[gtranslate]
Country

भारत के लिए नासूर बना वायु प्रदूषण  

वायु प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। पिछले दो सालों से अधिक समय से जहां एक ओर पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ अब दुनियाभर में वायु प्रदूषण का संकट बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया की करीब 99 प्रतिशत आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। दुनिया की करीब 782 करोड़ आबादी ऐसी जहरीली हवा में जी रही है जो WHO द्वारा वायु प्रदूषण के तय स्तर मानकों से भी अधिक है। इस बीच वायु प्रदूषण को लेकर एक अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण से निकट भविष्य में भारतीयों की जीवन प्रत्याशा में पांच साल की कमी आ सकती है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नई दिल्ली समेत मध्य, पूर्व और उत्तर भारत के लोग भारी प्रदूषित इलाकों में रहते हैं। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में भारत के वायु प्रदूषण के स्तर में भौगोलिक रूप से विस्तार हुआ है और वायु की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है।”

भारत दूसरा सबसे प्रदूषित देश

वायु प्रदूषण भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित राज्य है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। भारत में 2020 में खराब मौसम के कारण नागरिकों की जीवन प्रत्याशा 6.9 वर्ष कम हो गई थी। नेपाल (4.1 वर्ष), पाकिस्तान (3.8 वर्ष) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में जीवन प्रत्याशा में 2.9 वर्ष की गिरावट आई है। ईपीआई के निष्कर्षों के अनुसार, यदि पड़ोसी बांग्लादेश विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित स्तर तक वायु गुणवत्ता में सुधार करता है, तो औसत जीवन प्रत्याशा में 5.4 वर्ष की वृद्धि हो सकती है।

2013 के बाद से दुनिया भर में प्रदूषण में भारी वृद्धि

EPIC की रिपोर्ट के मुताबिक, ये छोटे-छोटे कण लंबे समय तक हवा में तैरते रहते हैं और श्वास नली के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। यह विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकता है। पिछले दो दशकों में वैश्विक पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन में आश्चर्यजनक रूप से 61.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसने औसत जीवन प्रत्याशा को और घटाकर 2.1 वर्ष कर दिया है। भारत ने 2013 से वैश्विक प्रदूषण में 44 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। भारत की लगभग 40% आबादी, यदि प्रदूषण के वर्तमान स्तर को बनाए रखा जाता है, तो भारतीय औसतन 7.6 वर्ष का जीवन खो सकते हैं। शोध से यह भी पता चला है कि यदि प्रदूषण के स्तर ऐसा ही रहा, तो लखनऊ के निवासियों की जीवन प्रत्याशा 9.5 वर्ष कम हो जाएगी।

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD