मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर 5 दिसंबर को होने जा रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपनी साख बचाने के लिए डिंपल यादव को मैदान में उतारा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव से पत्नी डिंपल को मैनपुरी उपचुनाव में उतारने को लेकर सवाल पूछा गया तो अखिलेश ने स्पष्ट कहा कि 2024 में भी तो चुनाव है। हमें तो चुनाव ही लड़ना है। क्यों, हम क्या करेंगे खाली बैठकर घर पर? अरे हमारा काम चुनाव ही लड़ना है। जहां पहला चुनाव लड़े, वहां से फिर लड़ेंगे। कन्नौज खाली है तो फिर क्या करेंगे हम। ये एक्सप्रेसवे, अस्पताल, मंडियां ये सब कहां जाएंगे। किसने बनवाया ये? अरे, उसकी ईंट तक तो ठीक कर नहीं पा रहे हैं। दवा तक नहीं दे पा रहे हैं। कन्नौज से लड़ने के बारे में तो हमारी पार्टी तय करेगी।
अखिलेश के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी केवल भारतीय जनता पार्टी ही नहीं कर रही है,अखिलेश ने भी अब लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है । राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव में भी डिंपल ही मैनपुरी से उम्मीदवार होंगी। साथ ही अखिलेश का फोकस कन्नौज लोकसभा सीट पर है, जहां से वह सांसद चुने जा चुके हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक बुनियाद मजबूत करने में जुटे अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव और फिर उसके बाद हुए उपचुनाव की हार और मुलायम के निधन के बाद उनके कंधों पर जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। अपने कुनबे के साथ ही राजनीति को भी साधना उनके लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में अखिलेश यादव 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी प्लानिंग में जुटे हैं । इस कड़ी में उनका सबसे पहला फोकस उन सीटों पर जीत दर्ज करना है, जहां समाजवादी पार्टी और यादव परिवार मजबूत स्थिति में रहा है।अखिलेश यादव पूर्वांचल की आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद थे। इस बार विधानसभा में करहल सीट से जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। उनके विधानसभा जाने के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव हुआ, जहां पर उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव मैदान में थे,लेकिन वह भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ से हार गए। अब जबकि अखिलेश ने यह इशारा कर दिया है कि वह कन्नौज लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं तो ऐसे में स्पष्ट है कि अगर उन्होंने विधानसभा की राजनीति छोड़ी तो आजमगढ़ की तो तरफ नहीं जाएंगे।
परिवार में दे सकते है बड़ी जिम्मेदारी
आजमगढ़ में अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के बाद विरासत संभाली थी। दोनों पिता-पुत्र यहां से सांसद रह चुके हैं। हालांकि उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव की हार हो गई। अब 2024 में क्या अखिलेश धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से एक बार फिर मौका देते हैं या फिर नहीं? धर्मेंद्र यादव और आजमगढ़ इसलिए भी खास है क्योंकि धर्मेंद्र बदायूं लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। अगर चुनाव लड़ने की बारी आई तो वह जाहिर तौर पर बदायूं सीट की दावेदारी ही कर सकते हैं। सैफई कुनबे में शिवपाल यादव की भूमिका भी काफी अहम है। मुलायम के निधन के बाद अखिलेश की उनके चाचा शिवपाल के साथ दूरी घटती नजर आ रही है। दोनों चाचा भतीजा डिंपल यादव के लिए साथ में मैनपुरी चुनाव में वोट मांग रहे हैं। अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर और फोटो खिंचाकर पारिवारिक करीबी को और भी पुख्ता कर दिया है । अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए शिवपाल के उनके साथ मतभेद की बातें सामने आई थी, जो काफी सार्वजनिक हुई थी।नाराज होकर चाचा शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ आए थे। लेकिन केवल एकमात्र सीट पर प्रतिनिधित्व दिए जाने को लेकर नाराज रहे। अहम बात यह है कि इन दिनों दोनों के बीच जो लगाव देखने को मिल रहा है, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव तक रहेगा या नहीं। अगर बना रहेगा तो अखिलेश के लिए शिवपाल या फिर उनके बेटे आदित्य में से किसी को लोकसभा उम्मीदवार बनाना चुनौती भरा फैसला होगा । इसके बाद अखिलेश के परिवार में तेज प्रताप यादव, अक्षय यादव, अंशुल यादव जैसे कई चेहरे हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं।