प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) के मासिक रेडियो संबोधन मन की बात कार्यक्रम से अर्जित होने वाले राजस्व(Revenue) में पिछले तीन वर्षों में लगभग 90% की गिरावट आई है।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर(Anurag Thakur) द्वारा सोमवार को राज्यसभा(Rajya Sabha) में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 में लॉन्च होने के बाद से इसने 30.8 करोड़ रुपये की कमाई की है।
राज्यसभा(RajyaSabha)के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम के लिए अर्जित राजस्व(Revenue)– विज्ञापनों के माध्यम से,वर्ष 2017-18 में 10.64 करोड़ रुपये था, लेकिन वर्ष 2020-21 में घटकर 1.02 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 में, अर्जित राजस्व क्रमशः 7.47 करोड़ रुपये और 2.56 करोड़ रुपये था।
राज्यसभा में, सूचना प्रसारण मंत्री ने राजस्व(Revenue)में गिरावट के लिए कोई विशेष कारण नहीं बताया। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रोग्राम का प्राथमिक उद्देश्य दिन-प्रतिदिन के शासन के मुद्दों पर नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करना’ है।
PMO द्वारा संचालित ‘मन की बात’पूरे अखिल भारतीय रेडियो नेटवर्क के साथ-साथ 34 दूरदर्शन चैनलों और 91 निजी उपग्रह टेलीविजन चैनलों(Television Channels) पर प्रसारित, मोदी(Modi) के सबसे बड़े जन आउटरीच प्लेटफार्मों में से एक है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम ने 11.8 करोड़ की दर्शकों की संख्या हासिल की है और वर्ष 2020 में 14.3 करोड़ लोगों तक पहुंच गया है। प्रसार भारती(Prasar Bharti), आकाशवाणी (Akashvaani) और डीडी(DD) के पैरेंट बॉडी- ने 51 भाषाओं और बोलियों में मासिक रेडियो शो का अनुवाद और पुन: प्रसारण किया है।
‘दर्शकों की प्रोफाइल और मन की बात के उद्देश्य को देखते हुए, व्यावसायिक विज्ञापन के बजाय सामाजिक संदेश बढ़ गए हैं।’
‘Man ki Baat’ कैसे कमाई करता है?
मन की बात द्वारा उत्पन्न राजस्व(Revenue) कार्यक्रम के दौरान आकाशवाणी(Akashvaani) और डीडी(DD) पर प्रसारित विज्ञापनों के माध्यम से होती है।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि राजस्व में इस तेज गिरावट के लिए कई कारकों ने योगदान दिया, पहला कारण, ज़ाहिर है, महामारी है। पूरे उद्योग में विज्ञापन (Advertisement) प्रभावित हुए हैं और डीडी(DD) और आकाशवाणी कोई अपवाद नहीं है।
‘मन की बात’ को सरकारी और निजी क्लाइंट दोनों तरह के विज्ञापन मिलते हैं। अधिकारी ने कहा कि जहां पिछले दो वर्षों में निजी विज्ञापन में भारी गिरावट देखी गई, वहीं सरकारी विज्ञापन में भी इसी अवधि में काफी गिरावट आई।
एक दूसरे वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि एआईआर और डीडी(DD) द्वारा खराब ग्राहक सेवा भी एक संभावित कारक है। ‘कभी-कभी ग्राहकों को न केवल मन की बात, बल्कि अन्य शो के लिए प्रभाव विश्लेषण और अन्य उपायों पर पर्याप्त डेटा प्रदान नहीं किया जा सकता है।’
एक अन्य सूत्र ने बताया कि केंद्रीकृत प्रसारण के लिए कुछ स्थानीय स्टेशनों को एक साथ जोड़ा गया था।खासकर छोटे स्टेशनों द्वारा अर्जित राजस्व भी प्रभावित हो सकता था।
साथ ही एक रिपोर्ट में सरकारी खर्च में तेज गिरावट, सोशल मीडिया(Social Media) पर अधिक खर्च और डीडी और एआईआर(AIR) द्वारा निष्पादित बड़ी संख्या में ऑन-अनुरोध समर्थक अभियानों को सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा कारणों के रूप में उद्धृत किया गया था।