जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370और 35 ए को निरस्त किए लगभग ढेड़ साल हो गया है। इस बीच अब पहली बार यूरोप और अफ्रीका के राजदूत जम्मू कश्मीर में खासकर जिला विकास परिषद के चुनाव के बाद विकास कार्यों और सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए आज 17 फरवरी से दो दिवसीय दौरे पर हैं। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान वो अलग -अलग देशों के राजदूत जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद केंद्रशासित प्रशासन द्वारा किये गये विकास कार्यों के बारे में सीधी जानकारी प्राप्त करेंगे। अधिकारियों के अनुसार इन विदेशी दूतों के साथ कुछ मशहूर नागरिकों एवं प्रशासनिक सचिवों की बैठक के अलावा डीडीसी के नवनिर्वाचित प्रतिनिधि भी उनसे मिलेंगे और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र सुनिश्चित करने के केंद्र सरकार के प्रयासों को प्रदर्शित किया जाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संगठनों को मजबूत बनाने की बात प्रमुखता से सामने रखी जाएगी और उनके सामने प्रजेंटेशन के जरिए बताया जाएगा कि कैसे पंचायतों को वित्तीय अधिकार देकर उन्हें मजबूत बनाया गया। दूसरे दिन विदेशी प्रतिनिधिमंडल जम्मू जाएगा और वहां उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलेगा।वह कुछ डीडीसी सदस्यों एवं कुछ सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मिलेगा।
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा किया जा रहा यह दूसरा राजनयिक प्रयास है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार फैलाने में लगा है। कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को सुरक्षा स्थिति के बारे में बतायेंगे और खासकर वे नियंत्रण रेखा के जरिए भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने एवं बार – बार संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन करने की पाकिस्तान की कोशिशों को उसके सामने रखेंगे। केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू -कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने का एलान किया था।