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केवल शासक बदलने का अधिकार निरंकुशता के खिलाफ गारंटी नहीं हो सकता : N V RAMANA

Raman

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण(N V RAMAN) ने बुधवार को कहा कि,”न्यायपालिका को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, विधायिका या कार्यपालिका द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, वरना ‘कानून का शासन’ भ्रामक हो जाएगा।” साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों को सोशल मीडिया के प्रभाव के खिलाफ आगाह किया।

न्यायपालिका को कार्यपालिका, विधायिका और आम जनता के दवाब से हटकर काम करना चाहिए : NV RAMAN

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक ऑनलाइन लेक्चर में न्यायपालिका के रोल को लेकर अहम बातें कहीं। चीफ जस्टिस ने कहा कि,”न्यायपालिका को कार्यपालिका, विधायिका और आम जनता के दवाब से हटकर काम करना चाहिए। उन्होंने साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कोरोना काल के इस संकट में लोगों पर अधिक दबाव बना है, ऐसे में हमें इसपर काम करना चाहिए कि कानून का राज किस तरह कायम रहे।

जस्टिस N V RAMANA पीडी देसाई मेमोरियल व्‍याख्‍यानमाला में ऑनलाइन भाग लेते हुए उन्होंने कहा, ‘यह हमेशा माना गया है कि हर कुछ वर्षों में शासक को बदलने का अधिकार अपने आप में निरंकुशता के खिलाफ गारंटी नहीं हो सकता।

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‘CJI ने कहा कि,” यह विचार कि लोग परम संप्रभु हैं, मानवीय गरिमा और स्वायत्तता की धारणाओं में पाए जाते हैं और एक कार्यशील लोकतंत्र के तर्कसंगत सार्वजनिक संवाद लिए महत्वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि ब्रिटिश शासन “कानून के शासन” के बजाय “कानून से शासन” के लिए प्रसिद्ध था।कानून में न्याय और समानता के विचारों को शामिल किया जाना चाहिए। विद्वानों ने इसलिए तर्क दिया है कि किसी कानून को वास्तव में ‘कानून’ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है जब तक कि वह अपने भीतर न्याय और समानता के आदर्शों को आत्मसात नहीं करता है ।एक ‘अन्यायपूर्ण कानून’ में ‘न्यायपूर्ण कानून’ के समान नैतिक वैधता नहीं हो सकती है।”

कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा कि इस वक्त दुनिया कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रही है, ऐसे में हमें एक बार ठहर कर इस बात पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए कि हमने किस हदतक तक लोगों की सुरक्षा और कल्याण के लिए कानून का इस्तेमाल किया।चीफ जस्टिस(CJI) ने इस बात का अंदेशा भी जताया कि महामारी एक नए और बड़े संकट की शुरुआत कर सकती है।

CJI ने कहा कि लोगों के पास हर कुछ वर्ष के बाद शासक को बदलने का अधिकार रहता है, लेकिन ये अपने आप में अत्याचार के खिलाफ सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। लोगों ने अपनी जिम्मेदारी को निभाया है, अब उनकी बारी है जिन्हें किसी पद पर बैठाया गया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव, राजनीतिक संवाद, विवाद, प्रदर्शन लोकतांत्रिक प्रक्रिया का ही हिस्सा हैं।

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‘सोशल मीडिया से प्रभावित ना हो’ : N V RAMAN

चीफ जस्टिस N V RAMAN ने कहा कि ये महामारी आने वाले दशकों में आने वाली बड़ी परेशानियों की सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है। ऐसे में हमें अभी से ही इस बात का आंकलन करना होगा कि हमने क्या ठीक किया और क्या गलत किया।

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