मणिपुर पुर में हिंसक झड़पें बढ़ती जा रही हैं। अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी ने हजारों लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर दी है। दो समुदायों के बीच बढ़ती हिंसा में अब तक सौ से भी ज्यादा मौत हो चुकी हैं। इस हिंसा ने करीब चार हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया है । जिसमें हजार से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 10 हजार से ज्यादा घर जलाए जा चुके हैं। मजबूरन कई लोगों को हिंसा के चलते पलायन करना पड़ा है।
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि केंद्र सरकार ऐक्शन में आ गई है। केंद्र सरकार मणिपुर में बढ़ती हिंसा को लेकर सभी दलों से चर्चा करना चाहती है। इसी संदर्भ में ग्रह मंत्री अमितशाह ने 24 जून को दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। जिसमें सभी दलों के नेताओं और सांसदों के साथ मणिपुर हिंसा के मामले में बात की जाएगी। विपक्षी नेताओं को वहां के हालातों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही आने वाले समय में क्या कदम उठाए जाएंगे और अभी तक क्या कदम उठाया जा चुका है। इस पर भी विचार किया जाएगा। सर्वदलीय बैठक संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग की जाएगी। इससे पहले कई विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार के साथ विचार विमर्श करने की मांग की थी। 16 जून को कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए क्योंकि देश जवाब मांग रहा है।
मणिपुर हिंसा को लेकर सोनिया गांधी ने क्या कहा
गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। UPA नेता सोनिया गांधी ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर हाल ही में कहा है कि हिंसा की वजह से राज्य को ‘गहरा घाव’ हुआ है। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में शांति और सद्भाव के अपील की है। उन्होंने कहा कि – उन सभी लोगों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, मुझे यह देखकर गहरा दुख हुआ है कि लोगों को उस एकमात्र स्थान से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा जिसे वे अपना घर कहते हैं। वहीं सोनिया गांधी के इस बयान से पहले 15 जून को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर मणिपुर को लेकर चुप्पी साधने का आरोप लगाया था और शांति बहाली के प्रयास के तहत एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को राज्य में भेजने की सलाह दी थी।
मणिपुर में दिन पर दिन दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पें बढ़ती जा रही हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई युवा हथियार उठाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पचास दिनों से चल रहे हिंसक झड़पों के दौरान भीड़ द्वारा केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर तक फूंक डाला गया था। सरकार द्वारा शांति बहाल करने के प्रयास भी विफल हो रहे हैं। केंद्रीय सशस्त्र बल की 84 कंपनियों को राज्य में तैनात किया गया है, असम राइफल्स के भी 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं, लेकिन सड़कों पर भारी सैन्य बल होने के बाद भी स्थिति बिगड़ती जा रही है। डर के मारे हजारों लोग राज्य से पलायन कर चुके हैं। करीब 50 हजार लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है।
मणिपुर में हिंसा इस कदर बढ़ चुकी है कि हाल ही में भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर तक फूंक डाला था। शांति बहाल करने के लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैं लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. केंद्रीय सशस्त्र बल की 84 कंपनियों को राज्य में तैनात किया गया। असम राइफल्स के भी 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं, लेकिन सड़कों पर भारी सैन्य बल होने के बाद भी स्थिति बिगड़ती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य में हिंसा भड़कने के बाद उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों से कई हथियार लुटे हैं। जिनमें अबतक कुल मिलाकर एक हजार 40 अत्याधुनिक हथियार लूट लिए गए। 230 बम ,कई तरह के गोला -बारूद जिनकी संख्या 13 हजार 600 एक है। पिछले एक महीने में भीड़ ने करीब 4 हजार हथियार और 5 लाख राउंड कारतूस लूटें हैं।
आरक्षण की आग में झुलसता मणिपुर
क्या है मणिपुर हिंसा
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर द्वारा आदिवासी एकता मार्च’ निकाली गई। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई थी । इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया। रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है।