आक्रामक व्यवहार के लिए महिलाओं की बनिस्पत पुरुषों को ज्यादा जिम्मेदार माना जाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक ड्रग एंड क्राइम रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में परोक्ष रूप से आक्रामकता हमेशा से पाई जाती रही है। हालिया समय में अपरोक्ष के बजाय परोक्ष रूप से महिलाओं में आक्रामकता बढ़ने लगी है। भारत में इस विषय पर वर्ष 2020 में किए गए एक शोध में पाया गया कि 51.5 प्रतिशत पुरुषों को अपने जीवनकाल में महिलाओं द्वारा शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। हालिया समय में महिलाओं के आक्रामक व्यवहार की खबरें सुर्खियों में हैं
विश्वभर में आक्रामक व्यवहार के लिए महिलाओं की बनिस्पत पुरुषों को ज्यादा जिम्मेदार माना जाता रहा है। अब लेकिन महिलाओं में तेजी से बढ़ रही आक्रामकता को लेकर वैज्ञानिक शोधों से सामने आ रहा है कि महिलाएं भी पुरुषों के समान ही आक्रामक व्यवहार से लबरेज रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक ड्रग एंड क्राइम रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में परोक्ष रूप से आक्रामकता हमेशा से पाई जाती रही है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाएं अपने परिचितों की बाबत घातक अफवाह फैलाने, पीठ पीछे बुराई करने और कूटनीतिक तरीकों से अपने विरोधियों की छवि धूमिल करने की आक्रामकता को ज्यादा इस्तेमाल करती आई हैं। हालिया समय में लेकिन अपरोक्ष के बजाय परोक्ष रूप से महिलाओं में आक्रामकता बढ़ने लगी है। भारत में इस विषय पर वर्ष 2020 में किए गए एक शोध में पाया गया कि 51.5 प्रतिशत पुरुषों को अपने जीवनकाल में महिलाओं द्वारा शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। अमेरिका में प्रत्येक नौ पुरुषों में से एक पुरुष इस प्रताड़ना का शिकार होता है, वहीं ब्रिटेन में दस में से चार पुरुष इस प्रकार की हिंसा से गुजर चुके हैं। बीते कुछ अर्से से महिलाओं के आक्रामक व्यवहार की खबरें भारत में सुर्खियां बटोर रही हैं।
गत सप्ताह नोएडा के सेक्टर-121 स्थित क्लो काउंटी सोसाइटी के गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड से एक महिला प्रोफेसर ने बदसलूकी की और उसे थप्पड़ भी जड़ दिए। नोएडा पुलिस के अनुसार सेक्टर 121 स्थित क्लो काउंटी सोसाइटी के गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड सचिन से उसी सोसायटी में रहने वाली महिला प्रोफेसर सुतापा दास ने गेट खोलने में देरी होने की बात पर बदसलूकी की और गार्ड को ताबड़तोड़ थप्पड़ जड़ दिए। जांच के दौरान यह पता चला कि सोसाइटी निवासी सुतापा की कार पर लगा सोसाइटी का स्टीकर स्कैनर पर कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण स्कैन नहीं हो पाया। इससे गेट का बैरियर नहीं खुल पाया। सिक्योरिटी गार्ड सचिन ने जब बैरियर को खोला तो सुतापा ने कार को अंदर करने के बाद सिक्योरिटी गार्ड के पास आकर शिकायत की। सचिन ने जब उसे बताया कि स्टीकर स्कैन नहीं होने से बैरियर ऑटोमेटिक नहीं खुल पाया तो सुतापा यह सुनकर गुस्से से आग बबूला हो गई और सचिन को ताबड़तोड़ थप्पड़ जड़ दिए।
