वर्तमान युग को सोशल मिडिया का युग कहना गलत नहीं होगा। आज दुनिया के अधिकतर लोग किसी न किसी तरह सोशल मिडिया से जुड़े हुए हैं। इंटरनेट पर सोशल मिडिया की एक अलग ही दुनिया है। जिसके जाल में आज हर कोई फंसता जा रहा है बच्चे भी इस मकड़जाल से दूर नहीं हैं। जिसे देखते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर बड़ा बयान दिया है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों के सोशल मीडिया एक्सेस को लेकर एक आयु सीमा तय की जानी चाहिए। कोर्ट का कहना है कि बच्चों को वोट का अधिकार मिलने पर ही बच्चे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक या इंस्टाग्राम आदि जैसे प्लेटफॉर्म्स पर आईडी बनाए और उसका इस्तेमाल करें या फिर इसकी उम्र 21 साल तय कर देनी चाहिए।
जस्टिस जी नरेंद्र और विजयकुमार ए पाटिल की बेंच ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा है कि बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर अगर पाबंदी लगती है तो यह देश के लिए अच्छा होगा। कर्नाटक हाई कोर्ट ने खासकर स्कूली बच्चों को ध्यान में रखते हुए ये बातें कहीं। यह बातें कर्णाटक हाई कोर्ट ने तब कही हैं जब वो बेंच एक्स कॉर्प द्वारा दायर एक रिट अपील पर सुनवाई कर रही थी।
स्कूली बच्चों के सोशल मिडिया के प्रयोग पर रोक लगाने की सलाह देते हुए जस्टिस जी नरेंद्र और विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने कहा स्कूल जाने वाले बच्चे सोशल मीडिया चलाने की इतनी आदत हो गयी है कि अब सोशल मीडिया को बैन कर देना चाहिए। यह देश के लिए अच्छा होगा क्योकि स्कूली बच्चों के लिए सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल अच्छा नहीं है। अधिकतर बच्चे इसका इस्तेमाल टाइम पास करने के लिए करते है। जिसके कारण उन्हें पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता।
बच्चे हो रहे सोशल मिडिया के आदि
वो मौका पाकर केवल फेसबुक, इंस्टा चलाते रहते हैं। पढ़ने में उनकी दिलचस्पी कम होने लगती है। वो हर वक्त अपने हाथों में मोबाइल रखना चाहते हैं। वैसे भी आजकल के बच्चों के हाथों में एंड्रॉयड मोबाइल रहता है। हर बच्चों का ये हाल नहीं है। कुछ बच्चे इसका इस्तेमाल महज इंटरटेनमेंट के लिए करते हैं। मगर सच है कि अधिकतर बच्चे सोशल मीडिया के आदि हो चुके हैं।
सोशल मिडिया का बच्चों पर दुष्प्रभाव
सोशल मिडिया बच्चों आसानी से बच्चों की सोच और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। छोटी उम्र में बच्चे अच्छे और बुरे में फर्क नहीं कर पाते हैं जिससे कई बार बच्चों पर सोशल मीडिया के कुछ ऐसे नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। क्योंकि सोशल मीडिया का जाल इतनी दूर तक फैला हुआ है कि बच्चा कहां, कब और कैसे क्या जानकारी ले, उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थितियां बच्चों को अश्लील, हानिकारक या ग्राफिक वेबसाइटों तक पहुंचा सकती हैं, जो उनकी सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
ऐसा कहना बिलकुल गलत है कि सोशल मीडिया हर प्रकार से बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव ही डालता है। इसके कुछ फायदे हैं लेकिन इसका अत्यधिक प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय बिताने का नकारात्मक असर बच्चों पर पड़ता है और अक्सर बच्चों को सोशल मीडिया की लत लग जाती है। जिसका प्रभाव बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
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