राजनीति के हर मौसम को समय पूर्व भांप लेने वाले बिहार के धुरंधर राजनेता स्व रामविलास पासवान के सुपुत्र चिराग पासवान अपने पिता के इस गुण से महरूम नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला नीतीश कुमार के चलते लिया था। जदयू के सभी 110 प्रत्याशियों के सामने उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़े किए। हालांकि उन्हें केवल एक सीट पर विजय मिली, लेकिन जदयू को उन्होंने भारी नुकसान पहुंचा नीतीश बाबू की पार्टी को तीसरे नंबर में धकेल डाला। इन चुनावों के दौरान चिराग खुलकर नीतीश कुमार की मुखालफत करते प्रदेशभर में घूमे, भाजपा के खिलाफ लेकिन वे खामोश रहे। इतना ही नहीं उन्होंने हरेक रैली में पीएम मोदी की जमकर सराहना भी की। तब यह अनुमान लगाया गया कि सारा ‘खेला’ भाजपा के इशारे पर चिराग खेल रहे हैं, ताकि जदयू को राज्य में ठिकाने लगा भाजपा नंबर वन पार्टी बन उभर सके।
ऐसा ही हुआ भी लेकिन इसका कोई फायदा चिराग को मिलता नजर नहीं आ रहा है। उनकी पार्टी के इकलौते विधायक ने उन्हें छोड़ जदयू का दामन थाम लिया है। पार्टी के कई बड़े नेता पहले ही उनका साथ छोड़ या तो जदयू संग हो लिए हैं या फिर राजद में शामिल हो चुके हैं। खबर है कि इससे हताश चिराग अपनी पार्टी का विलय भाजपा संग करने जा रहे हैं। हालांकि भाजपा ऐसा शायद ही करे क्योंकि चिराग के भाजपा में शामिल होने का मतलब नीतीश कुमार की नाराजगी मोल लेना है। ऐसे में यह भी सुनने में आ रहा है कि चिराग कांग्रेस संग अपनी पार्टी का विलय भी पांच राज्यों के 2 मई को आने वाले नतीजों के बाद कर सकते हैं। इस बीच स्व रामविलास पासवान के सभी पुराने संगी-साथी एक-एक कर चिराग का साथ छोड़ते जा रहे हैं।