इससे पहले महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के सदर बाजार में स्थित, मोहम्मद काजी के सलून पर एक महिला ने 19 अगस्त को अपने बाल डाई करवाए थे। जिसकी कीमत 5 हजार रुपए तय हुई लेकिन महिला ने सिर्फ 4 हजार दिए और बाकी उधार कर दिए। महिला जब 7 सितंबर 2022 को दोबारा सलून आई तो उसकी शिकायत थी कि जो बाल उसने डाई करवाए हैं, वे बाल सफेद ही जड़ से उग और बढ़ रहे हैं, इसलिए उसके 5 हजार रुपए वापस किए जाएं। जब दुकानदार इस बात पर राजी नहीं हुआ तो उसने पहले काजी को चप्पल से पीटा और फिर सलून में तोड़फोड़ करने लगी। इस मामले की कार्यवाही अब पुलिस के हाथों में दे दी गई है।
बीते अगस्त महीने में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जिसमें 4 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही एक युवती ने अपने बॉयफ्रेंड को दोस्तों के साथ मिलकर उस्तरे से टुकड़े-टुकड़े कर दिया। पहले अपने बॉयफ्रेंड की बॉडी को एक दिन फ्रिज में रखा अगली रात को सूट केस में बॉडी को पैक कर रेलवे स्टेशन में फेंकने जा रही थी जिसे रंगे हाथों पुलिस कर्मियों ने पकड़ लिया। जिसके बाद लड़की पर सख्त कार्यवाही की गई।
मध्य प्रदेश के दमोह में पत्नी ने पति के सिर पर डंडा मारकर उसे घायल कर दिया। पूछताछ पर पत्नी ने पति पर गंभीर मारपीट के आरोप लगाए लेकिन जांच से पता चला कि उसकी पत्नी उसे रोज टॉर्चर किया करती थी, खाना नहीं देती है और मकान पर भी कब्जा कर उसे रोज मारा करती थी। वहीं एक और मामले में भारत की एक ग्रामीण महिला ने पति के शराब पीने से परेशान होकर कुल्हाड़ी से काट दिया। पति की हत्या करने के बाद महिला थाने पहुंची और पूरी वारदात को खुद बयां किया।
थप्पड़ों का सिलसिला
थप्पड़ों का सिलसिला बहुत समय से जारी है। दो साल पहले लखनऊ में एक लड़की ने बिना गलती के एक कैब चालक पर थप्पड़ों की बरसात कर दी थी। बेगुनाह होने के बावजूद भी उस कैब चालक को अपनी नौकरी और सम्मान से हाथ धोना पड़ा। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और लड़की ने काफी समय बाद अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी।
पिछले महीने एक मामला नोएडा से सामने आया है जिसमें एक युवती की गाड़ी को ई-रिक्शा चालक से हल्की-सी टक्कर हो जाने के चलते उसे लगातार 17 थप्पड़ मार दिए। महिला इतने आक्रोश में थी कि उस पर थप्पड़ों के साथ गंदी गालियों की भी बरसात कर दी। यह मामला जब पुलिस के सामने आया तो महिला ने अपनी गलती मानी। छत्तीसगढ़ के राजानंद गांव में 21 सितंबर 2021 को गणेश विसर्जन के दौरान एक लड़की ने लड़के को चाकू घोंप दिया। मामला कहा-सुनी का बताया गया था। वहीं दूसरी तरफ भोपाल में 19 अक्टूबर 2021 की एक घटना के अनुसार मनचले से परेशान लड़की ने एक लड़के को सड़क पर पीटा। खुद पीटने के बाद भीड़ को लड़के की गलती बताते हुए खूब पिटवाया। जिसके बाद लड़के को काफी गंभीर चोटें आईं।
भारत में ऐसे मामले आम नागरिकों के साथ नहीं बल्कि पुलिस वालों के साथ भी हो रहे हैं। हाल ही में शराब के नशे में धुत एक युवती ने पुलिस पर हाथ उठा दिया। मामला बहस से शुरू हुआ था और देखते ही देखते युवती ने पुलिस वालो पर थप्पड़ बरसाने शुरू कर दिए जिसके बाद महिला को हिरासत में लिया गया।
अपने ही पार्टनर से 52 फीसदी पुरुष खा चुके हैं मार मुंबई के पोद्दार वेलनेस की साइकोलॉजिस्ट अमातुल्ला लोखंडवाला का कहना है कि इंडियन सोसायटी में मातृसत्तात्मक सोच के विकास की वजह से ऐसे मामले आजकल देखने को मिल रहे हैं। समाज के हर स्तर की लड़कियां नौकरी कर रही हैं, चाहे वह किसी मल्टीनेशनल कंपनी की सफाईकर्मी हो या सीईओ।
