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आंदोलनों से रू-ब-रू ‘आंदोलनजीवी’

‘पाखी पब्लिशिंग हाउस’ से प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री की पुस्तक ‘आंदोलनजीवी’ के विमोचन से किसान संघर्ष और आजाद भारत के जन आंदोलन ने हिंदी साहित्य जगत में दस्तक दी है। इस पुस्तक में अग्निहोत्री ने अपने 38 वर्षों की पत्रकारिता के अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक आंदोलनों को कवर किया है, लिहाजा उनकी इस पुस्तक में उन आंदोलनों का एक लंबा इतिहास समाहित है। वे स्वयं इन आंदोलनों के साक्षी भी रहे हैं, पुस्तक में ऐसे कई अनछुए पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है जो समाचार बनने से चूक गए

गत् सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (आईआईसी) के मल्टीपरपज हॉल में ‘पाखी पब्लिशिंग हाउस’ से प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री की पुस्तक ‘आंदोलनजीवी’ का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‘आंदोलनजीवी’ (किसान संघर्ष और आजाद भारत के जन आंदोलन) ने हिन्दी साहित्य जगत में दस्तक दी है। इस पुस्तक में अग्निहोत्री ने अपने 38 वर्षों के पत्रकारिता के अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक आंदोलनों को कवर किया है, लिहाजा उनकी इस पुस्तक में उन आंदोलनों का एक लंबा इतिहास समाहित है। वे स्वयं इन आंदोलनों के साक्षी भी रहे हैं, इसलिए पुस्तक पढ़ने के साथ-साथ ही पाठक किसान आंदोलनों की एक मानसिक यात्रा कर लेता है। पुस्तक में अनेक ऐसे अनछुए पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है जो समाचार बनने से चूक गए। आंदोलनों के पीछे चलने वाली राजनीति और आंदोलनों में आ रहे निरंतर बदलाव को समझने के लिए इस किताब में उल्लेखित प्रसंग बहुत मदद करते हैं।

देश की जनता भूखी है, यह आजादी झूठी है : केसी त्यागी

‘आंदोलनजीवी’ किताब के विमोचन कार्यक्रम में बतौर विशिष्ठ अतिथि मौजूद जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने अपने संबोधन के जरिए कहा कि जब तक ‘आंदोलनजीवी’ और ‘आंदोलनकारी’ विभिन्न कारणों से अपना विरोध दर्ज कराते रहेंगे, लोकतंत्र की भावना जीवित रहेगी। अगर समाज में आंदोलन कम होते हैं तो इसका मतलब है कि गरीबों का उत्पीड़न बढ़ गया है। इस दौरान उन्होंने जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे समाजवादी नेताओं का जिक्र कर उन्हें नमन कर कहा कि जिन्होंने भारतीय लोगों के हितों के लिए आवाज उठाई, भले ही वह भौगोलिक सीमाओं से परे क्यों न थे। ‘मैं एक आंदोलनकारी हूं और मैं कहता हूं, आंदोलनजीवी, आंदोलनकारी और आंदोलनबाज, जब तक वे प्रदर्शन करते रहेंगे, तब तक लोकतंत्र जिंदा रहेगा। समाजवादी हमेशा सामाजिक असमानता के विरोध में सक्रिय रहे हैं और आजादी के कुछ वर्षों बाद कुछ समाजवादियों ने इलाहाबाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के काफिले के सामने विरोध भी किया था। तब उन्होंने नारे लगाए थे कि ‘देश की जनता भूखी है, यह आजादी झूठी है।’
केसी त्यागी ने कहा कि अपने पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन में उन्होंने स्वयं कई आंदोलन किए हैं, लिहाजा इस तरह के आंदोलनों का महत्व समझते हैं। आज देश के कुछ पत्रकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के भी विरोध में आ गए हैं, लेकिन यह किसानों के लिए दुर्भाग्य का विषय है। आन्दोलन कम होने का एक अर्थ बदलाव की चिंता न होने जैसा है, इसलिए आंदोलन होते रहने चाहिए।

