[gtranslate]
Country

प्राइवेटाइजेशन की राह पर एयर इण्डिया भी 

एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा 14 दिसम्बर(सोमवार) को खत्म हो गयी है। इस बीच प्रमुख कॉर्पोरेट घरानों टाटा, अडानी और हिंदुजा ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन आधिकारिक तौर पर किसी ने भी इस बारे में मीडिया में बयान नहीं दिया है। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि 14 दिसंबर थी और सरकार ने अभी तक समय सीमा नहीं बढ़ाई है।

क्या है ईओआई

ऐसा माना जा रहा है कि टाटा ग्रुप एयर इंडिया के लिए (ईओआई) एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट फाइल कर सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा ग्रुप एयर एशिया इंडिया को व्हीकल के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है जिसमें टाटा संस का बड़ा हिस्सा होगा।

 

 

ऐसा माना जा रहा है कि एयर इंडिया के 200 कर्मचारियों को भी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट में जगह दी जाएगी।हालांकि सरकार ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाने वालों के लिए इन्टीमेशन तारीख को बढ़ाकर 5 जनवरी तक कर दिया है, जो पहले 29 दिसंबर तक थी।अभी फिलहार टाटा संस प्रीमियर एयरलाइन सर्विस विस्तारा सिंगापुर एयरलाइन के साथ मिलकर चला रहा है। 

सिंगापुर एयरलाइंस के एयर इंडिया में हिस्सेदारी के लिए पार्टनरशीप के लिए तैयार नहीं था, जिसके बाद एयर एशिया के साथ मिलकर एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने का प्लान कर रहा है।

टाटा ग्रुप ने ही एयर इंडिया को  किया था शुरू

टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया यानी टाटा एयरलाइन्स को 1932 में शुरू किया था और सरकार ने 1953 में इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और इसका नाम एयर इंडिया हो गया। इंडस्ट्री के मुताबिक एयर इंडिया का नियंत्रण एक बार फिर टाटा के पास जा सकता है।  सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिए नियमों में ढ़ील की है। अब वह एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है।

2007 में हुआ था एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय

 

एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय 2007 में हुआ था।   विलय के बाद से ही महाराजा लगातार नुकसान में चल रही थी।  सितंबर 2017 में लोहानी को एयर इंडिया से ट्रांसफर कर रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया था। लोहानी दिसंबर 2018 में रिटायर हो गए थे, लेकिन फरवरी 2019 में उन्हें एयर इंडिया का सीएमडी बना दिया गया। 2018 में सरकार एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री का प्रस्ताव लाई थी, लेकिन उस दौरान उस पर बात नहीं बन पाई थी।

क्या है एयर इंडिया का इतिहास

जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम एयरलाइन सेवा शुरू की थी। 1946 में टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया किया गया।  1953 में तत्कालीन सरकार ने एयर इंडिया को टाटा से खरीद लिया।  एयर इंडिया वर्ष 2000 तक फायदे में रही, लेकिन 2001 में कंपनी को 57 करोड़ का नुकसान हुआ।

 

 एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय 2007 में हुआ था। विलय के दौरान दोनों कंपनियों का संयुक्त घाटा 770 करोड़ रुपये था।  विलय के बाद बनी कंपनी का घाटा बढ़कर 7,200 करोड़ रुपये हुआ।  एयर इंडिया ने नुकसान की भरपाई के लिए  2009 में एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 की बिक्री की। मार्च 2011 में कंपनी के कर्ज में भारी बढ़ोतरी हुई, कर्ज बढ़कर 42,600 करोड़ रुपये हो गया।

मार्च 2011 में ही एयर इंडिया का परिचालन घाटा 22,000 करोड़ रुपये हो गया।  2012 में सरकार ने एयर इंडिया के रिवाइवल के लिए 4.5 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेट दिया था।  वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडियो ने 8,556.35 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान जताया था।

मौजूदा समय में एयर इंडिया पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज भी है। पिछले 6 साल में सरकार ने एयर इंडिया में 30,520.21 करोड़ रुपये का निवेश भी  किया था।

You may also like

MERA DDDD DDD DD