देवभूमि की धामी सरकार के नौकरशाह इन दिनों भारतीय वायुसेना के एक पत्र चलते सकते में बताए जा रहे हैं। राज्य के सचिवाल में चर्चा जोरों पर है कि अपने इस पत्र के साथ वायुसेना ने उत्तराखण्ड सरकार को एक बिल भेजा है और सरकार से इस बिल का तत्काल भुगतान करने की बात कही है। यह बिल नौकरशाही के लिए बड़ा सदमा बताया जा रहा है। वायुसेना ने उत्तराखण्ड राज्य गठन के वर्ष 2000 से अब तक आपदा कार्यों के लिए दी गई सेवाओं की मद में 207 करोड़ की मांग सरकार से की है। वायुसेना के अनुसार कई बार पत्राचार करने के बावजूद उत्तराखण्ड सरकार उसे भुगतान नहीं कर रही है। दूसरी तरफ राज्य के वर्तमान आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन का दावा है कि वायुसेना यह स्पष्ट नहीं बता पा रही है कि उसने किस विभाग के कहने पर अपनी सेवाएं राज्य को दी हैं। सुमन यह लेकिन स्वीकारते हैं कि उनके विभाग द्वारा 67 करोड़ का भुगतान वायुसेना को किया जाना है। शेष के बारे में वे जानकारी न होने की बात कह रहे हैं। सुमन के अनुसार 67 करोड़ में से उनका विभाग 24 करोड़ वायुसेना को कर चुका है और बकाया 28 करोड़ भी जल्द करने जा रहा है। खबर है कि राज्य के मुख्य सचिव ने पर्यटन, वन तथा अन्य विभागों को पत्र लिखकर पूछा है कि उन्होंने कब और किस कारण वायुसेना से मदद की गुहार लगाई। अब विभागों से उत्तर आने बाद ही वायुसेना द्वारा भेजे गए बिल बाबत फैसला लिया जाएगा। खबर यह भी जोरों पर है कि आपदा ग्रस्त राज्य यदि समय रहते इस भारी-भरकम राशि की बाबत फैसला नहीं लेता है तो वायुसेना अपना रुख कड़ा कर सकती है जिसका आपदा प्रबंधन पर असर पड़ सकता है। कर्ज के दलदल में गले तक फंसे राज्य के लिए वायुसेना का बिल बड़ी मुसीबत बनता नजर आने लगा है।