ़ के सांसद रहे सोलंकी को उनके चेचरे भाई शिव सोलंकी और 5 अन्य के साथ आईपीसी के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों में अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया था।

मामले में दोषी पाए गए पांच अन्य आरोपियों में शैलेश पांडेय, बहादुर सिंह वढेर, संजय चैहान, पंचेन जी देसाई और उदय जी शामिल है। पेशे से वकील आरटीआई के कार्यकर्ता जेठवा की गिर वन्यजीव अभ्यारण्य और उसके आसपास अवैध खनन का आरटीआई आवेदनों के जरिये खुलासा करने को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस खनन गतिविधियों में दीनू सोलंकी भी शामिल था। साल 2010 में अमित जेठवा ने गिर अभयारण्य में और उसके आसपास अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। सोलंकी और उसके भतीजे को इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया था और जेठवा ने अवैध खनन में उनके शामिल होने को दिखाने वाले कई दस्तावेज पेश किये।

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ही 20 जुलाई 2010 को हाई कोर्ट बाहर अमित जेठवा को मरवा दिया गया था। इसके बाद मृतक जेठवा के पिता ने हाई कोर्ट का रुख किया था, जिस के पश्चात मामले की सुनवाई नयी सिरे से शुरू हुयी। गुरुवार 11 जुलाई को हुए इस फैसले में न्यायधीश दवे द्वारा सभी दोषियों पर सयुंक्त रूप से 5925000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। इस सख्त फैसले में अदालत ने 195 गवाहों में से 105 के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने का आदेश भी दिया गया, जो अपने बयान से मुकर गए थे। इसी राशि में से 11 लाख जेठवा परिवार को देने का निर्देश भी दिया गया है। जिसमे जेठवा की पत्नी को 5 लाख और दो युवा बेटो के लिए तीन लाख रुपए शामिल है। जेठवा परिवार को कानूनी सहायता मुहैया करवाने वाले अभिवक्ता आनंद याग्निक द्वारा कहा गया की यह एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ आम आदमी की जीत है। महत्वपूर्ण यह है कि गिर रिजर्व फारेस्ट में चल रहे जिस अवैध खनन को रोकने के लिए अमित जेठवा ने अपनी जान गंवाई, वहां दोबारा से ऐसी गतिविधि चालू ना हो जाए। यदि ऐसा होता है तो जेठवा की शहादत का यह बड़ा अपमान होगा।

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