पिछले आठ दिनों से देश के अन्नदाता आंदोलन कर रहे हैं। पर सरकार इनकी सुध नहीं ले रही है। दिल्ली घेराव, मुंबई मार्च जैसे आंदोलन से आगे आकर ये किसान अब गांव बंद कर रहे हैं
साल १९६३ का था। चिलचिलाती धूप में ११ साल का एक बच्चा लाइन में खड़ा था। लाइन खेती के लिए खाद खरीदने वालों की थी। जिले के कलेक्टर साहब लाइन में खड़े बच्चे को देख उसके पास पहुंचे। कलेक्टर साहब ने बच्चे से कहा, ‘बेटा धूप में क्यों खड़े हो छांव में आ जाओ।’ इस पर उस बच्चे ने कलेक्टर साहब को जवाब दिया, ‘साहब किसान का बेटा जब छांव से प्रेम करेगा तो देश की जनता का पेट कौन भरेगा।’
वह बच्चा आज ६६ साल का हो गया है। यह उम्र सेवानिवृत्त होकर द्घर में आराम करने की है। मगर आज भी उनका हौसला वही ११ साल की उम्र वाला है। ६६ वर्षीय यह ‘बच्चा’ पिछले कई सालों से किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। इनका नाम है-शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी। किसान आंदोलन में उनका एक ही नारा है, ‘खुशहाली के दो आयाम, ऋण मुक्ति और पूरा दाम।’ किसानों के प्रमुख नेता कक्का जी एक जून से दस जून तक कई राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने से लेकर कर्ज माफीे और समर्थन मूल्य बढ़ाने जैसी कई मांगें इन किसानों की हैं।
कहने को तो पूरा देश किसानों को अन्नदाता कहता है। देश की आधी आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। मगर जब इन्हें इनकी फसल का सही मूल्य देने की बात आती है तो सभी इनकी तरफ से आंखें मोड़ लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २०१४ में चुनाव-प्रचार में सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या और उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने जैसे मुद्दे उठाए थे। किसानों ने उनकी बातों पर विश्वास कर भाजपा को ‘अर्बन पार्टी’ से पूरे देश की पार्टी बना दिया। किसानों ने विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में मोदी पर ही अपना भरोसा जताया। इस विश्वास के साथ कि मोदी उनका भाग्य बदल देंगे, पर आज भी किसानों की स्थिति पहले जैसी है। हर साल हजारों किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का वादा पूरा न होने के कारण किसान नाराज हैं। पिछले साल से ही वे आंदोलन की राह पर हैं। बीते साल दक्षिण भारत से दिल्ली आए सैंकड़ों किसानों ने जंतर-मंतर पर अनूठे अंदाज में प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में भारी सूखे की मार और कर्ज के बोझ के तले दबे करीब १०० किसान लंबे समय तक प्रदर्शन करते रहे। तमिलनाडु सरकार के आश्वासन के बाद इनका आंदोलन खत्म हुआ। पिछले साल इसी महीने मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन काफी जोर पकड़ा था। राज्यभर के किसानों ने भोपाल में विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास की सड़कों को बंद कर दिया था। बाद में यह आंदोलन हिंसक हो गया। एक थाने में हुए पथराव के बाद पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसमें छह किसानों की मौत हो गई थी।
महाराष्ट्र सरकार से भी किसान नाराज हैं। इसी साल अपनी मांगों को लेकर नाराज किसानों ने नासिक से मुंबई तक मार्च निकाला। ७ मार्च को नासिक से शुरू हुआ ये मार्च १२ तारीख को राजधानी मुंबई पहुंचा। मुंबई पहुंचते ही सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों से बात की। उनकी सभी मांगों को मानने का आश्वासन दिया। तब जाकर आंदोलन खत्म हो सका। राजस्थान में भी कर्ज माफी को लेकर किसान गुस्से में हैं। जयपुर में आंदोलन करने वाले किसान संगठनों और सरकार में ठन गई थी। तब पुलिस ने संगठन के मुख्य नेताओं को हिरासत में ले लिया था। गांव-देहात से निकले इन किसानों का आरोप है कि सरकार ने कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं किया।
