‘लॉकडाउन में काम ठप होने, एक भैंस की करंट से मौत, तीन भैंस चोरी होने और खेती से भी आमदनी नहीं होने के कारण बिल नहीं चुका पाया। शरीर के अंग बेचकर कर्ज चुका देना। सभी को नमस्कार।’ यह दुःख भरी दास्तां तीन पेज के पत्र में लिखकर मध्यप्रदेश में छतरपुर जिले के किसान मुनेंद्र राजपूत ने आत्महत्या कर ली। दिल दहला देने वाली यह घटना जिले के मातगुवां कस्बे की है।
फांसी लगाने से पहले लिखे 3 पन्ने के सुसाइड नोट में मुनेंद्र राजपूत ने लिखा कि कोरोनाकाल में उसे काफी नुकसान हुआ और उसकी कई भैंस भी मर गई। इसके चलते वह बिजली का 88 हजार का बिल नहीं चूका पाया। एक पत्र में उसने लिखा कि मेरा शरीर सरकार को सौंप देना, जो अंग-अंग बेचकर 88 हजार चुका दे। बताया जा रहा है कि बिजली विभाग के अधिकारी उसे बिल चुकाने के नाम पर आए दिन प्रताड़ित करते थे और सरेआम बेइज्जत करते थे। मजबूरन उसने ख़ुदकुशी का रास्ता अपनाया है।
मुनेंद्र के भाई लोकेन्द्र के अनुसार बिजली विभाग की टीम से उन्होंने कहा था कि सामान जब्त ना करें। अभी 10-15 हजार रुपए जमा कर देता हूं, बाकी फसल आने पर जमा कर दूंगा, लेकिन टीम ने एक नहीं सुनी। सामान जब्त कर मुनेंद्र के जबरन दस्तखत करवा लिए। इससे वह सदमे में आ गया। इसके बाद किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी।
बताया जा रहा है कि चक्की चलाने वाले मुनेंद्र राजपूत का शव खेत में आम के पेड़ से लटका मिला। उसके घर सोमवार को बिजली विभाग के कर्मचारी बिल की वसूली करने पहुंचे थे। कर्ज नहीं चुकाने पर बिजली विभाग के कर्मचारियो ने उसके घर कुर्की की कार्रवाई कर दी। घटना के बाद बिजली विभाग के अधिकारी सफाई दे रहे है। अधिकारियों का कहना है कि मुनेंद्र पर 2018 से बिजली का बिल बकाया था। कई बार नोटिस के बावजूद वह बिजली का बिल नहीं चुका रहा था। इसके कारण उसके घर कुर्की की गयी थी।