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एआई से बढ़ सकते हैं बाल यौन शोषण के मामले

आज दुनिया में तकनिकी क्रांति का दौर है, लेकिन जिस तकनीक व मशीनीकरण को लोगों के काम को आसान बनाने व समय बचाने के लिए किया गया था। वही आज मानव समाज के लिए विनाशकारी रूप धारण करता जा रहा है।

‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस’ (एआई) जो इस वक़्त प्रचलन में है उसके कई हानिकारक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। एआई एक ऐसी मशीन है जो मनुष्य की तरह सोच समझकर काम करने की क्षमता रखती है। जिसके बढ़ते दुष्प्रभावों को देखते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एआई द्वारा बच्चों की अश्लील तस्वीरें बनाई जा रही है जिसके कारण बाल यौन शोषण के मामले बढ़ सकते हैं। ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी ( एनसीए ) जिसे अपराध से लड़ने के लिए गठित किया गया है उसका कहना है कि एआई  द्वारा बनाई गई बच्चों की अश्लील छवियों के प्रसार का बुरा समाज पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो बच्चों के खिलाफ पीडोफिलिया ( बच्चे के साथ यौन दुर्व्यवहार) और परेशान करने वाले व्यवहार को बढ़ावा दे रहा है। क्योंकि इनके अनुसार फोटो को देखने से – चाहे वास्तविक हो या एआई-जनित -अपराधियों द्वारा बच्चों का यौन शोषण करने का जोखिम बढ़ जाता है।

 

बच्चों की अश्लील फोटो की बाढ़

 

इंटरनेट वॉच फाउंडेशन जो इंटरनेट से आपत्तिजनक इमेज या कॉन्टेंट आदि को हटाने का काम करता है। इसका कहना है कि इस समय इंटरनेट पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  से तैयार की गई अश्लील तस्वीरों की बाढ़ आ गई है। फाउंडेशन  ने इस बात की जानकारी भी दी है कि इस काम में शामिल लोग एआई द्वारा बनी तस्वीरों की गैलरी बना कर इंटरनेट पर शेयर कर देते हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट वॉच फाउंडेशन की सीईओ सुज़ी हरग्रीव्स का कहना है कि, हमें अभी तो बहुत ज़्यादा ऐसी तस्वीरें नहीं दिख रही हैं लेकिन इस बात की प्रबल आशंका है कि इस तरह के अपराधी बहुत बड़ी संख्या में बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरें बना कर इंटरनेट पर डाल सकते हैं।

 

दूसरे देश बना रहे एआई पर कानून

 

वैज्ञानिकों का एक वर्ग इसे इंसानों के लिए जीवन बदलने वाली तकनीक बता रहा है, जो उन्हें बीमारियों से छुटकारा दिलाने और उन्हें लंबा जीवन देने में मदद करेगी। दूसरी श्रेणी के लोग इसे परमाणु बम से भी अधिक घातक हथियार मान रहे है।  डर इस बात का है कि जो चीज लोगों की मदद के लिए बनाई गई है वही हमारी मुसीबत न बन जाए।
बिल गेट्स और एलन मस्क से लेकर स्टीफन हॉकिंग तक के दिग्गज वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को इंसानों के लिए खतरा बता रहे हैं। एक तरफ गूगल, फेसबुक से लेकर दुनिया की तमाम टेक्नोलॉजी कंपनियां इस तकनीक पर अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ चीन, रूस, अमेरिका जैसे देशों की सरकारें इस तकनीक पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश कर रही हैं। बात यहां तक पहुंच गई है कि उनके लिए सख्त कानूनों की मांग की जाने लगी है। यूरोपीय संघ के देशों में AI लेकर ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया गया है। यूरोपीय संसद की एक समिति द्वारा हाल ही में इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कानून के मसौदे पर मुहर लगा दी है।

 

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