भारतीय विमान कंपनी एयर इंडिया काफी समय से खस्ताहाल पड़ी हुई है। अब इस कंपनी को खरीदने की दौड़ में सबसे आगे टाटा संस लिमिटेड और सरकार के बीच सौदा पूरा होने में ज्यादा देरी नहीं दिखाई पड़ रही। कहा जा रहा है कि टाटा इस माह के अंत से पहले अपनी बोली दर्ज कराएगा। बता दें कि सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया को बेचना चाहती है। वर्ष 2007 में राज्य-संचालित इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय होने के बाद एयरलाइन का सालाना प्रोफिट गिर गया। आने वाले वर्षों में बड़ी संख्या में एयर इंडिया के कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में कंपनी की ओनरशिप कर्मचारियों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। वे चाहते हैं कि ओनरशिप किसी को भी जाए, लेकिन सरकार पेंशन से संबंधित मामलों का ध्यान रखे।
टाटा ग्रुप ने ही शुरू की एयर इंडिया की शुरुआत
एयर इंडिया को टाटा ग्रुप ने ही वर्ष 1932 में शुरू किया था। बाद में 1953 में इसे सरकार को बेच दिया गया। अब एक बार फिर टाटा ग्रुप एयर इंडिया को अपना बनाना चाहता है। सरकार को उम्मीद है कि एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक पूरा हो जाएगा।
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इस समय एयर इंडिया पर 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में एयर इंडिया 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा दर्ज करेगी। टाटा ग्रुप एयर इंडिया के लिए अपनी बिड एयर एशिया इंडिया के जरिए लगाने वाला है। एयर एशिया इंडिया में टाटा ग्रुप के पास कंट्रोलिंग स्टेक है। वहीं अजय सिंह ने मिडिल ईस्ट के सॉवरेन फंड के साथ मिलकर एयर इंडिया को खरीदने की योजना बनाई है।