इसके कुछ माह पहले भी इन्हीं किसान संगठनों ने राज्य भर में प्रदर्शन कर कामकाज ठप कर दिया था। राष्ट्रीय किसान महासंद्घ और दूसरे संगठनों से जुड़े किसानों ने इसी साल फरवरी में दिल्ली द्घेराव का एलान किया था। ये संगठन समर्थन मूल्य और ऋण माफी की मांग उठा रहे हैं। उस वक्त विभिन्न राज्यों से किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे। सरकार ने उन्हें दिल्ली के पहले ही रोक दिया था। जिस कारण हजारों किसान दिल्ली नहीं पहुंच पाए। इसलिए इस बार इन्होंने आंदोलन की रणनीति बदली। विभिन्न राज्यों में दस दिनों तक किसानों ने अपने गांव से बाहर आने पर मना कर दिया है। इस दौरान वे अपनी उपज को भी बाजार में नहीं ले जाएंगे।
दस दिवसीय हड़ताल से कई खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखने को मिला। हालांकि किसानों का आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण ही रहा है। दिसंबर २०१७ में गुजरात विधानसभा चुनाव नतीजों में भी किसानों की नाराजगी का असर दिखा था। गुजरात में भाजपा किसी प्रकार चुनाव तो जीत गई थी मगर ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचा था। पिछले हफ्ते ही उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा पर हुए उपचुनाव में भी गन्ना किसान का फैक्टर सामने आया। नतीजों ने केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार को हिला दिया। जिसका असर यह हुआ कि अब केंद्र सरकार गन्ना किसानों के बकाया के लिए ७००० करोड़ रुपए शुगर मिल को देने जा रही है।
केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आई थी, पर मध्य प्रदेश में किसानों को मात्र कुछ रुपए ही हर्जाना मिला। साल २०१६ में छत्तीसगढ़ में धान के किसानों को राज्य सरकार ने फसल बीमा के नाम पर ५ रुपए से लेकर २५ रुपए तक की रकम थमा दी। इससे भी किसान सरकार से गुस्से में है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक १९९० के आसपास से कूषि संकट बढ़ता जा रहा है। २०१६ के सरकारी आर्थिक सर्वे के अनुसार १७ राज्यों में किसानों की सालाना आय औसतन मात्र बीस हजार रुपए है। यानी हर महीने केवल १७०० रुपए में किसान अपने परिवार को पाल रहा है। किसान यह समझ नहीं पा रहे हैं कि जब उसकी पैदावार अच्छी होती है तो बाजार में दाम अचानक क्यों गिर जाते हैं। बाजार में उचित दाम नहीं मिलने के कारण टमाटर, आलू और अपनी अन्य फसल सड़कों पर फेंकनी पड़ती है। एक अध्ययन में सामने आया है कि १९७० में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य ७६ रुपए प्रति क्विंटल था। २०१५ में वो बढ़ कर १४५० रुपए प्रति क्विंटल हुआ। आज वो १७३५ रुपए प्रति क्विंटल है। यानी १९७० से २०१८ तक इसमें २० गुना बढ़ोतरी हुई है।
वहीं सरकारी मुलाजिम की सैलरी और डीए देखा जाए तो १९७० से २०१८ तक उनकी आय में १२० से १५० गुना बढ़ोतरी हुई है। इस कालखण्ड में प्रोफेसरों का वेतन १५० से १७० गुना बढ़ा है। कंपनी के मध्यम स्तर के नौकरीपेशा लोगों की आय ३००० गुना बढ़ी है। पर्यावरणविद् एवं कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा मानते हैं, ‘आज देश में किसानों के मुद्दों पर चर्चा हो रही है, यह अच्छा संकेत है। प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुना करने की अपनी बात से उन्होंने संदेश दिया कि वो किसान की आय से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना चाहते हैं। इसका मतलब साफ है कि किसानों की आय के मुद्दों को सुलझाना बेहद जरूरी है, ऐसी समझ अब बनने लगी है।’
‘कर्ज माफी नहीं, मुक्ति चाहिए’
किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे शिवकुमार शर्मा भारतीय किसान संद्घ मध्य प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष रहे हैं। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का गठन कर देश भर के किसानों को एकजुट कर रहे हैं। उनसे बातचीत के मुख्य अंश
किसान आंदोलन पर क्यों हैं?