ढेरों महिलाएं परिवार का खर्च उठाने के लिए बराबर से काम कर रही हैं। कई घरों में महिलाएं ही घर का खर्च चला रही हैं। वे हर वह काम को कर रही हैं जो किसी जमाने में पुरुषों तक सीमित थे, जैसे बिजली का काम करना, बिजली बिल भरना, बच्चों का एडमिशन, बैंक संबंधी पेपरवर्क। इन वजहों से भी उनकी स्थिति मजबूत हुई है, उसकी हिम्मत बढ़ी है और उनके अंदर गलत को बर्दाश्त करने की शक्ति कम हुई है। आमतौर पर भारतीय पुरुषों की छवि पत्नी को पीटने वाले के रूप में बनी हुई थी, लेकिन इस ट्रेंड में बदलाव दिख रहा है। अब पत्नियां भी पतियों की पिटाई कर देती हैं। साल 2019 में ‘इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 52.4 प्रतिशत पुरुष महिलाओं की हिंसा के शिकार हुए। एक हजार पुरुषों पर हुई स्टडी में शामिल करीब 52 ने माना कि वह अपनी पत्नी या इंटीमेट पार्टनर से कम से कम एक बार तो पीट ही चुके हैं।
करीब 100 में 11 पुरुषों ने माना कि पिछले 12 महीने में एक बार उनकी भी धुनाई हो चुकी है। 98.3 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पार्टनर को पीटने के नाम पर चांटा मारा है। पुरुषों के लिए यह राहत की बात थी कि उनको पीटने के लिए केवल 3 .3 मामलों में हथियारों का इस्तेमाल किया गया। यह भी पाया गया कि 60 में से करीब 7 पुरुषों को उनकी पत्नियों ने बहुत बुरे तरीके से पिटाई की थी। सऊदी गैजेट में प्रकाशित यूएन की एक स्टडी के अनुसार पतियों को पीटने के मामले में मिस्र की महिलाएं दुनिया भर में सबसे आगे हैं। इसी स्टडी में दूसरे नंबर पर ब्रिटेन और तीसरे स्थान पर भारत है। इस रिपोर्ट के अनुसार पति को पीटने के लिए महिलाएं बेल्ट, रसोई के समान और पिन्स का इस्तेमाल करती हैं। सवाल यह उठता है कि कभी कमजोर समझी जाने वाली महिलाओं में यह हिम्मत कहां से आई। साइकोलॉजिस्ट अमातुल्ला बताती हैं कि इस तरह के मामलों में लड़कियों को यह लगता है कि उसे समाज का सपोर्ट है। कई ऐसे मामले हैं कि लड़की ने किसी को मारा, तो वहां खड़ी भीड़ लड़की के सपोर्ट में लड़कों को मारना शुरू कर देती हैं।
आखिर क्यों हिंसक हो रही हैं युवतियां
साइकोलॉजिस्ट अमानतुल्ला का कहना है कि महिलाओं को एग्रेसिव बनाने के पीछे समाज ही जिम्मेदार है। उनके साथ सदियों से होने वाली हिंसक घटनाओं ने भी उनको उग्र बनाने का काम किया है। आज वह अपनी उग्रता को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं। भारतीय महिला सुरक्षा कानूनों ने भी महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डॉ ़ निपुण सक्सेना के अनुसार, आज ढेरों ऐसे कानून हैं जैसे दहेज उत्पीड़न, डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट जो समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाते हैं। इसके ठीक विपरीत पुरुषों के पक्ष में इस तरह के कानूनों की कमी है।
साइकोलॉजिस्ट यह मानते हैं कि पुरुष हो या महिला, हिंसा समाज को गलत संदेश देती है। अगर किसी बहस के दौरान महिला को यह लगता है कि उसका हाथ उठ सकता है, तो वह उस गुस्से को कुछ तरीकों से काबू में कर सकती है। जैसे नहाकर गुस्सा शांत करना, गहरी सांस लेना, गिलास में मुंह डालकर अंदर से गुस्से को निकालना। ऐसा करने से गुस्से से बन रही निगेटिव एनर्जी निकल जाएगी, जो समाज और परिवार को हिंसक घटनाओं से दूर रखती है।