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अलका लांबा को मिलेगी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान?

अलका लांबा को मिलेगी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान?

कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से रविवार को अलका लांबा की मुलाकात के बाद ही दिल्ली की कांग्रेस राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। देखते ही देखते कहा जाने लगा कि पिछले साल आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में आई अलका लांबा को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। यहां तक कि सोमवार को पूरे दिन सोशल मीडिया पर यह खबर चलती रही कि अलका लांबा दिल्ली की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बन गई है।

लेकिन यह खबर पूर्णत: सच नहीं है। दिल्ली के चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी के सामने कांग्रेस की मजबूत उम्मीदवार बनकर उभरी अलका लांबा के बारे में कयास तो यही लगाए जा रहे हैं कि वह देर सवेर प्रदेश में पार्टी की अध्यक्ष बनेगी। लेकिन फिलहाल इस पर कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, अलका लांबा ने इसे अपने विरोधियों की साजिश करार दिया है।

गौरतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस की करारी हार के बाद दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पीसी चाको ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा है। जिसकी जिम्मेदारी बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को दी गई है। क्योंकि बिहार में चुनाव आने वाले हैं। इसलिए गोहिल को दोहरी जिम्मेदारी देकर पार्टी उन्हें व्यस्त नहीं रखना चाहती है।

बहरहाल, कांग्रेस दिल्ली में ऐसा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना चाहती है जो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर सके और आने वाले एमसीडी चुनाव में पार्टी की इज्जत रख सकें। गौरतलब है कि 2022 में दिल्ली के एमसीडी चुनाव प्रस्तावित है। जिसमें कांग्रेस की परीक्षा और इसके साथ ही जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसका कद मापा जाएगा। फिलहाल तो देखा जाए दिल्ली में कांग्रेस जीरो में है। यानी कि पार्टी अर्श से फर्श पर चली गई है।

अरविंद केजरीवाल के हैट्रिक बनाने से पहले शीला दीक्षित ही ऐसी प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री थी जिन्होंने लगातार तीन बार जीत दर्ज कराकर कांग्रेस को दिल्ली में सम्मान दिलाया था। लेकिन शीला दीक्षित की मौत के बाद कांग्रेस लगभग मृत प्राय हो गई। जिसका नतीजा गत दिनों हुए चुनाव परिणामों में सामने आया जिसमें पार्टी की बुरी गत सामने आई। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई।

हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि दिल्ली में फिलहाल सुप्रीमो सोनिया गांधी अलका लांबा पर विश्वास जता रही है। उसका उदाहरण यह है कि दिल्ली में बुरी हार के बाद सोनिया गांधी ने अभी तक किसी बड़े नेता को तलब नहीं किया है और न ही किसी से विचार विमर्श किया है।

अलका लांबा पहली नेता हैं जिसको बुलाकर सोनिया गांधी ने हार की अंदरूनी समीक्षा की और हार होने के पीछे के कारण जाने। हालांकि, अभी पूरे दिल्ली कांग्रेस के पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक होने वाली है जिसमें यह देखा जाएगा कि कांग्रेस की हार के पीछे क्या कारण थे? इसे हार की समीक्षा कह सकते हैं। लेकिन इसमें अभी कई नेताओं पर गाज गिरने वाली है। इसके चलते ही दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पीसी चाको ने पहले ही इस्तीफा देकर अपने आप पर हार का ठीकरा फूटने से बचा लिया है।

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