बेहतरीन पुस्तक है आन्दोलनजीवी

कांग्रेस वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने अपने संबोधन में किताब के शीर्षक ‘आंदोलनजीवी’ शब्द के इस्तेमाल पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन के संदर्भ में ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का व्यंग्यात्मक तरीके से इस्तेमाल किया था। जो लोग सत्ता का विरोध करते हैं, उन्हें इस तरह से जवाब देना चाहिए जिससे मामले की गंभीरता खत्म न हो। दरअसल फरवरी 2021 में राज्यसभा में बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा था कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वह है ‘आंदोलनजीवी’। इस दौरान द्विवेदी ने देश में हुए किसान आंदोलनों पर प्रकाशित ‘आन्दोलनजीवी’ किताब को एक बेहतरीन पुस्तक बताया। उनके मुताबिक इस पुस्तक को परिपक्व अनुभव के साथ बेहद उत्साह से लिखा गया है। पुस्तक के शीर्षक के कारण कई बार आंदोलनों के महत्वपूर्ण बिंदुओं की अपेक्षित चर्चा से छूट जाने का खतरा रहता है, लेकिन इससे आंदोलनों के चित्रण पर कोई असर नहीं पड़ा है और यही पुस्तक की सफलता है। देश के कई अन्य महत्वपूर्ण आंदोलनों पर भी विस्तार के साथ लिखा जाना चाहिए।

औद्योगिक विकास से नहीं मिटाई जा सकती दुनिया की भूख

भाजपा के शीर्ष नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि वर्तमान में आर्टिफिशियल समझ आधारित उद्योगों का विकास जरूर हो रहा है, लेकिन कृषि पीछे छूट रही है। इस प्रवृत्ति से देश- दुनिया पर अस्तित्व का संकट मंडरा सकता है, इसलिए समय रहते इसकी गंभीरता को समझा जाना चाहिए। रूस-यूक्रेन युद्ध से भी यह बात साबित हो गई है कि केवल बड़े हथियार बना लेने और औद्योगिक विकास करके दुनिया की भूख नहीं मिटाई जा सकती। इस सृष्टि के अस्तित्व में अन्न का महत्व समाहित है, इसलिए अन्न और अन्न उत्पादक किसानों का सम्मान किया जाना चाहिए। दुनिया को संचालित करने के लिए अन्न का कोई विकल्प नहीं हो सकता। किसानों को सम्मान दिए बिना किसी देश की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं रह सकती।

 

 

आंदोलन के नाम पर लाभ उठाने की कोशिश
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पुस्तक के विमोचन के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश ने आजादी से लेकर अब तक कई बड़े आंदोलन देखे हैं, लेकिन इसके बाद भी देश के किसानों की समस्याओं का अंत नहीं हुआ है। कई आंदोलनों के नाम पर कुछ लोग अपना लाभ उठाने की कोशिश करते आए हैं, आन्दोलनजीवी जैसी पुस्तकों में इन लोगों के बारे में भी लिखा जाना चाहिए।

 

 

किसानों की समस्याओं का निवारण जरूरी

देश के कई प्रमुख आंदोलनों में अहम भूमिका निभा चुके भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक डॉ सत्येंद्र ने कहा कि किसानों की समस्याएं और शिकायतें अलग-अलग हैं। इनकी सही पहचान कर निवारण किया जाना चाहिए। वहीं आधुनिक भारत के संत कहे जाने वाले आंदोलनकारी रण सिंह आर्य ने कहा कि उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हुए किसान आंदोलनों में भूमिका निभाई और इसका एक सकारात्मक अनुभव रहा। यह किताब देश के किसानों के संघर्ष की भी यात्रा बताती है।

 

स्वागत उद्बोधन में ‘आंदोलनजीवी’ पुस्तक के लेखक विनोद अग्निहोत्री ने इस पुस्तक को देश में किसानों के आंदोलन की एक लंबी यात्रा का वृत्तांत बताया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक किसानों के उन संघर्षों के प्रति समर्पित है जो देश की आजादी के बाद से अब तक हुई है। इसमें हाल ही में हुए किसान आंदोलन की कहानी भी शामिल है। उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का श्रेय पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार और अपनी धर्मपत्नी अंजू पांडेय अग्निहोत्री को दिया।

कार्यक्रम के अंत में ‘पाखी’ के कार्यकारी सम्पादक पंकज शर्मा ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ‘पाखी पब्लिशिंग हाउस’ की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शोभा अक्षर ने किया। कार्यक्रम में वरुण गांधी, आचार्य प्रमोद कृष्णन, अक्कू श्रीवास्तव, आशुतोष, चौधरी पुष्पेंद्र सिंह, जगदीश ममगाई, मुकेश कौशिक और अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

 

स्रोताओं के बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी

लेखक विनोद अग्निहोत्री के संग ‘पाखी पब्लिशिंग हाउस’ की टीम

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