आज भी किसान को उसकी लागत से ३०-४० फीसदी तक कम कमाई हो रही है। इस कारण कितसान कर्जदार होते जा रहे हैं। सरकार ने वादा किया था कि किसानों के उपज की कीमत डेढ़ गुणा करेंगे? पर ऐसा नहीं हुआ। आज भी किसान आत्महत्या कर रहा है। हम सरकार से कर्ज माफी की बात नहीं करना चाहते, हमें कर्ज से मुक्ति चाहिए।
केंद्र सरकार ने तो इस बजट में किसान को लागत का डेढ़ गुना दाम देने का वादा किया है, फिर हड़ताल क्यों?
ये जुमलेबाजी है। इसके लिए बजट में प्रावधान नहीं है तो ये कैसे संभव है। सरकार का दावा है २०२२ तक वो किसान की आय दोगुनी कर देंगे लेकिन उस वक्त तक तो ये काम बाजार खुद कर देगा। सरकार को २०१९ तक का जनादेश है। इसी में काम क्यों नहीं कर रही है।
आप संघ में रहे हैं। अपनी सरकार के खिलाफ लड़ाई, क्यों?
आप किसके साथ खड़े हैं, यह महत्वपूर्ण है। हम भी किसान हैं। एक किसान अपने परिवार को कैसे पालता है, वह हमें पता है। इस सरकार से बहुत उम्मीदें थी। सब टूट गया।
‘दीर्घकालिक योजना बनाई है’
पूर्व मंत्री, बीजेपी सांसद एवं भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष रहे हुकुमदेव नारायण यादव से बातचीत
किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार क्या कर रही है?
हमारी सरकार को किसानों की चिंता है। हब सब किसान और गरीब परिवार से आते हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने किसानों की आय डेढ़ गुना करने का प्रावधान इसी बजट से कर दिया है। २०२२ तक उनकी आय को दो गुना तक ले जाना का प्रयास सरकार कर रही है।
किसानों को किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है?
भारत सरकार ने दीर्घकालिक योजना बनाई है। सबकी अपेक्षा रहती है कि तत्काल लाभ हो। किसानों की आय दोगुनी करने की योजना को ही लें तो यह कैसे तात्कालिक हो सकती है? इसके पहले उत्पादन बढ़ाना होगा, प्रोसेसिंग यूनिट बनेंगे, कोल्ड स्टोरेज होगा, भंडारण गृह, फिर उनकी पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टिंग के बाद उनकी मार्केटिंग व्यवस्था होगी। इतनी सुविधा चार-छह महीने में संभव नहीं है।
क्या तब तक किसान आत्महत्या करता रहे?
नहीं, किसान की आत्महत्या से सरकार चिंतित है। हम राज्य सरकारों से भी कह चुके हैं कि वे किसानों के कर्ज को देखें। हमारी सरकार ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिससे किसानों को कर्ज नहीं लेना पड़े। फसलों का बीमा कराया जा रहा है। ताकि फसल नुकसान का खमियाजा किसान को न उठाना पड़े।
किसान आज भी उपेक्षित क्यों है?
हमारी सरकार में ऐसा नहीं है। किसान आज जाति और संप्रदाय में बंटा हुआ है। इसी कारण उसका शोषण होता है। आज तक किसान एक वर्ग नहीं बन पाया। जिस दिन किसान एक वर्ग के रूप में संगठित हो जाएगा, अपने वर्ग हित को समझ लेगा, उस दिन उसका भाग्य और भविष्य दोनों बदल जाएगा।